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This Article is From Feb 08, 2021

सरकार ने Twitter से किसान आंदोलन पर ट्वीट कर रहे कथित खालिस्तान, पाकिस्तान समर्थित हैंडल्स हटाने को कहा : सूत्र

देश की सुरक्षा एजेंसियों ने 1178 ट्विटर हैंडल्स को खालिस्तान समर्थकों, पाकिस्तान से समर्थित और विदेश से ऑपरेट होने वाले हैंडल्स के तौर पर चिन्हित किया था. सरकार ने 4 फरवरी को ट्विटर से इन हैंडल्स को हटाने को कहा था.

सरकार ने Twitter से किसान आंदोलन पर ट्वीट कर रहे कथित खालिस्तान, पाकिस्तान समर्थित हैंडल्स हटाने को कहा : सूत्र
सूचना मंत्रालय ने Twitter को सौंपी है 1178 ट्विटर हैंडल्स की लिस्ट. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय ने 4 फरवरी, 2021 को ट्विटर के साथ 1178 ट्विटर अकाउंट की लिस्ट माइक्रोब्लॉगिंग साइट कंपनी Twitter के साथ साझा की थी. इन अकाउंट्स को सुरक्षा एजेंसियों ने खालिस्तान समर्थकों, पाकिस्तान से समर्थित और विदेश से ऑपरेट होने वाले हैंडल्स के तौर पर चिन्हित किया था. सरकार ने ट्विटर से इन हैंडल्स को हटाने को कहा था. सरकारी सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है. आशंका थी कि ये हैंडल्स किसान आंदोलन की आड़ में भारत में सामाजिक और कानून व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के लिए काम कर रहे थे. सरकार ने कहा है कि इन अकाउंट्स में से बहुत से अकाउंट्स ऑटोमेटेड बॉट्स थे जो आंदोलन से जुड़ी भ्रामक और भड़काऊ सामग्री तेजी से फैला रहे थे. हालांकि, सूत्रों के हवाले से जानकारी है कि ट्विटर ने अभी तक इस आदेश का पालन नहीं किया है.

बता दें कि 31 जनवरी, 2021 को भी मंत्रालय ने 257 ट्विटर अकाउंट्स का लिंक ट्विटर को भेजा था और उन्हें ब्लॉक करने को कहा था क्योंकि वो किसानों के नरसंहार को लेकर भड़काऊ ट्वीट कर रहे थे. ट्विटर ने इन अकाउंट्स को ब्लॉक कर दिया था लेकिन कुछ घंटों बाद इन्हें अनब्लॉक कर दिया गया था. ऐसे में जब ट्विटर ने पिछले आदेश का पूरी तरह पालन नहीं किया है, तब सरकार ने उन्हें एक नया आदेश देते हुए इन 1178 अकाउंट्स को हटाने को कहा है. 

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यहां यह भी ध्यान देने वाली बात है कि कुछ दिनों पहले ट्विटर के ग्लोबल CEO जैक डॉर्सी ने किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट करने वाले कुछ विदेशी सेलेब्रिटीज़ के ट्वीट को लाइक किया था. ऐसे में इसके ऊपर सरकार के आदेश को न मानने की बात कई सवाल खड़े करती है. इससे उनकी तटस्थता पर सवाल उठाए जा रहे हैं.

खास बात है कि ट्विटर सरकार के इस ऑर्डर के खिलाफ भारत के किसी कोर्ट भी नहीं पहुंचा है. किसी भी कंपनी के पास यह अधिकार होता है कि वो अगर सरकार के किसी आदेश का पालन नहीं कर सकती है तो वो इसके खिलाफ कोर्ट में चुनौती दाखिल कर सकती है.

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