सुप्रीम कोर्ट.
नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर विधानसभा को विशेष अधिकार देने के लिए संविधान में शामिल आर्टिकल 35-A पर अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 17 जनवरी को होगी. शुक्रवार को इस विवादित मामले में कोर्ट ने ये फैसला किया. उधर पीडीपी ने चेतावनी दी है कि सरकार आर्टिकल 35-A के साथ छेड़छाड़ न करे.
पीडीपी नेता मुज़फ्फर बेग ने आगाह किया है कि अगर आर्टिकल 35 A से छेड़छाड़ की गई... तो इससे राज्य का केंद्र के साथ संबंध कमज़ोर हो जाएगा. सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर सुनवाई के बाद एनडीटीवी से बातचीत में बेग ने यह बात कही. पीडीपी के नेता मुजफ्फर बेग ने कहा, "मैं समझता हूं कि जम्मू-कश्मीर का जो रिश्ता है बॉंड है मरकज के साथ आर्टिकल 35A उसका इंटिग्रल पार्ट है. अगर आप इसको डैमेज करते हैं तो आप उस रिश्ते को नुकसान पहुंचाएंगे जो जम्मू-कश्मीर को भारत से जोड़ता है."
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई को 19 जनवरी तक टाल दिया. राज्य सरकार की तरफ से ये दलील दी गई थी कि आगामी पंचायत और स्थानीय चुनावों की वजह से सुनवाई टाल दी जानी चाहिए.
बरूण सिन्हा, "वी द सिटीज़ंस" के वकील हैं. उन्होंने एनडीटीवी से कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में लोकल पंचायत इलेक्शन की वजह से हियरिंग 19 जनवरी तक टाल दी है. स्टेट गवर्नमेंट ने कोर्ट में कहा कि उनके आफीसर लोकल इलेक्शन में बिजी होंगे इसलिए वे केस की तैयारी ठीक से नहीं कर पाएंगे."
खास बात ये है कि जम्मू-कश्मीर के नए राज्यपाल ने ख़ुद ये मामला चुनी हुई सरकार के आने तक टालने का सुझाव दिया है. उन्होंने कहा है- "हम इस पर अपनी राय कैसे तय कर सकते हैं? हम चुनी हुई सरकार नहीं, लोगों की ओर से नहीं बोल सकते. तो हमें लगता है, फ़ैसला तब तक टाल देना चाहिए, जब तक चुनी सरकार न आए.
(साथ में आशीष भार्गव)
पीडीपी नेता मुज़फ्फर बेग ने आगाह किया है कि अगर आर्टिकल 35 A से छेड़छाड़ की गई... तो इससे राज्य का केंद्र के साथ संबंध कमज़ोर हो जाएगा. सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर सुनवाई के बाद एनडीटीवी से बातचीत में बेग ने यह बात कही. पीडीपी के नेता मुजफ्फर बेग ने कहा, "मैं समझता हूं कि जम्मू-कश्मीर का जो रिश्ता है बॉंड है मरकज के साथ आर्टिकल 35A उसका इंटिग्रल पार्ट है. अगर आप इसको डैमेज करते हैं तो आप उस रिश्ते को नुकसान पहुंचाएंगे जो जम्मू-कश्मीर को भारत से जोड़ता है."
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई को 19 जनवरी तक टाल दिया. राज्य सरकार की तरफ से ये दलील दी गई थी कि आगामी पंचायत और स्थानीय चुनावों की वजह से सुनवाई टाल दी जानी चाहिए.
बरूण सिन्हा, "वी द सिटीज़ंस" के वकील हैं. उन्होंने एनडीटीवी से कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में लोकल पंचायत इलेक्शन की वजह से हियरिंग 19 जनवरी तक टाल दी है. स्टेट गवर्नमेंट ने कोर्ट में कहा कि उनके आफीसर लोकल इलेक्शन में बिजी होंगे इसलिए वे केस की तैयारी ठीक से नहीं कर पाएंगे."
खास बात ये है कि जम्मू-कश्मीर के नए राज्यपाल ने ख़ुद ये मामला चुनी हुई सरकार के आने तक टालने का सुझाव दिया है. उन्होंने कहा है- "हम इस पर अपनी राय कैसे तय कर सकते हैं? हम चुनी हुई सरकार नहीं, लोगों की ओर से नहीं बोल सकते. तो हमें लगता है, फ़ैसला तब तक टाल देना चाहिए, जब तक चुनी सरकार न आए.
(साथ में आशीष भार्गव)
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