मीडिया को बीबीसी की डाक्यूमेंट्री पर चिंतन करना चाहिए : अरुण जेटली

वित्तमंत्री अरुण जेटली की फाइल तस्वीर

लंदन:

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि दुनियाभर की मीडिया को 16 दिसंबर के सामूहिक बलात्कार के मामले पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री से जुड़े मुद्दों पर चिंतन करना चाहिए जैसे कि क्या किसी मीडिया संगठन को अपने मंच का इस्तेमाल किसी बलात्कारी को अपनी बेगुनाही सामने रखने के लिए करने देना चाहिए।

भारत सरकार द्वारा लेस्ली उडविन के वृत्तचित्र ‘इंडियाज डॉटर’ पर लगाए गए प्रतिबंध को लेकर संवाददाताओं द्वारा अपना रुख बताते के लिए कहने पर जेटली ने कहा कि मामला अदालत में है।

उन्होंने कहा, ‘‘गृह मंत्रालय और संसद का एक रुख है जिसे व्यक्त किया गया है। मामला अदालत में है इसलिए मुद्दे में जाए बिना और अदालत पर इसका फैसला छोड़ते हुए मैं केवल दो बिंदुओं का उल्लेख करूंगा जो इन मुद्दों पर किसी भी तरह की फिल्म बनाने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति के दिमाग में होनी चाहिए।’’

जेटली ने भारतीय दंड संहिता की धारा 228ए के तहत एक प्रावधान का हवाला दिया जो न्यायमूर्ति वर्मा समिति की रिपोर्ट के बाद अस्तित्व में आया। इसके तहत किसी भी बलात्कार पीड़ित की तस्वीर दिखाने और उसके नाम बताने पर रोक है।

उन्होंने कहा, ‘‘दूसरी बात यह है कि यह मीडिया के लिए खुद बहस का विषय है कि अपील के लंबित होने के दौरान एक मीडिया संगठन को किसी बलात्कारी को अपनी बेगुनाही सामने रखने के लिए एक मंच देना सही है।’’

वित्तमंत्री ने डॉक्यमेंट्री में दिखाए गए एक बलात्कारी की टिप्पणियों की ओर सीधा इशारा किया जिसने कहा था कि वह घटना के दौरान बस चला रहा था और इसलिए ‘वह बलात्कार का हिस्सा नहीं था।’

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उन्होंने कहा, ‘‘यह दो महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिनपर मैं चाहूंगा कि मीडिया खुद चिंतन करे।’’