नई दिल्ली:
मोदी सरकार ने बुधवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति को मंजूरी दे दी . इस नीति के जरिए देश में 'सभी को निश्चित स्वास्थ्य सेवाएं' मुहैया कराने का प्रस्ताव है. सरकारी सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने पिछले दो साल से लंबित स्वास्थ्य नीति को मंजूरी दे दी. केंद्रीय मंत्री जे पी नड्डा कल संसद में स्वत: एक बयान देकर इस नीति के अहम पहलुओं की जानकारी दे सकते हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि एक बड़े नीतिगत बदलाव के तहत यह नीति प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) स्तर के दायरे में आने वाले सेक्टरों के फलक को बढ़ाती है और एक विस्तृत रूख का रास्ता तैयार करती है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "उदाहरण के तौर पर - अब तक पीएचसी सिर्फ टीकाकरण, प्रसूति-पूर्व जांच एवं अन्य के लिए होते थे . लेकिन अब बड़ा नीतिगत बदलाव यह है कि इसमें गैर-संक्रामक रोगों की जांच और कई अन्य पहलू भी शामिल होंगे.' सूत्रों ने बताया कि नई नीति के तहत जिला अस्पतालों के उन्नयन पर ज्यादा ध्यान होगा और पहली बार इसे अमल में लाने की रूपरेखा तैयार की जाएगी .
इससे पहले केंद्रीय कैबिनेट की पिछली बैठक दो बैठैकों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति पर फैसला टाल दिया गया था. वैसे मंत्रिमंडल के एजेंडे में स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाने का जिक्र नहीं था क्योंकि इसके कानूनी नतीजे होंगे लेकिन यह पक्की स्वास्थ्य सेवाओं को प्रस्तावित करता है. इससे पहले वर्ष 1983 और 2002 में भी सरकार स्वास्थ्य नीति लेकर आई थी. सरकार उन नीतियों के अंतर्गत बनाए गए लक्ष्य पंचवर्षीय योजनाओं के आधार पर हासिल करने में असफल रही. फिलहाल देश में 2002 की स्वास्थ्य नीति लागू है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि एक बड़े नीतिगत बदलाव के तहत यह नीति प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) स्तर के दायरे में आने वाले सेक्टरों के फलक को बढ़ाती है और एक विस्तृत रूख का रास्ता तैयार करती है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "उदाहरण के तौर पर - अब तक पीएचसी सिर्फ टीकाकरण, प्रसूति-पूर्व जांच एवं अन्य के लिए होते थे . लेकिन अब बड़ा नीतिगत बदलाव यह है कि इसमें गैर-संक्रामक रोगों की जांच और कई अन्य पहलू भी शामिल होंगे.' सूत्रों ने बताया कि नई नीति के तहत जिला अस्पतालों के उन्नयन पर ज्यादा ध्यान होगा और पहली बार इसे अमल में लाने की रूपरेखा तैयार की जाएगी .
इससे पहले केंद्रीय कैबिनेट की पिछली बैठक दो बैठैकों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति पर फैसला टाल दिया गया था. वैसे मंत्रिमंडल के एजेंडे में स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाने का जिक्र नहीं था क्योंकि इसके कानूनी नतीजे होंगे लेकिन यह पक्की स्वास्थ्य सेवाओं को प्रस्तावित करता है. इससे पहले वर्ष 1983 और 2002 में भी सरकार स्वास्थ्य नीति लेकर आई थी. सरकार उन नीतियों के अंतर्गत बनाए गए लक्ष्य पंचवर्षीय योजनाओं के आधार पर हासिल करने में असफल रही. फिलहाल देश में 2002 की स्वास्थ्य नीति लागू है.
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