मुंबई में मेट्रो कारशेड बनाने के लिए आरे के कई पेड़ों को काट दिया गया था. काटे गए पेड़ों की जगह नए पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने का दावा भी किया गया था. लेकिन जो पेड़ लगाए थे काश उनके रखरखाव पर भी ध्यान दिया गया होता. इस बीच एनडीटीवी इंडिया पहुंचा आरे की उस साइट पर जहां मेट्रो ने पेड़ों के ट्रांसप्लांट किए जाने का दावा किया था. लेकिन एक्टिविस्ट ने दावा किया है कि ट्रांसप्लांट किए गए 61% पेड़ मर चुके हैं.
बता दें, कोलाबा से अंधेरी तक मेट्रो-3 प्रोजेक्ट के लिए MMRCL ने आरे के जंगलों से 1500 पेड़ों को उखाड़ा था. इनमें से 1066 पेड़ अलग-अलग स्थानों में लगाए गए इनमें से 684 पेड़ सूख गए हैं. ये दावा किया है पेडों के मुआयना के लिये बॉम्बे हाई कोर्ट की तरफ से बनाई गई इंस्पेक्शन कमिटी के साथ आरे के अंदर गए एक्टिविस्ट जोरू भथेना ने. इधर, आरे में डिपो साइट पर अब भी कड़ा पहरा है. मीडिया को रोके जाने की तस्वीर भी हमने कैमरे में क़ैद की.
मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड की ओर से फिलहाल इसपर कोई बयान नहीं आया है. लेकिन अगले महीने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान काटे गए पेड़ों के साथ, ट्रांसप्लांट किये गए और नए पेड़ों की स्थिति भी कोर्ट के सामने रखनी होगी.
Aarey Case: सुप्रीम कोर्ट और पेड़ न काटने के फैसले पर बरकरार, नहीं रुकेगा निर्माण कार्य
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने उस अंतरिम आदेश की अवधि को आगे बढ़ा दिया जिसके तहत उसने मुंबई की आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड की स्थापना के लिए पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी थी. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि वह दिसंबर में मामले की विस्तार से सुनवाई करेगी. न्यायालय ने 21 अक्टूबर को स्पष्ट किया था कि आरे कॉलोनी में मुंबई मेट्रो ट्रेन शेड के निर्माण पर कोई रोक नहीं है लेकिन यथास्थिति आदेश केवल पेड़ों की कटाई पर लागू है. न्यायालय ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) से मुंबई के प्रमुख हरित इलाके में काटे गए पेड़ों और नए लगाए गए पेड़ों के संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था. हरित कार्यकर्ता और स्थानीय निवासी पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे हैं.
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