लखीमपुर खीरी केस : हाईकोर्ट ने इन पहलुओं के आधार पर 'मंत्री पुत्र' आशीष मिश्रा को दी जमानत

यूपी के लखीमपुर खीरी में किसानों की हत्‍या के केस में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को हाईकोर्ट ने जमानत दी है.

लखनऊ:

यूपी के लखीमपुर खीरी में किसानों की 'हत्‍या' के केस में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा के खिलाफ पुलिस इनवेस्‍टीगेशन को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. कोर्ट ने आशीष को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. आशीष मिश्रा को जमानत के आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस पर सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने कहा कि FIR में आशीष मिश्रा को फायरिंग करने वाला बताया गया लेकिन किसी को भी गोली की चोट नहीं मिली. जीप चालक को प्रदर्शनकारियों को कुचलने के लिए उकसाने वाला बताया लेकिन चालक और अन्य को प्रदर्शनकारियों ने मार डाला. मामले की जांच में भी आशीष मिश्रा शामिल हुआ. हाईकोर्ट ने धारा 144 के बावजूद हजारों की भीड़ जुटने पर भी जिला प्रशासन पर सवाल उठाए. कोर्ट ने कहा कि अगर अभियोजन की बात मानें कि हजारों लोग जमा हो गए थे तो इस बात की संभावना भी हो सकती है कि चालक ने खुद को बचाने के लिए वाहन को तेज करने की कोशिश की जिसके कारण घटना हुई.

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हाईकोर्ट ने कहा कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को पूरी तरह से देखते हुए, यह स्पष्ट है कि FIR के अनुसार, प्रदर्शनकारियों को मारने के लिए आशीष मिश्रा ने फायरिंग की लेकिन जांच के दौरान, किसी भी मृतक या किसी घायल व्यक्ति के शरीर पर पर गोली की चोट नहीं मिली थी. इसके बाद, अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि आशीष ने प्रदर्शनकारियों को कुचलने के लिए वाहन के चालक को उकसाया. हालांकि, वाहन में सवार दो अन्य लोगों के साथ चालक को प्रदर्शनकारियों ने मार डाला. यह भी स्पष्ट है कि जांच के दौरान आशीष को नोटिस जारी किया गया और वह जांच अधिकारी के सामने पेश हुआ.

यह भी स्पष्ट है कि चार्जशीट पहले ही दाखिल की जा चुकी है. ऐसी परिस्थितियों में, इस न्यायालय का विचार है कि आवेदक जमानत पर रिहा होने का हकदार है.निजी मुचलके और संबंधित अदालत की संतुष्टि के लिए समान राशि के दो विश्वसनीय जमानतदारों के साथ शर्तों पर रिहा किया जाए 
(1) गवाहों को प्रभावित करने या मामले के साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ करने या अन्यथा जमानत की स्वतंत्रता का दुरुपयोग करने का प्रयास नहीं करेगा 
(2) मामले के शीघ्र निपटारे में पूरा सहयोग करेगा और गवाहों के न्यायालय में उपस्थित होने पर साक्ष्य के लिए नियत तारीखों पर किसी प्रकार से मामले को टालने की मांग नहीं करेगा 
(3) व्यक्तिगत रूप से, (ए) मामले को खोलने, (बी) आरोप तय करने के लिए निर्धारित तारीखों पर ट्रायल कोर्ट के समक्ष उपस्थित रहेगा; और (सी) धारा 313 सीआरपीसी के तहत बयान की रिकॉर्डिंग पर भा 
(4) वह  संबंधित न्यायालय की अनुमति के बिना राज्य नहीं छोड़ेगा 

इन  शर्तों के किसी भी उल्लंघन को जमानत का दुरुपयोग माना जाएगा और निचली अदालत जमानत रद्द करने के मामले में उचित आदेश पारित करने के लिए स्वतंत्र होगी

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अदालत ने जिला प्रशासन पर भी उठाए सवाल और कहा कि यहां यह उल्लेख करना जरूरी है कि जिला प्रशासन की गंभीर कमी रही क्योंकि कुछ लोग अपने राजनीतिक लाभ के लिए कानून के तहत उचित अनुमति के बिना निर्दोष व्यक्तियों को  इकट्ठा करते हैं हालांकि धारा 144 लगी हुई थी.विभिन्न जिलों के हजारों लोग, यहां तक ​​कि अन्य राज्यों से भी, एक स्थान पर एकत्र हुए, जो कि जिला प्रशासन के ज्ञान में बहुत अच्छी तरह से था लेकिन न तो कोई निवारक कार्रवाई की गई और न ही कोई कार्रवाई की गई.पुलिस अधिनियम, 1861 की धारा 30 (3) में प्रावधान है कि सार्वजनिक सड़क पर किसी भी सभा या जुलूस के लिए अनुमति की आवश्यकता होती है.सार्वजनिक सड़कों और सार्वजनिक सड़कों पर व्यवस्था बनाए रखना पुलिस का कर्तव्य है ण्‍राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया जाता है कि इस प्रकार की सभाओं और जुलूसों को विनियमित करने के लिए आवश्यक निर्देश और  गाइडलाइन जारी की जाए.

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हाईकोर्ट ने जीप में बैठे लोगों की हत्या पर भी जताते हुए कहा कि क्रूरता पर आंखें बंद नहीं कर सकते.जस्टिस राजीव सिंह ने कहा, 'यह अदालत थार वाहन में बैठे तीन लोगों की हत्या पर अपनी आंखें बंद नहीं कर सकती जिसमें चालक भी शामिल था जिन्हें प्रदर्शनकारियों ने मार दिया था. केस डायरी में उपलब्ध तस्वीर से स्पष्ट रूप से प्रदर्शनकारियों की क्रूरता का पता चलता है, जो उक्त तीन व्यक्तियों, हरिओम मिश्रा, शुभम मिश्रा और श्याम सुंदर की पिटाई कर रहे थे.यहां यह उल्लेख करना भी प्रासंगिक है कि मामला अपराध संख्या 220/ 2021 के जांच अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि थार वाहन द्वारा प्रदर्शनकारियों को टक्कर मारने की उक्त घटना के बाद, प्रदर्शनकारियों ने शुभम मिश्रा, हरिओम मिश्रा और श्याम सुंदर का पीछा किया, उन्हें बेरहमी से पीटा गया, जिसके कारण मौत हो गई. यह निष्कर्ष जांच अधिकारी द्वारा घटना के संबंध में स्वयं प्रदर्शनकारियों द्वारा दिए वीडियो क्लिप के आधार पर निकाला गया था जिनमें से, कुलविंदर सिंह, करमजीत, गुरप्रीत सिंह और विचित्र सिंह नाम के चार लोगों की पहचान की गई है और उनके खिलाफ चार्जशीट तैयार की गई है. हालांकि, जांच अधिकारी द्वारा बाकी लोगों की पहचान नहीं की जा सकी. कोर्ट ने कहा कि विरोध के आयोजकों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे जांच में सहायता करें और बाकी आरोपी व्यक्तियों का विवरण प्रदान करें, जिनकी संलिप्तता वीडियो क्लिप में पाई गई है. साथ ही जांच के दौरान पुलिस द्वारा एकत्र की गई तस्वीरें भी हैं .