
10 राज्यों में खिलाड़ियों को नौकरी की कोई गारंटी नहीं है.
नई दिल्ली:
एशियन खेलों में भारत पदक जीतने के मामले में 8वें नंबर पर रहा है. सबसे ऊपर चीन और दूसरे नंबर जापान रहा है. कहा जाता है शांति के दिनों में खिलाड़ी ही देश के दमखम को दिखाते हैं. ऐसा माना जाता है कि जो देश जितना विकसित और मजबूत होता है उसके खिलाड़ी ओलिंपिक में उतना ही अच्छा प्रदर्शन करते हैं. यही वजह है कि ओलिंपिक में हम हर बार अमेरिका और चीन के बीच होड़ और विवाद की खबरें सुनते हैं. ओलिंपिक की पदक तालिका अगर उठाकर देखें तो इन्हीं देशों के बीच टक्कर रहती है और ये देश खिलाड़ी को हर तरह की सुविधा देने के लिये तैयार रहते हैं और इनके पास एक समान खेल नीति भी है. लेकिन इन सब के बीच अगर हम भारत की बात करें तो एशियन खेलों से ही अंदाजा लगा सकते हैं. ऐसा नही है कि भारत में प्रतिभाओं की कमी है जरूरत ये है कि हमारे यहां इन पर कोई ध्यान देने वाला नहीं है.
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एशियन खेलों में पदक जीतने वाले ज्यादातर खिलाड़ी छोटे शहरों और गांवों के हैं. लेकिन प्रोत्साहित करने की नीति का भी आप अंदाजा लगा सकते हैं कि 30 राज्यों में सिर्फ 4 राज्य ही ऐसे हैं जो पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को प्राइज मनी और नौकरी देते हैं. 10 राज्यों में तो ऐसा कोई नियम ही नही है. कई प्रतिभाएं ऐसी हैं जो राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय पदक जीतने के बावजूद मजदूरी करते हैं. एथलेटिक्स की हेप्टाथलान इवेंट में स्वर्ण पदक जीतने वाली स्वप्ना बर्मन को पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने मात्र 10 लाख रुपये इनाम के रूप में देने की घोषणा की है. दूसरी ओर, एशियाई खेलों की 3000 मीटर स्टीपलचेस इवेंट में रजत पदक जीतने के बावजूद उत्तर प्रदेश की सुधा सिंह अपने राज्य की सरकार से स्वप्ना से अधिक राशि पाने में सफल रही हैं. सुधा को यूपी सरकार ने 30 लाख रुपये का इनाम और राजपत्रित अधिकारी के तौर पर नौकरी देने की घोषणा की है. स्वाभाविक है कि हर राज्य में पुरस्कार राशि अलग-अलग है. इससे दूसरे खिलाड़ियों की तुलना में कम इनामी राशि पाने वाले पदक विजेताओं का मनोबल प्रभावित होता है.
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ये राज्य नौकरी के साथ देते हैं प्राइज मनी
2 राज्यो में केवल नौकरी
उत्तर प्रदेश में सभी को क्लास-2 और कर्नाटक में सभी को क्लास-1 की नौकरी दी जाती है. इसके अलावा राज्य सरकार की ओर से पदक विजेताओं को नकद राशि देने की घोषणा भी की जाती है.
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10 राज्यों में नौकरी की गारंटी नहीं
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, सिक्कम, नगालैंड, गोवा, त्रिपुरा, बंगाल और मणिपुर.
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एशियन खेलों में पदक जीतने वाले ज्यादातर खिलाड़ी छोटे शहरों और गांवों के हैं. लेकिन प्रोत्साहित करने की नीति का भी आप अंदाजा लगा सकते हैं कि 30 राज्यों में सिर्फ 4 राज्य ही ऐसे हैं जो पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को प्राइज मनी और नौकरी देते हैं. 10 राज्यों में तो ऐसा कोई नियम ही नही है. कई प्रतिभाएं ऐसी हैं जो राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय पदक जीतने के बावजूद मजदूरी करते हैं. एथलेटिक्स की हेप्टाथलान इवेंट में स्वर्ण पदक जीतने वाली स्वप्ना बर्मन को पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने मात्र 10 लाख रुपये इनाम के रूप में देने की घोषणा की है. दूसरी ओर, एशियाई खेलों की 3000 मीटर स्टीपलचेस इवेंट में रजत पदक जीतने के बावजूद उत्तर प्रदेश की सुधा सिंह अपने राज्य की सरकार से स्वप्ना से अधिक राशि पाने में सफल रही हैं. सुधा को यूपी सरकार ने 30 लाख रुपये का इनाम और राजपत्रित अधिकारी के तौर पर नौकरी देने की घोषणा की है. स्वाभाविक है कि हर राज्य में पुरस्कार राशि अलग-अलग है. इससे दूसरे खिलाड़ियों की तुलना में कम इनामी राशि पाने वाले पदक विजेताओं का मनोबल प्रभावित होता है.
...तो संजीता चानू से छीन लिया जाएगा स्वर्ण पदक
ये राज्य नौकरी के साथ देते हैं प्राइज मनी
- हरियाणा- गोल्ड जीतने पर 3 करोड़ और क्लास वन की नौकरी, सिल्वर जीतने पर 1.5 करोड़ और क्लास-2 की नौकरी, कांस्य जीतने पर 75 लाख और क्लास-3 की नौकरी.
- असम- गोल्ड पर 50 लाख, सिल्वर पर 30 लाख और कांस्य पर 20 लाख और सभी को क्लास-2 की नौकरी
- गुजरात- गोल्ड पर 2 करोड़, सिल्वर पर 1 करोड़ और कांस्य पर 50 लाख रुपये. गोल्ड को क्लास-1 और बाकी को क्लास-2 की नौकरी.
- महाराष्ट्र- गोल्ड-10 लाख, स्वर्ण-7.5 लाख और कांस्य-5 लाख. नौकरी सबको योग्यता के मुताबिक.
2 राज्यो में केवल नौकरी
उत्तर प्रदेश में सभी को क्लास-2 और कर्नाटक में सभी को क्लास-1 की नौकरी दी जाती है. इसके अलावा राज्य सरकार की ओर से पदक विजेताओं को नकद राशि देने की घोषणा भी की जाती है.
इसलिए कॉमनवेल्थ गेम्स को लेकर पीवी सिंधु खुद पर दबाव नहीं बनाना चाहतीं
10 राज्यों में नौकरी की गारंटी नहीं
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, सिक्कम, नगालैंड, गोवा, त्रिपुरा, बंगाल और मणिपुर.
रणनीति इंट्रो : खेल का राजनीतिकरण?
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