आसमान अगर साफ रहा तो पूर्वी भारत के सबसे बड़े महानगर कोलकाता के लोग मंगलवार की रात ‘सुपरमून' का दीदार कर सकेंगे. एम.पी. बिड़ला तारामंडल के पूर्व निदेशक देबीप्रसाद दुआरी ने यह जानकारी दी. सुपरमून दोबारा इस महीने के अंत में 30 अगस्त को दिखाई देगा. पूर्णिमा के दिन जब चांद धरती के सबसे करीब होता है तब उसे ‘सुपरमून' कहा जाता है क्योंकि उसका आकार सामान्य से बड़ा दिखता है.
दुआरी ने कहा कि पिछली बार अगस्त 2018 में सुपरमून की खगोलीय घटना देखने को मिली थी और इस तरह की अगली आकाशीय घटना 2037 में देखने को मिलेगी. उन्होंने कहा, ‘‘ यह उत्साहजनक है क्योंकि संयोग से चंद्रयान-3 का मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा की ओर रुख करेगा. '' चंद्रयान-3 के 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरने का कार्यक्रम है.
दुआरी ने कहा, ‘‘ चंद्रमा अंडाकार कक्षा में घूमते हुए 27.3 दिन में पृथ्वी का एक चक्कर लगाता है. इसका नतीजा है कि कक्षा में एक समय आता है जब वह पृथ्वी से सबसे दूर होता है और उस बिंदु को अपोजी कहते हैं और जब वह सबसे नजदीक आता है तो उस बिंदु को पेरिजी कहते हैं.'' उन्होंने कहा, ‘जब पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पेरिजी के नजदीक होता या पृथ्वी के करीब होता है तो उसे हम ‘सुपरमून' कहते हैं.'' दुआरी ने कहा कि सुपरमून सामान्य से सात प्रतिशत बड़ा और 16 प्रतिशत चमकीला दिखता है.
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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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