पुराने पड़ चुके कानूनों को समाप्त करने के मकसद से लोकसभा में आज एक विधेयक पेश किया गया, जिसके तहत 36 ऐसे कानूनों को निरस्त करने और दो अन्य में आंशिक संशोधन करने का प्रावधान किया गया है।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन में इस बारे में निरसनकारी और संशोधनकारी विधेयक 2014 पेश किया। विधेयक में कुछ ऐसे संशोधित अधिनियमों और मुख्य अधिनियमों को समाप्त करने की बात कही गयी है जो अपनी उपयोगिता खो चुके हैं। वर्ष 2001 के बाद से यह पहली बार है जब विधि मंत्रालय इस प्रकार की कार्रवाई कर रहा है।
विधेयक के जरिए व्हिस्लब्लोअर विधेयक के पारित होने के दौरान विधि मंत्रालय द्वारा की गई एक मामूली गलती को सुधारने के लिए भी संशोधन लाया गया है। यह विधेयक इस वर्ष मई में कानून बना था और इसे '2014' के बजाय 'व्हिस्लब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट 2011' कहा जा रहा था। जिन कानूनों को इसमें निरस्त करने की बात कही गई है, उनमें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, विवाह अधिनियम, निर्वाचन कानून, तलाक कानून, आनंद विवाह अधिनियम तथा सबूत अधिनियम में किए गए संशोधन शामिल हैं।
इसमें दो ऐसे कानून भी हैं जो पूरी तरह समाप्त हो जाएंगे, जिनमें विदेश न्याधिकार क्षेत्र अधिनियम 1947 और शूगर अंडरटेकिंग (टेकिंग ओवर मैनेजमेंट) अधिनियम शामिल हैं।
इस विधेयक के बाद सरकार संसद के अगले सत्र में ऐसे ही अन्य कानूनों को रद्द करने के लिए फिर से कदम उठाएगी। 1950 से 2001 के बीच सैंकड़ों पुराने पड़ चुके कानून निरस्त किए गए हैं।
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