गृह मंत्रालय (Home Ministry) द्वारा असम राइफल्स को नगालैंड (Nagaland) में एनएससीएन-आईएम (NSCN-IM) के खिलाफ अभियान शुरू करने का निर्देश देने के बाद इस विद्रोही समूह की कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है. एनएससीएन-आईएम ने आरोप लगाया कि सात दशक पुरानी नगा समस्या का स्थायी समाधान निकालने के लिए केंद्र दृढ़ नहीं है. उसने कहा कि समूह के धैर्य को उसकी कमजोरी नहीं मानना चाहिए. एनएससीएन-आईएम ने चेतावनी दी है कि इसके परिणाम दोनों पक्षों के लिए नुकसानदेह हो सकते हैं.
नगा समूह ने दावा किया कि गृह मंत्रालय ने असम राइफल्स को समूह के कार्यकर्ताओं के खिलाफ अभियान तेज करने का निर्देश दिया है. एनएससीएन-आईएम ने एक बयान में कहा कि स्थायी समाधान तलाशने के लिए तीन अगस्त 2015 को दस्तखत हुआ समझौता प्रारूप केंद्र सरकार और संगठन के अंतिम समाधान तक पहुंचने के लिए एक दस्तावेज की तरह है.
ऐसी खबरें आई थीं कि एनएससीएन-आईएम और केंद्र के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत आगे बढ़ नहीं पाई क्योंकि समूह नगालैंड के लिए संविधान और अलग झंडे की मांग पर कायम है और केंद्र ने इसे ठुकरा दिया. एनएससीएन-आईएम ने केंद्र से स्थिति से संवेदनशीलता के साथ निपटने और भारतीय सुरक्षा बलों और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को उसके खिलाफ अभियान छेड़ने के लिए प्रोत्साहन नहीं देने को कहा.
एनएससीएन-आईएम ने कहा कि ऐसी स्थिति में एनएससीएन के सदस्य चुप नहीं रहेंगे. हमारे धैर्य को हमारी कमजोरी या लाचारी नहीं समझना चाहिए. इसके नतीजे दोनों पक्षों के लिए हानिकारक होंगे. यह नगा इलाके में संघर्ष विराम के हितों में नहीं होगा.
नगालैंड में उग्रवाद की दशकों पुरानी समस्या से निपटने के लिए 18 साल में 80 दौर की वार्ता के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में प्रारूप समझौते पर दस्तखत हुए थे.
(इनपुट भाषा से भी)
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