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This Article is From Mar 26, 2012

अन्ना टीम के कमेंट्स पर भड़के सांसद

नई दिल्ली: गांधीवादी नेता अन्ना हजारे के रविवार को जंतर मंतर पर एकदिवसीय उपवास के दौरान उनकी टीम के कुछ सदस्यों द्वारा सांसदों के खिलाफ की गयी कथित अभद्र टिप्पणियों पर लोकसभा में सोमवार को विपक्ष की नेता सहित अनेक सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जतायी और इसके खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित करने की पुरजोर मांग की।

जनता दल यू के शरद यादव ने टीम अन्ना को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि ये लोग लोकतंत्र के खिलाफ काम कर रहे हैं और संसद के बाहर पूरे लोकतंत्र को गाली दे रहे हैं। उन्होंने उपाध्यक्ष से इस बारे में निंदा प्रस्ताव पारित कराए जाने की पुरजोर मांग की।

उन्होंने कहा कि अन्ना के कल के कार्यक्रम में उनके उस भाषण को तोड़मरोड़ कर पेश किया गया जिसे उन्होंने लोकसभा में दिया था। उन्होंने कहा कि हमीं लोगों ने अन्ना हजारे को गिरफ्तारी से बचाने के लिए संसद में आवाज उठायी थी और सबसे पहले उनके मंच पर जाकर उनके आंदोलन का समर्थन किया था।

शरद यादव ने आक्रोशित लहजे में कहा, ‘हम 30 साल से राजनीति में हैं, जिंदगीभर भ्रष्टाचार से लड़े हैं, ये क्या भ्रष्टाचार से लड़ेंगे’? उन्होंने कहा कि जब टीम अन्ना के सदस्य सांसदों के खिलाफ अनाप शनाप बोल रहे थे तो अन्ना हजारे वहीं बैठे थे और उन्होंने उन्हें रोका नहीं।

शरद यादव ने आसन से सवाल किया कि सांसदों पर इस प्रकार हमला हो रहा है तो कौन उन्हें बचाएगा? कौन रक्षा करेगा? उन्होंने टीम अन्ना के आचरण को मर्यादाहीन बताया।

जद यू नेता ने कहा कि टीम अन्ना सांसदों और संसद पर सवाल उठाती है लेकिन यही संसद है जिसने 27 लोगों को भ्रष्टाचार के मामलों में जेल भिजवाया। 2 जी स्पैक्ट्रम का मामला इसी संसद ने उठाया।

उन्होंने कहा, ‘भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे अधिक यही लोकसभा लड़ी है। ये जो बाहर बैठे हैं इन्होंने किसको जेल भिजवाया है, बताएं?

कांग्रेस के संजय निरूपम ने भी टीम अन्ना की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि शुरूआत में यह भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन लग रहा था लेकिन अब साफ हो गया है कि ये आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ नहीं बल्कि लोकतंत्र और संसद के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि तमाम तकलीफों के बावजूद हिंदुस्तान ने उल्लेखनीय तरक्की की है जिससे आज अंतरराष्ट्रीय जगत में ईर्ष्या की जा रही है।

निरूपम ने कहा कि इस पूरे आंदोलन की जांच कराए जाने की जरूरत है कि कहीं यह देश के लोकतंत्र को ध्वस्त करने के लिए विदेशी ताकतों की साजिश तो नहीं है।

उन्होंने साथ ही कहा कि इस आंदोलन में गैर सरकारी संगठनों की भूमिका की भी जांच करायी जानी चाहिए।

निरूपम ने टीम अन्ना के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित करने और लोकपाल विधेयक पर सभी दलों के एक साथ बैठकर कोई रास्ता निकालने की मांग की।

माकपा के वासुदेव आचार्य ने कहा कि यह संसद की मर्यादा का सवाल है। उन्होंने कहा कि टीम अन्ना तो आज लोकपाल की मांग कर रही है जबकि वामदल तो पिछले 30 सालों से मजबूत लोकपाल की मांग कर रहे हैं।

सपा के शैलेन्द्र कुमार ने टीम अन्ना के व्यवहार की निंदा की और सभी सांसदों से संवैधानिक मंदिर की रक्षा के लिए एकजुटता के साथ आगे आने की अपील की।

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