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This Article is From Jun 10, 2015

म्यांमार सीमा पर सेना के ऑपरेशन के पीछे इनका दिमाग, पढ़िए इनके बारे में

म्यांमार सीमा पर सेना के ऑपरेशन के पीछे इनका दिमाग, पढ़िए इनके बारे में
अजित डोवाल की फाइल फोटो
नई दिल्ली: भारतीय सेना ने मणिपुर हमले में शामिल आरोपियों को ढेर करने के लिए म्यांमार सीमा में दो किलोमीटर अंदर घुसकर ऑपरेशन को अंजाम दिया और उग्रवादियों के दो कैंपों को तबाह और 100 उग्रवादियों को ढेर कर दिया।

सूत्रों के मुताबिक, इस ऑपरेशन के पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार अजीत डोवाल का दिमाग है, जिन्होंने भारतीय सेना को 'नो कैजुअल्टी' के साथ इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिलवाने में मदद की। यही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस ऑपरेशन से जुड़ा हर अपडेट ले रहे थे।

खबरों के मुताबिक, सुरक्षा सलाहाकार अजीत डोवाल को पीएम मोदी के साथ बांग्लादेश जाना था, लेकिन इस ऑपरेशन की वजह से उन्होंने अपना दौरा खारिज किया। सैन्य प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग को भी यूनाइटेड किंगडम जाना था, लेकिन वह भी नहीं गए। दोनों रुक गए और मणिपुर के हालातों पर बारीकी से नजर रखी।

एक नजर डोवाल के सफर पर
  • राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का मुख्य कार्यकारी होता है और उसका मुख्य काम प्रधानमंत्री को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सलाह देना होता है।
  • डोवाल केंद्र सरकार में सबसे ताकतवर अफसर माने जाते हैं। वह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार बनने से पहले आईबी के चीफ रह चुके हैं। उन्होंने पंजाब से लेकर नॉर्थ ईस्ट तक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अहम योगदान दिया है। वह पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी भी माने जाते हैं। उन्होंने मिजोरम, पंजाब और कश्मीर में आतंकवाद से लड़ाई लड़ने में अहम भूमिका निभाई।
  • 31 जनवरी 2005 में खूफिया ब्यूरो प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त डोवाल 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूलत: उत्तराखंड के पौड़ी गड़वाल से हैं। उनके पिता भारतीय सेना में थे और उन्होंने अजमेर के मिलिट्री स्कूल से पढ़ाई की है। साथ ही आगरा यूनिवर्सिटी से इकोनोमिक्स में मास्टर डिग्री ली है।
  • 1989 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से आतंकवादियों का सफाया करने के लिए चलाए गए ऑपरेशन ब्लैक थंडर के तहत खूफिया ब्यूरों अधिकारियों के दल के वह मुखिया रहे।
  • 1991 में खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट द्वारा अपहरण किए गए रोमानियाई राजदूत लिवियू राडू को बचाने में भी उनकी भूमिका अहम रही।
  • 1999 में डोवाल कंधार ले जाए गए इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी 814 के अपहरणकर्ताओं के साथ मुख्य वार्ताकार थे।
  • डोवाल ने पाकिस्तान और ब्रिटेन में राजनयिक की जिम्मेदारी संभाली।
  • उन्होंने मिजोरम में उग्रवाद के खिलाफ अभियान चलाकर इसके सात में छह कमांडरों को अपने पक्ष में किया और लालडेंगा को वार्ता के लिए तैयार होना पड़ा। 

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