बारिश से मुंबई में जगह-जगह पानी भर जाने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
मुंबई:
भारी बारिश से मुंबई के लोग परेशान हैं और गुस्से में भी हैं. शहर में जगह-जगह पानी भर गया, रास्ते बंद हो गए और सड़कों ने नालों का स्वरूप ले लिया. मुंबई वासी शहर की इस हालात के लिए बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) और उसके घटिया काम को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. उनका कहना है कि घटिया कम की वजह से ही सड़कों से लेकर रेल की पटरियां तक सब पानी में डूब गईं.
मंगलवार को 331.4 मिली बारिश हुई थी जो 26 जुलाई 2005 को हुई 944 मिमी बरसात के बाद से सर्वाधिक है. लगातार हो रही बारिश में डूबी मुंबई के हजारों वाशिंदे जहां थे वहीं फंसे रह गए. कमर तक पानी में डूबे अपने घरों की ओर जाने के लिए संघर्ष कर रहे लोगों ने बताया कि इसका जिम्मेदार देश का सबसे अमीर नगरीय निकाय है.
महानगरपालिका के दावों में सबसे ऊपर होता था नालों की सफाई. कहा जाता था कि मानसून से पहले नालों की सफाई की जा चुकी है और इस पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं. नगरीय निकाय पर लगभग दो दशक से शिवसेना काबिज है.
यह भी पढ़ें : मुंबई के भिंडी बाजार में गिरी इमारत, 30-35 लोगों के फंसे होने की आशंका
आवास से जुड़े मुद्दों को उठाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता विनोद संपत ने कहा, ‘‘ आज सबसे ज्यादा जरूरी है जवाबदेही तय करना. बीएमसी और इसके शासकों ने पहले भी हुई इस तरह की घटनाओं से सबक नहीं लिया. वे इसका ठीकरा एक दूसरे पर फोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. जलभराव तथा अन्य समस्याओं के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए.’’
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पूर्व पत्रकार और पद्मश्री से सम्मानित सुचेता दलाल ने कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार बेतरतीब विकास को छोड़कर पारिस्थितिकीय रूप से संतुलित शहर के लिए काम करे. उन्होंने कहा, ‘‘हरित क्षेत्रों जैसे आरे कॉलोनी, बोरीवली राष्ट्रीय उद्यान आदि पर अतिक्रमण के प्रयास हो रहे हैं.’’ कार्यकर्ता एस बालकृष्णन ने कहा कि बंबई उच्च न्यायालय के दखल के बावजूद बीएमसी अपना काम नहीं कर रही.
प्रैक्टिसिंग इंजीनियर्स आर्किटेक्ट्स एंड टाउन प्लानर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष शिरीष सुखतामे ने कहा कि हर एक नाला कचरा डालने का भूमिगत केंद्र बन गया है. उन्होंने नालों की सफाई में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया. सुखतामे ने पूछा कि नालों की सफाई साल में एक बार ही क्यों होती है, इसे नियमित रूप से क्यों नहीं किया जाता.
VIDEO : मुंबई में इमारत ढही
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा था कि यह कहना गलत होगा कि नालों की सफाई ठीक ढंग से नहीं हुई. जबकि महानगर पालिका के आयुक्त अजय मेहता ने कहा कि पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष जलभराव के मामले कम रहे.
(इनपुट भाषा से)
मंगलवार को 331.4 मिली बारिश हुई थी जो 26 जुलाई 2005 को हुई 944 मिमी बरसात के बाद से सर्वाधिक है. लगातार हो रही बारिश में डूबी मुंबई के हजारों वाशिंदे जहां थे वहीं फंसे रह गए. कमर तक पानी में डूबे अपने घरों की ओर जाने के लिए संघर्ष कर रहे लोगों ने बताया कि इसका जिम्मेदार देश का सबसे अमीर नगरीय निकाय है.
महानगरपालिका के दावों में सबसे ऊपर होता था नालों की सफाई. कहा जाता था कि मानसून से पहले नालों की सफाई की जा चुकी है और इस पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं. नगरीय निकाय पर लगभग दो दशक से शिवसेना काबिज है.
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आवास से जुड़े मुद्दों को उठाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता विनोद संपत ने कहा, ‘‘ आज सबसे ज्यादा जरूरी है जवाबदेही तय करना. बीएमसी और इसके शासकों ने पहले भी हुई इस तरह की घटनाओं से सबक नहीं लिया. वे इसका ठीकरा एक दूसरे पर फोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. जलभराव तथा अन्य समस्याओं के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए.’’
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पूर्व पत्रकार और पद्मश्री से सम्मानित सुचेता दलाल ने कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार बेतरतीब विकास को छोड़कर पारिस्थितिकीय रूप से संतुलित शहर के लिए काम करे. उन्होंने कहा, ‘‘हरित क्षेत्रों जैसे आरे कॉलोनी, बोरीवली राष्ट्रीय उद्यान आदि पर अतिक्रमण के प्रयास हो रहे हैं.’’ कार्यकर्ता एस बालकृष्णन ने कहा कि बंबई उच्च न्यायालय के दखल के बावजूद बीएमसी अपना काम नहीं कर रही.
प्रैक्टिसिंग इंजीनियर्स आर्किटेक्ट्स एंड टाउन प्लानर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष शिरीष सुखतामे ने कहा कि हर एक नाला कचरा डालने का भूमिगत केंद्र बन गया है. उन्होंने नालों की सफाई में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया. सुखतामे ने पूछा कि नालों की सफाई साल में एक बार ही क्यों होती है, इसे नियमित रूप से क्यों नहीं किया जाता.
VIDEO : मुंबई में इमारत ढही
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा था कि यह कहना गलत होगा कि नालों की सफाई ठीक ढंग से नहीं हुई. जबकि महानगर पालिका के आयुक्त अजय मेहता ने कहा कि पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष जलभराव के मामले कम रहे.
(इनपुट भाषा से)
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