लॉकडाउन की वजह से बड़े पैमाने पर प्रवासी मजदूर शहरों से गांव की ओर पलायित हुए. अब सरकार इन मजदूरों के लिए बड़ी योजना की तैयारी में है. पीएमओ ने सभी मंत्रालयों से दो हफ़्तों के भीतर प्रस्ताव मांगे हैं. देश भर के ऐसे 116 जिलों की पहचान की हैं जहां सबसे अधिक श्रमिक वापस आए हैं. ये जिले 6 राज्यों बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, ओड़िसा और राजस्थान में हैं. केंद्र सरकार की तरफ से चयनित 116 जिलों में सबसे ज्यादा 32 जिले बिहार के हैं. उसके बाद उत्तर प्रदेश के 31 जिले, मध्यप्रदेश के 24, राजस्थान के 22 जिले, झारखंड के 3 और ओड़िसा के 4 जिले हैं. इन जिलों के प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के कारण रोजी-रोटी और रोजगार गंवा चुके हैं.
सरकार की इस योजना के तहत कोरोना लॉकडाउन के दौरान अपने राज्यों और गांवों को लौटे मजदूरों के पुनर्वास और रोजगार के लिए इन 116 जिलों में केंद्र सरकार की सामाजिक कल्याण और डायरेक्ट बेनिफिट स्कीमों को तेजी से मिशन मोड में चलाया जाएगा. सरकार का लक्ष्य है कि घर लौटे श्रमिकों के लिए आजीविका, रोजगार और गरीब कल्याण सुविधाओं का लाभ सुनिश्चित किया जा सके. इन जिलों में मनरेगा,जनधन योजना, किसान कल्याण योजना, खाद्य सुरक्षा योजना, पीएम आवास योजना, कौशल विकास समेत अन्य केंद्रीय योजनाओं के तहत मिशन मोड में काम होगा. इसके साथ ही हाल ही में घोषित आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत भी इन जिलों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही बाकी केंद्रीय योजनाओं को भी टारगेटेड तरीके से लागू किया जाएगा.
सभी जिलों में वापस आए श्रमिकों का डाटा सरकार ने तैयार कर लिया है. हर जिले में कितने श्रमिक वापस आए हैं सरकार ने इसकी जानकारी भी जुटा ली है. यूपी के सिद्धार्थनगर और बिहार के पूर्वी चंपारण में सबसे अधिक डेढ़ लाख से भी ज्यादा श्रमिक वापस आए हैं. बिहार के आठ जिलों में एक लाख से भी अधिक श्रमिक वापस आए हैं. वहीं बात करें अन्य प्रदेशों की तो आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के दो, मध्य प्रदेश और ओड़िसा के एक-एक, राजस्थान के तीन जिलों में एक लाख से अधिक श्रमिक वापस आए हैं.
Video: MA और BBA पास भी अब मनरेगा मजदूर
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