
प्रधानमंत्री के साथ मतभेद की खबरों को सिरे से खारिज करते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि नरेंद्र मोदी से उनके रिश्ते 'बहुत पवित्र, भावुक और गहरे' हैं और वह सुनिश्चित करेंगे कि 'व्यक्तिगत नुकसान' के बावजूद ये खराब नहीं हों।
राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में मोदी की सर्वोच्चता 'बहुत स्वाभाविक है न कि थोपी हुई।' वह तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के गृहमंत्री सरदार पटेल से और अटल बिहारी वाजपेयी के लालकृष्ण आडवाणी से रिश्तों के आलोक में पूछे जा रहे सवालों के जवाब दे रहे थे।
मोदी से रिश्तों के बारे में गृहमंत्री ने कहा, 'मैं आपको बताना चाहता हूं कि पिछले डेढ़ साल में, हमारे रिश्ते बहुत गहरे हुए हैं। वह देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं जो देश को उसके कठिन समय से उबार रहे हैं।' उन्होंने कहा, 'जो हमारे संबंधों के बारे में अटकलें लगा रहे हैं वे इसकी गहराई से पूरी तरह अनजान हैं। ये इतने पवित्र, भावुक और गहरे हैं कि कोई इसे बिगाड़ नहीं सकता है। मैं खुद के व्यक्तिगत नुकसान पर भी ऐसा नहीं होने दूंगा। अपने सार्वजनिक जीवन में मैंने पूंजी के तौर पर केवल विश्वनीयता ही अर्जित की है। मुझे पशुवत जीवन जीना स्वीकार नहीं है।'
भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सिंह ने इन अटकलों को दूर करने का प्रयास किया कि मोदी और उनके बीच कुछ गड़बड़ चल रही है। उन्होंने कहा, 'अगर मैंने किसी व्यक्ति से गहरे व्यक्तिगत और भावुक रिश्ते बना लिए हैं तो मैं उसे किसी भी तरह का नुकसान पहुंचाने की सोच भी नहीं सकता। मैं अपने किसी करीबी को केवल इसलिए नुकसान पहुंचाने का पाप करने की सोच भी नहीं सकता कि उसके साथ मेरे कुछ व्यक्तिगत मतभेद हो गए हैं। यह मेरी राजनीति नहीं है।'
राजनाथ सिंह हालांकि ऐसा आभास देते दिखे कि 'किन्हीं भ्रमों के चलते' कुछ लोगों को उनसे शिकायतें हो सकती है। उन्होंने कहा, 'मामलों को हल करने के लिए मैं उनसे बातचीत को तैयार हूं। उत्तर प्रदेश में मेरे मित्रों के दुश्मन बन जाने पर भी आपने देखा होगा कि मेरे आचरण में निरंतरता बनी रही है। मैं अपने खराब से खराब दुश्मन के प्रति भी किसी अपमानजनक शब्द का प्रयोग नहीं करता और कभी उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाता।' उन्होंने कहा कि मीडिया में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के बीच कथित मतभेदों की अटकलें 'इतिहास में बनी रहेंगी' और भविष्य अलग होगा तथा पूर्व को दोहराएगा नहीं।
गृहमंत्री ने कहा, 'इस इतिहास को यहीं खत्म करें और आगे बढ़ें। अटलजी और आडवाणीजी के बीच मीडिया में चल रही गलतफहमियों के बावजूद दोनों में बहुत सौहार्दपूर्ण और परस्पर सम्मान के रिश्ते रहे हैं।'
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