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This Article is From May 29, 2020

प्रवासी मजदूर (Migrant Workers) और विधानसभा चुनाव : इस बार यूपी और बिहार में सत्ता इन्हीं के कदमों पर चलकर आने वाली है?

कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन का चौथा चरण 31 मई को पूरा हो जाएगा. इस बात की चर्चा है कि सरकार अब पांचवें लॉकडाउन (Lockdown 5.0) की तैयारी कर रही है.

प्रवासी मजदूर (Migrant Workers) और विधानसभा चुनाव : इस बार यूपी और बिहार में सत्ता इन्हीं के कदमों पर चलकर आने वाली है?
प्रवासी मजदूरों का मुद्दा यूपी और बिहार के लिहाज से अहम है.
नई दिल्ली:

ऐसा लग रहा है कि इस बार उत्तर प्रदेश और बिहार में होने वाले विधानसभा चुनावों में  प्रवासी मजदूर (Migrant Workers)  एक निर्णायक भूमिका में होंगे. यही वजह है कि दोनो में राज्यों में खुद को प्रवासी मजदूरों का हितैषी बताने में होड़ चल रही है. कोरोना वायरस (Coronavirus)  के संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन का चौथा चरण 31 मई को पूरा हो जाएगा. इस बात की चर्चा है कि सरकार अब पांचवें लॉकडाउन (Lockdown 5.0 ) की तैयारी कर रही है. जिसमें पिछली बार की तुलना में कुछ और रियायत दी जाएगी. 25 मार्च से जारी लॉकडाउन की वजह से प्रवासी मजदूरों का पलायन राजनीति का प्रमुख मुद्दा बन गया है. सोशल मीडिया में पैदल और श्रमिक ट्रेनों में जा रहे प्रवासी मजदूरों की तस्वीरें खूब वायरल की जा रही हैं. वहीं बीजेपी, कांग्रेस, बीएसपी, सपा, जेडीयू और आरजेडी सहित तमाम राजनीतिक पार्टियां खुद को इनका राजनीतिक हितैषी बताने से चूक नहीं रही हैं. 

महाराष्ट्र, गुजरात सहित देश के तमाम शहरों से मजदूर यूपी और बिहार की ओर से पलायन कर रहे हैं. शुरू में पीएम मोदी ने अपील की थी कि जो लोग जहां पर हैं वहीं ठहरे रहें और सरकार उनके खाने-पीने की व्यवस्था करेगी. लेकिन लॉकडाउन में मजदूरों का सब्र डोल गया क्योंकि उद्योग-धंधे बंद होने से उनको पगार मिलना भी बंद हो गई थी. सरकार पर इन मजदूरों को उनके घर भेजने का दबाव बढ़ने लगा.    

पीटीआई-भाषा में आई खबर को मानें तो रेलवे द्वारा एक मई से चलायी गयी 3,736 ‘श्रमिक विशेष' ट्रेनों से 50 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को ले जाया गया है. आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है. इनमें से 3,157 ट्रेन अपने गंतव्य तक पहुंच चुकी हैं.  आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा गुजरात (979), महाराष्ट्र (695), पंजाब (397), उत्तरप्रदेश (263) और बिहार (263) से ट्रेन चली.  ये ‘श्रमिक विशेष' ट्रेन देश के विभिन्न हिस्सों में प्रवासियों को लेकर पहुंची. सबसे ज्यादा ट्रेन उत्तर प्रदेश (1520), बिहार (1296), झारखंड (167), मध्यप्रदेश (121), ओडिशा (139) में पहुंची.  रेल मंत्री पीयूष गोयल ने एक ट्वीट में कहा, 'रेलवे अब तक 84 लाख से अधिक निशुल्क भोजन और पानी की 1.24 करोड़ बोतल भी वितरित कर चुकी है.'

आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यूपी और बिहार की ओर जाने वाले मजदूरों की संख्या सबसे ज्यादा है. उत्तर प्रदेश में साल 2022 में चुनाव में तो बिहार में इसी साल के अखिरी में होने हैं. दोनों ही राज्यों के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और नीतीश कुमार के लिए प्रवासी मजदूर अवसर और चुनौतियां दोनों लेकर आए हैं.

ये प्रवासी मजदूर ज्यादातर ग्रामीण इलाके से आते हैं और गांवों में ही पड़ने वाले वोट निर्णायक साबित होते हैं. अगर बात उत्तर प्रदेश की करें तो साल 2017 के विधानसभा में पीएम मोदी की उज्जवला  योजना ने पूर्वी यूपी के गांवों में बीजेपी को बंपर वोट दिलाए थे. इन वोटरों का बड़ृा तबका इन प्रवासी मजदूरों से कहीं न कहीं संबंध रखता है. इसलिए इनकी नाराजगी यूपी सरकार को भारी पड़ सकती है. यही वजह है कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने जहां बसें भेजकर मुद्दे को लपकने की कोशिश की तो बीएसपी सुप्रीमो मायवती कांग्रेस पर ही निशाना साध बैठीं क्योंकि इन प्रवासियों में एक बड़ा तबका दलितों से भी आता है. 

वहीं उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ भी मौके की नजाकत को समझ रहे हैं और वह इन प्रवासी मजदूरों को रोजी-रोटी के लिए व्यवस्था के लिए राज्य में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं. हाल ही में उन्होंने श्रम कानूनों में ढील, प्रवासी मजदूरों का डाटा सहित कई कदम उठाए हैं. 

बात करें बिहार कि नीतीश कुमार ने प्रवासी मजदूरों को 21 दिन क्वरंटाइन में रखने के बाद 1 हजार रुपये मदद देने का आश्वासन दिया है साथ ही उनके रोजगार के लिए भी कई कदम उठाए हैं. इसके साथ ही उनके डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता सुशील कुमार केंद्र की ओर दी जा रही योजनाओं का भी बताने से चूक नहीं रहे हैं.

लेकिन प्रवासी मजदूरों के पलायन से उपजने वाला हालात संभालना इतने भी आसान नहीं है. इतने कम समय में सबको रोजगार दे पाना वो भी तब जब पहले से ही आधारभूत ढांचे में खामियां हों, पहाड़ जैसी चुनौती से कम नहीं है. इस बात को जहां यूपी में  योगी सरकार, कांग्रेस, सपा और बसपा तो बिहार में नीतीश सरकार, आरजेडी और बाकी विपक्षी दल भी समझ रहे हैं कि सत्ता की चाभी इस बार प्रवासी मजदूरों के हाथ है. 

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