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This Article is From May 07, 2020

कोरोना के इलाज के लिए सरकार ने गंगाजल का उपयोग करने का दिया प्रस्ताव, ICMR ने यह कहकर ठुकराया कि...

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने तय किया है कि वह कोविड-19 के मरीजों के उपयोग में गंगाजल के उपयोग पर क्लिनिकल अनुसंधान करने के जल शक्ति मंत्रालय के प्रस्ताव पर आगे नहीं बढ़ेगा.

कोरोना के इलाज के लिए सरकार ने गंगाजल का उपयोग करने का दिया प्रस्ताव, ICMR ने यह कहकर ठुकराया कि...
प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने तय किया है कि वह कोविड-19 के मरीजों के उपयोग में गंगाजल के उपयोग पर क्लिनिकल अनुसंधान करने के जल शक्ति मंत्रालय के प्रस्ताव पर आगे नहीं बढ़ेगा. परिषद का कहना है कि इसके लिए उसे और वैज्ञानिक आंकड़ों की जरुरत है.आईसीएमआर में अनुसंधान प्रस्तावों का मूल्यांकन करने वाली समिति के प्रमुख डॉक्टर वाई. के. गुप्ता ने कहा कि फिलहाल उपलब्ध आंकड़े इतने पुख्ता नहीं हैं कि कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज के लिए विभिन्न स्रोतों और उद्गमों से गंगाजल पर क्लिनिकल अनुसंधान किया जाए.


अधिकारियों ने बताया कि जल शक्ति मंत्रालय के तहत आने वाले ‘राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन' को गंगा नदी पर काम करने वाले विभिन्न लोगों और गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) से कई प्रस्ताव मिले हैं जिनमें कोविड-19 मरीजों के इलाज में गंगाजल के उपयोग पर क्लिनिकल अनुसंधान करने का अनुरोध किया गया है. उन्होंने बताया कि इन प्रस्तावों को आईसीएमआर को भेज दिया गया.एम्स के पूर्व डीन गुप्ता ने बताया, ‘‘वर्तमान में इन प्रस्तावों पर काम करने के लिए वैज्ञानिक आंकड़ों/तथ्यों, विचार और मजबूत अवधारणा की जरुरत है. उन्हें (मंत्रालय) को यह सूचित कर दिया गया है.''
गंगा मिशन के अधिकारियों ने बताया कि इन प्रस्तावों पर राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) के वैज्ञानिकों के साथ चर्चा की गई थी. गौरतलब है कि नीरी ने ‘गंगा नदी के विशेष गुणों को समझने के लिए उसके जल की गुणवत्ता और गाद'' का अध्ययन किया था.


नीरी के अध्ययन के मुताबिक, गंगा जल में बीमारी पैदा करने वाले जीवाणुओं (बैक्टीरिया) के मुकाबले जीवाणुभोजी विषाणुओं (वायरस) की संख्या कहीं ज्यादा है. गंगा मिशन और नीरी के बीच हुई चर्चा के दौरान वैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि अभी इसका कोई साक्ष्य नहीं है कि गंगाजल या गंगा की गाद में विषाणु-रोधी गुण हैं.गंगा मिशन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘हमें प्रस्ताव जिस रूप में मिले थे, हमने उन्हें आईसीएमआर को भेज दिया.''गंगा मिशन को मिले प्रस्तावों में से एक में दावा किया गया है कि गंगाजल में ‘निंजा वायरस' होता है जो जीवाणुभोजी है.


एक अन्य प्रस्ताव में दावा किया गया है कि शुद्ध गंगाजल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, इससे वायरस से लड़ने में मदद मिलेगी.विस्तृत जानकारी के साथ आए तीसरे प्रस्ताव में अनुरोध किया गया है कि गंगाजल के विषाणु-रोधी और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के गुणो पर अध्ययन किया जाना चाहिए.गंगा मिशन के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें अपने प्रस्तावों पर अभी तक आईसीएमआर से कोई आधिकारिक उत्तर नहीं मिला है.
 

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