कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी (munawar faruqui) पर विवादित टिप्पणी करने के मामले ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं, लेकिन इस मामले में पुलिस कार्रवाई बेहद लचर नजर आ रही है. अब पता चला है कि हिंदू देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणियों के आरोप में हास्य कलाकार मुनव्वर फारुकी और अन्य के खिलाफ इंदौर में एफआईआर दर्ज होने को साल भर से ज्यादा वक्त बीत चुका है. लेकिन राज्य सरकार की मंजूरी न मिलने के कारण पुलिस जिला कोर्ट में अब तक आरोपपत्र पेश नहीं कर सकी है. पुलिस अफसरों का कहना है कि शहर के तुकोगंज थाने में जनवरी 2021 के दौरान दर्ज इस मामले में आईपीसी की धारा 295-ए (किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जान-बूझकर किए गए विद्वेषपूर्ण कार्य) के तहत आरोपपत्र पेश किए जाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार की मंजूरी का इंतजार है.
तुकोगंज थाने के प्रभारी कमलेश शर्मा ने कहा कि हमें मुनव्वर फारुकी और मामले में अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र पेश करने के लिए एमपी सरकार की मंजूरी अब तक नहीं मिली है. अभियोजन सूत्रों का कहना है कि मुकदमे में शुक्रवार को जिला अदालत में सुनवाई की तारीख तय थी और पुलिस को आरोप पत्र पेश करना था. लेकिन पिछली कुछ तारीखों की तरह इस तारीख को भी आरोप पत्र पेश नहीं किया जा सका. कोर्ट ने मुकदमे में अगली सुनवाई के लिए 10 मार्च की तारीख तय की है.
पुलिस अधिकारियों ने कहा कि मुकदमे में अदालत में आरोप पत्र पेश करने की अनुमति के लिए इंदौर पुलिस की ओर से राज्य सरकार को 29 जनवरी 2021 को पत्र भेजा गया था. उन्होंने सीआरपीसी के प्रावधानों के हवाले से बताया कि आईपीसी की धारा 295-ए के तहत दर्ज किसी मामले में अदालत में आरोपपत्र पेश किए जाने से पहले राज्य सरकार से अनुमति लिया जाना कानूनन जरूरी है.
उल्लेखनीय है कि पुलिस ने बीजेपी की एक स्थानीय विधायक के बेटे की शिकायत पर धार्मिक भावनाओं को कथित तौर पर आहत करने के मामले में फारुकी और चार अन्य लोगों को एक जनवरी 2021 की रात शहर के एक कैफे से गिरफ्तार किया था. फारुकी इंदौर के केंद्रीय जेल में न्यायिक हिरासत के तहत 35 दिन बंद रहे थे. उन्हें मामले में सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद छह फरवरी 2021 को देर रात जेल से रिहा किया गया था.
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