मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार और पेशेवर कदाचार के आरोप में आयकर विभाग के 12 वरिष्ठ अधिकारियों को सेवा से जबरन रिटायर कर दिया है. इनमें आयुक्त और संयुक्त आयुक्त स्तर के अधिकारी भी शामिल हैं. सूत्रों ने यह जानकारी दी. इस सूची में शामिल एक निलंबित संयुक्त आयुक्त के खिलाफ स्वयंभू धर्मगुरु चंद्रास्वामी की मदद करने के आरोपी एक व्यवसायी से जबरन वसूली तथा भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायतें हैं. सूत्रों ने बताया कि नोएडा में तैनात आयुक्त (अपील) के पद का कए आईआरएस अधिकारी भी हैं. उस पर आयुक्त स्तर की दो महिला आईआरएस अधिकारियों के यौन उत्पीड़न का आरोप है.
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एक अन्य आईआरएस अधिकारी ने अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर 3.17 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्ति अर्जित की थी. यह संपत्ति कथित तौर पर पद का दुरुपयोग करके और भ्रष्ट एवं गैर-कानूनी तरीकों से अर्जित की गई थी. इस अधिकारी को समय से पहले सेवानिवृत्ति लेने का निर्देश दिया गया है. आयकर विभाग के एक आयुक्त के खिलाफ सीबीआई की भ्रष्टाचार रोधी शाखा ने आय से अधिक का मामला दर्ज किया था और उन्हें अक्टूबर 2009 में सेवा से निलंबित कर दिया था. उन्हें भी सरकार ने अनिवार्य सेवानिवृत्त लेने के लिए कहा है.
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एक अन्य अफसर जो भ्रष्टाचार और जबरन वसूली में लिप्त था और कई गलत आदेश पारित किए थे. इन आदेशों को बाद में अपीलीय प्राधिकरण ने पलट दिया था. उसे भी सेवा से बर्खास्त किया गया है. आयुक्त स्तर के एक अन्य अधिकारी पर मुखौटा कंपनी के मामले में एक व्यवसायी को राहत देने के एवज में 50 लाख रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप लगा था. इसके अलावा उसने पद का दुरुपयोग करके चल/अचल संपत्ति इकट्ठा करने का आरोप लगा था. उसे भी जबरिया सेवानिवृत्ति कर दिया गया है.
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(इनपुट: भाषा)
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