
महबूबा मु्फ्ती अनुच्छेद 35-A को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से भी मिलेंगी
नई दिल्ली:
जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मिलने उनके घर 17 अकबर रोड पहुंचीं. मुद्दा था घाटी में अनुच्छेद 35-ए यानी (Article 35A) जिसके तहत भारत का कोई नागरिक ना तो जम्मू कश्मीर में संपत्ति ख़रीद सकता है और ना ही स्थायी नागरिक बन कर रह सकता है. महबूबा अब शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगी. सूत्रों के मुताबिक़ मुख्यमंत्री केंद्रीय गृह मंत्री से जानना चाहती थी कि केंद्र सरकार का सप्रीम कोर्ट में क्या रुख रहेगा, जहां इस मसले से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है. राजनाथ सिंह ने महबूबा को साफ़ किया कि सरकार क्या रुख इख़्तियार करेगी. गृह मंत्रालय के मुताबिक़ ये एक प्रक्रियात्मक (procedural) मुद्दा है ना कि मूल (substantive) मुद्दा है, इसलिए अटर्नी जनरल इसके क़ानूनी पहलू पर ही राय देंगे जोकि संविधान में लिखा है.
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया, "जो संवैधानिक प्रक्रिया है उस पर सुप्रीम कोर्ट को फ़ैसला लेना है कि क्या करना है. अटर्नी जनरल भारतीय संविधान के तहत 370 की जो व्याख्या है वही देंगे." उनके मुताबिक़ अंतिम रूप से कोर्ट का ही फ़ैसला आख़िरी होगा.
महबूबा चिंतित इसलिए हैं कि अगर इस अनुच्छेद से छेड़छाड हुई तो इसका सीधा असर ना सिर्फ़ घाटी की राजनीति पर पड़ेगा बल्कि जनसंख्या पर भी. दरअसल राजनीतिक दलों की चिंता इस बात पर है कि की इस मुद्दे से जुड़ी एक PIL सुप्रीम कोर्ट में सुनी जा रही है. अनुच्छेद 35-A एक संवैधानिक प्रावधान है जो जम्मू-कश्मीर को इस बात की इजाजत देता कि वो अपने स्थायी नागरिकों की परिभाषा तय कर सके.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से धारा 370 के बारे में भी उसकी राय मांगी है. भारतीय संविधान की बहुचर्चित धारा 370 जम्मू-कश्मीर को कुछ विशेष अधिकार देती है. 1954 के जिस आदेश से अनुच्छेद 35-A को संविधान में जोड़ा गया था, वह आदेश भी अनुच्छेद 370 की उपधारा (1) के अंतर्गत ही राष्ट्रपति द्वारा पारित किया गया था.
महबूबा मुफ़्ती अधिकारवादी को प्रधानमंत्री से भी इस सिलसिले में मुलाक़ात करेंगी और अपना पक्ष रखेंगी. डर इस बात का है कि कहीं ये मुद्दा राज्य सरकार बनाम केंद्र सरकार ना बन जाए. वैसे घाटी में ये मुद्दा तूल पकड़ता का रहा है. अलगवादियों ने भी इसे लेकर शनिवार को घाटी में बंद का ऐलान किया है.
VIDEO: अनुच्छेद 35-A पर जम्मू कश्मीर के सभी दल आए साथ
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया, "जो संवैधानिक प्रक्रिया है उस पर सुप्रीम कोर्ट को फ़ैसला लेना है कि क्या करना है. अटर्नी जनरल भारतीय संविधान के तहत 370 की जो व्याख्या है वही देंगे." उनके मुताबिक़ अंतिम रूप से कोर्ट का ही फ़ैसला आख़िरी होगा.
महबूबा चिंतित इसलिए हैं कि अगर इस अनुच्छेद से छेड़छाड हुई तो इसका सीधा असर ना सिर्फ़ घाटी की राजनीति पर पड़ेगा बल्कि जनसंख्या पर भी. दरअसल राजनीतिक दलों की चिंता इस बात पर है कि की इस मुद्दे से जुड़ी एक PIL सुप्रीम कोर्ट में सुनी जा रही है. अनुच्छेद 35-A एक संवैधानिक प्रावधान है जो जम्मू-कश्मीर को इस बात की इजाजत देता कि वो अपने स्थायी नागरिकों की परिभाषा तय कर सके.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से धारा 370 के बारे में भी उसकी राय मांगी है. भारतीय संविधान की बहुचर्चित धारा 370 जम्मू-कश्मीर को कुछ विशेष अधिकार देती है. 1954 के जिस आदेश से अनुच्छेद 35-A को संविधान में जोड़ा गया था, वह आदेश भी अनुच्छेद 370 की उपधारा (1) के अंतर्गत ही राष्ट्रपति द्वारा पारित किया गया था.
महबूबा मुफ़्ती अधिकारवादी को प्रधानमंत्री से भी इस सिलसिले में मुलाक़ात करेंगी और अपना पक्ष रखेंगी. डर इस बात का है कि कहीं ये मुद्दा राज्य सरकार बनाम केंद्र सरकार ना बन जाए. वैसे घाटी में ये मुद्दा तूल पकड़ता का रहा है. अलगवादियों ने भी इसे लेकर शनिवार को घाटी में बंद का ऐलान किया है.
VIDEO: अनुच्छेद 35-A पर जम्मू कश्मीर के सभी दल आए साथ
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