सुपरमून (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सुपरमून का दीदार करना किसे पसंद नहीं होता है. जब भी ऐसा कोई संयोग बनता है लोग शिद्दत से उस दिन का इंतजार करते हैं. यही वजह है कि रविवार को सुपरमून देखने के लिए लोग उत्साहित नजर आए. अगर आप रविवार को फुल मून की खगोलीय घटना का दीदार करने से चूक गए हैं तो चिंता की बात नहीं है, क्योंकि 'सुपरमून' एक बार फिर एक जनवरी और 31 जनवरी, 2018 को नजर आएगा. बता दें कि सुपरमून को फुल मून भी कहा जाता है. इस दौरान चंद्रमा अपनी कक्षा में पृथ्वी के निकटतम बिंदु पर होता है.
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चूंकि, चंद्रमा की कक्षा अंडाकार है, जिसका एक हिस्सा (एपोजी- चंद्रमा की कक्षा का वह बिंदु जिस पर वह पृथ्वी से सर्वाधिक दूर है) दूसरे हिस्से (पेरिजी- ग्रह की कक्षा का वह बिंदु जिस पर वह ग्रह पृथ्वी से निकटतम होता है) की तुलना में पृथ्वी से लगभग 50,000 किलोमीटर दूर है.
नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के एक शोध वैज्ञानिक ने कहा, "सुपरमून उन लोगों के लिए एक शानदार अवसर है, जो चंद्रमा के बारे में जानना और उसका अन्वेषण करना चाहते हैं." दिसंबर के फुल मून को पारंपरिक रूप से 'कोल्ड मून' भी कहा जाता है.
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रविवार को निकला फुल मून 2017 का पहला और एकमात्र सुपरमुन था, जो सामान्य चंद्रमा से सात फीसदी बड़ा और 15 प्रतिशत चमकीला था. इसके बाद यह एक और 31 जनवरी को भी नजर आएगा.
VIDEO: 68 साल बाद दिखा सुपरमून (इनपुट आईएएनएस से)
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चूंकि, चंद्रमा की कक्षा अंडाकार है, जिसका एक हिस्सा (एपोजी- चंद्रमा की कक्षा का वह बिंदु जिस पर वह पृथ्वी से सर्वाधिक दूर है) दूसरे हिस्से (पेरिजी- ग्रह की कक्षा का वह बिंदु जिस पर वह ग्रह पृथ्वी से निकटतम होता है) की तुलना में पृथ्वी से लगभग 50,000 किलोमीटर दूर है.
नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के एक शोध वैज्ञानिक ने कहा, "सुपरमून उन लोगों के लिए एक शानदार अवसर है, जो चंद्रमा के बारे में जानना और उसका अन्वेषण करना चाहते हैं." दिसंबर के फुल मून को पारंपरिक रूप से 'कोल्ड मून' भी कहा जाता है.
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रविवार को निकला फुल मून 2017 का पहला और एकमात्र सुपरमुन था, जो सामान्य चंद्रमा से सात फीसदी बड़ा और 15 प्रतिशत चमकीला था. इसके बाद यह एक और 31 जनवरी को भी नजर आएगा.
VIDEO: 68 साल बाद दिखा सुपरमून (इनपुट आईएएनएस से)
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