नारदा रिश्वत मामले (Narada Bribery Case) में गिरफ्तार किए गए ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के दो मंत्री, एक तृणमूल कांग्रेस विधायक और तृणमूल के एक पूर्व सदस्य फिलहाल के लिए हाउस अरेस्ट रहेंगे. कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को यह आदेश दिया.साथ ही नेताओं की जमानत अर्जी पर तीन सदस्यीय पीठ सुनवाई करेगी. नारदा रिश्वत मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई (CBI) ने मंत्री फरहाद हकीम और सुब्रत मुखर्जी समेत चारों लोगों को इस हफ्ते की शुरुआत में गिरफ्तार किया था.
हालांकि, मामले की सुनवाई कर रही दो सदस्यीय पीठ फैसले को लेकर बंटी हुई नजर आई. जिसके बाद यह आदेश दिया गया. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने नेताओं को हाउस अरेस्ट करने का आदेश दिया जबकि जस्टिस अरिजीत बनर्जी अंतरिम जमानत के पक्ष में थे.
जस्टिस बनर्जी ने कहा, "पीठ के एक सदस्य ने अंतरिम जमानत देना उचित समझा जबकि एक अन्य सदस्य इस पर सहमत नहीं हैं. इस स्थिति में अंतरिम जमानत पर बड़ी पीठ विचार करेगी. इस बीच, महामारी की स्थिति को देखते हुए हाउस अरेस्ट दिया जा रहा है."
उधर, केंद्रीय एजेंसी सीबीआई और तृणमूल कांग्रेस दोनों ने हाउस अरेस्ट का विरोध किया. सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस फैसले पर रोक लगाने की मांग की.
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी और सिद्धार्थ लूथरा ने अपने मुवक्किलों के लिए अंतरिम जमानत के लिए जोर लगाया और कहा कि जितनी जल्दी हो सके बड़ी पीठ का गठन किया जाए, बेहतर है कि आज ही.
मामले की बड़ी बेंच द्वारा सुनवाई करने तक नेताओं को अंतरिम जमानत दी जाए यह कहते हुए सिंघवी ने कहा, "हाउस अरेस्ट गिरफ्तारी से कम नहीं है. उन्हें रिहा किया जाना चाहिए." उन्होंने कहा, "अंतरिम राहत फ्रीडम होनी चाहिए. ये मंत्री हैं, विधायक हैं... इनके चले जाने का कोई खतरा नहीं है. इनके खिलाफ जांच में सहयोगी नहीं करने का मामूली सा भी आरोप नहीं है.
पश्चिम बंगाल के मंत्रियों सुब्रत मुखर्जी और फरहाद हकीम, तृणमूल कांग्रेस विधायक मदन मित्रा तथा तृणमूल के पूर्व सदस्य शोभन चटर्जी को नारदा मामले में सोमवार को जांच कर रही सीबीआई ने घर से गिरफ्तार किया था.
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