नई दिल्ली:
देशभर में शनिवार को पूरे उमंग और उत्साह के साथ 64वां गणतंत्र दिवस समारोह आयोजित गया। उन इलाकों में भी जहां कुछ विद्रोही समूहों ने समारोह के बहिष्कार की घोषणा कर रखी थी, वहां भी लोगों ने इसकी परवाह नहीं करते हुए सरकारी समारोहों में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया।
राष्ट्रपति चुने जाने के बाद प्रणब मुखर्जी का यह पहला गणतंत्र दिवस था जबकि समारोह के मुख्य अतिथि भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक अपने दादा, पिता के बाद तीसरे नरेश हैं जिन्हें इस हैसियत से नवाजा गया है।
नई दिल्ली में आयोजित मुख्य समारोह में राजपथ पर स्वदेश में विकसित सैन्य साजोसामान और देश की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता वाली झांकियों में सैन्य शक्ति के साथ-साथ प्राचीनकाल से अपने गहरे लगाव का प्रदर्शन दिखा।
अब तक परेड में ज्यादातर विदेशी साजोसामान का प्रदर्शन करने की परंपरा थी। लेकिन इस बार भारत ने अपनी बढ़ती क्षमताओं की पुष्टि की और बताया कि वह वैश्विक मंच पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
सशस्त्र बलों की टुकड़ियों, अर्द्धसैनिक बलों और राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के सधे हुए कदमताल के अलावा परंपरागत वेशभूषा में स्कूली बच्चों की प्रस्तुति ने सबका मन मोह लिया। परेड के बाद 19 राज्यों और सरकारी विभागों की विविध झांकी ने समारोह को चार चांद लगाने का काम किया। आर्मी सर्विस कॉर्प्स के 135 मोटरसाइकिल सवारों ने करतब भी दिखाए।
एक सौ मिनट तक चले परेड का मुख्य आकर्षण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा विकसित 5 हजार किलोमीटर तक मार करने वाली अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल थी। इसका परीक्षण अप्रैल 2012 में हुआ था।
अंत में भारतीय वायु सेना ने अपने विमानों के करतब दिखाए।
मणिपुर में एक हल्के बम धमाके के अलावा पूरे देश में शांति रही। मणिपुर की घटना में कहीं कोई नुकसान नहीं हुआ। राज्य की राजधानी से लेकर जिला मुख्यालयों पर शांतिपूर्वक तरीके से समारोह संपन्न हुआ।
मेघालय के राज्यपाल आरएस मूशाहारी और मणिपुर के राज्यपाल गुरबचन जगत ने शांति की अपील की। मूसहरी ने विद्रोही गुटों से हिंसा का रास्ता त्यागने की अपील की।
उग्रवादी समूहों के बहिष्कार की परवाह नहीं करते हुए हजारों की तादाद में लोग असम, त्रिपुरा, मणिपुर और मेघालय में सरकारी समारोहों में हिस्सा लेने पहुंचे। यही दृश्य छत्तीसगढ़ में नक्सलवादियों के गढ़ बस्तर में दिखा।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने झारखंड में नक्सलियों का गढ़ समझे जाने वाले सिंहभूम जिले में ध्वजारोहण किया। उन्होंने कहा कि नक्सलियों का मुकाबला मजबूत आर्थिक विकास से हो सकता है।
उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने फरवरी महीने से राज्य में गरीबों को एक रुपये प्रतिकिलो चावल मुहैया कराने की घोषणा की।
आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान में भी पूरे उत्साह के साथ गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन हुआ। चेन्नई में मरीन बीच पर हजारों की संख्या में लोग एकत्र हुए।
आंध्र प्रदेश के करीमनगर जिले में छात्रों ने 1.5 किलोमीटर लंबा राष्ट्रीय ध्वज का प्रदर्शन किया।
जम्मू एवं कश्मीर में मुख्य समारोह जम्मू में हुआ जहां राज्यपाल एन.एन. वोहरा ने पाकिस्तान से लगती सीमा पर सतत निगरानी का आह्वान किया।
श्रीनगर में राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री अली मोहम्मद सागर ने कहा कि बंदूक ने जम्मू एवं कश्मीर में केवल विनाश ही किया है।
हिमाचल प्रदेश में कई स्थानों पर शून्य के नीचे तापमान की परवाह नहीं करते हुए लोगों ने राष्ट्रीय पर्व को पूरे उत्साह के साथ मनाया।
पंजाब में राज्य के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने अमृतसर में ध्वजारोहण किया। महाराष्ट्र, गुजरात में राजनीतिक दलों के नेताओं, आम लोगों ने स्कूलों, कॉलेजों और आवासीय परिसरों में तिरंगा फहरा कर गणतंत्र दिवस मनाया।
बिहार में घना कोहरा और सर्द हवाओं की परवाह नहीं करते हुए लोगों ने समारोह में हिस्सा लिया। राजधानी पटना के गांधी मैदान में राज्यपाल देवानंद कुंअर ने मुख्य समारोह में झंडोत्तोलन किया।
राष्ट्रपति चुने जाने के बाद प्रणब मुखर्जी का यह पहला गणतंत्र दिवस था जबकि समारोह के मुख्य अतिथि भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक अपने दादा, पिता के बाद तीसरे नरेश हैं जिन्हें इस हैसियत से नवाजा गया है।
नई दिल्ली में आयोजित मुख्य समारोह में राजपथ पर स्वदेश में विकसित सैन्य साजोसामान और देश की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता वाली झांकियों में सैन्य शक्ति के साथ-साथ प्राचीनकाल से अपने गहरे लगाव का प्रदर्शन दिखा।
अब तक परेड में ज्यादातर विदेशी साजोसामान का प्रदर्शन करने की परंपरा थी। लेकिन इस बार भारत ने अपनी बढ़ती क्षमताओं की पुष्टि की और बताया कि वह वैश्विक मंच पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
सशस्त्र बलों की टुकड़ियों, अर्द्धसैनिक बलों और राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के सधे हुए कदमताल के अलावा परंपरागत वेशभूषा में स्कूली बच्चों की प्रस्तुति ने सबका मन मोह लिया। परेड के बाद 19 राज्यों और सरकारी विभागों की विविध झांकी ने समारोह को चार चांद लगाने का काम किया। आर्मी सर्विस कॉर्प्स के 135 मोटरसाइकिल सवारों ने करतब भी दिखाए।
एक सौ मिनट तक चले परेड का मुख्य आकर्षण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा विकसित 5 हजार किलोमीटर तक मार करने वाली अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल थी। इसका परीक्षण अप्रैल 2012 में हुआ था।
अंत में भारतीय वायु सेना ने अपने विमानों के करतब दिखाए।
मणिपुर में एक हल्के बम धमाके के अलावा पूरे देश में शांति रही। मणिपुर की घटना में कहीं कोई नुकसान नहीं हुआ। राज्य की राजधानी से लेकर जिला मुख्यालयों पर शांतिपूर्वक तरीके से समारोह संपन्न हुआ।
मेघालय के राज्यपाल आरएस मूशाहारी और मणिपुर के राज्यपाल गुरबचन जगत ने शांति की अपील की। मूसहरी ने विद्रोही गुटों से हिंसा का रास्ता त्यागने की अपील की।
उग्रवादी समूहों के बहिष्कार की परवाह नहीं करते हुए हजारों की तादाद में लोग असम, त्रिपुरा, मणिपुर और मेघालय में सरकारी समारोहों में हिस्सा लेने पहुंचे। यही दृश्य छत्तीसगढ़ में नक्सलवादियों के गढ़ बस्तर में दिखा।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने झारखंड में नक्सलियों का गढ़ समझे जाने वाले सिंहभूम जिले में ध्वजारोहण किया। उन्होंने कहा कि नक्सलियों का मुकाबला मजबूत आर्थिक विकास से हो सकता है।
उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने फरवरी महीने से राज्य में गरीबों को एक रुपये प्रतिकिलो चावल मुहैया कराने की घोषणा की।
आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान में भी पूरे उत्साह के साथ गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन हुआ। चेन्नई में मरीन बीच पर हजारों की संख्या में लोग एकत्र हुए।
आंध्र प्रदेश के करीमनगर जिले में छात्रों ने 1.5 किलोमीटर लंबा राष्ट्रीय ध्वज का प्रदर्शन किया।
जम्मू एवं कश्मीर में मुख्य समारोह जम्मू में हुआ जहां राज्यपाल एन.एन. वोहरा ने पाकिस्तान से लगती सीमा पर सतत निगरानी का आह्वान किया।
श्रीनगर में राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री अली मोहम्मद सागर ने कहा कि बंदूक ने जम्मू एवं कश्मीर में केवल विनाश ही किया है।
हिमाचल प्रदेश में कई स्थानों पर शून्य के नीचे तापमान की परवाह नहीं करते हुए लोगों ने राष्ट्रीय पर्व को पूरे उत्साह के साथ मनाया।
पंजाब में राज्य के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने अमृतसर में ध्वजारोहण किया। महाराष्ट्र, गुजरात में राजनीतिक दलों के नेताओं, आम लोगों ने स्कूलों, कॉलेजों और आवासीय परिसरों में तिरंगा फहरा कर गणतंत्र दिवस मनाया।
बिहार में घना कोहरा और सर्द हवाओं की परवाह नहीं करते हुए लोगों ने समारोह में हिस्सा लिया। राजधानी पटना के गांधी मैदान में राज्यपाल देवानंद कुंअर ने मुख्य समारोह में झंडोत्तोलन किया।
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