मायावती ने राज्यसभा से दिया इस्तीफा
नई दिल्ली:
राज्यसभा में बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को सहारनपुर हिंसा का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि सहारनपुर घटना केंद्र की साजिश थी. इसके बाद राज्य सभा में हंगामा होने लगा और मायावती ने उपसभापति को कहा कि आप मुझे बोलने नहीं देंगे तो मैं सदन से इस्तीफा दे देती हूं. इसके बाद मायावती ने राज्यसभा से इस्तीफे की घोषणा कर दी. उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मैंने इस्तीफा दे दिया है.
मायावती ने कहा कि दलितों और छोटे तबकों के लोगों पर लगातार अत्याचार हो रहा है. सहारनपुर में दलितों का बड़े पैमाने पर उत्पीड़न हुआ. गुजरात के ऊना में दलितों पर अत्याचार हुआ. मुझे शब्बीरपुर में हेलीकॉप्टर से जाने की इजाजत नहीं दी गई. सड़क के रास्ते जाना पड़ा. जब मैं गांव पहुंची तो डीएम और एसपी गायब थे. मैंने वहां कोई ऐसी बात नहीं कही जिससे समुदायों के बीच लड़ाई हो जाए. यूपी में अभी भी महाजंगलराज और महागुंडाराज है. हमें पीड़ितों की मदद के लिए भी प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ी.
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वहीं केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि मायावती शुद्ध रूप से राजनीतिक बात कर रही हैं. इसके बाद मायावती गुस्से में सदन से बाहर चली गईं. इसके बाद विपक्ष के कई नेताओं ने जमकर हंगामा किया. आज के दिन संसद में दोनों ही पक्षों के लोग उपराष्ट्रपति पद के लिए अपने-अपने उम्मीदवार का नॉमिनेशन फाइल कर रहे हैं. सो इस हंगामे के जरिए एक बार फिर विपक्ष अपनी एकजुटता को दिखा रहा है. फिलहाल हंगामे की वजह से राज्यसभा दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है.
वैसे, बसपा सुप्रीमो मायावती के मंगलवार को राज्यसभा से इस्तीफे की घोषणा के बाद माना जा रहा है कि अब उनकी राज्यसभा में वापसी की राह आसान नहीं होगी. दरअसल, मायावती की राज्यसभा सदस्यता 2018 में समाप्त होने वाली थी. उसके बाद वापस लौटने के लिए उनके पास अपेक्षित आंकड़ा नहीं है. इस बार यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा को महज 19 सीटें मिली हैं. इनकी बदौलत मायावती की वापसी संभव नहीं है. उसके बाद 2019 में लोकसभा चुनाव हैं. तब तक वह संसद के किसी भी सदन का हिस्सा नहीं होंगी. हालांकि कुछ समय पहले बिहार के राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने घोषणा करते हुए कहा था कि वह राज्यसभा की उम्मीदवारी में मायावती का समर्थन करेगी. उनके समर्थन की बदौलत संभवतया मायावती 2018 में राज्यसभा में लौट सकती हैं.
मायावती ने कहा कि दलितों और छोटे तबकों के लोगों पर लगातार अत्याचार हो रहा है. सहारनपुर में दलितों का बड़े पैमाने पर उत्पीड़न हुआ. गुजरात के ऊना में दलितों पर अत्याचार हुआ. मुझे शब्बीरपुर में हेलीकॉप्टर से जाने की इजाजत नहीं दी गई. सड़क के रास्ते जाना पड़ा. जब मैं गांव पहुंची तो डीएम और एसपी गायब थे. मैंने वहां कोई ऐसी बात नहीं कही जिससे समुदायों के बीच लड़ाई हो जाए. यूपी में अभी भी महाजंगलराज और महागुंडाराज है. हमें पीड़ितों की मदद के लिए भी प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ी.
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वैसे, बसपा सुप्रीमो मायावती के मंगलवार को राज्यसभा से इस्तीफे की घोषणा के बाद माना जा रहा है कि अब उनकी राज्यसभा में वापसी की राह आसान नहीं होगी. दरअसल, मायावती की राज्यसभा सदस्यता 2018 में समाप्त होने वाली थी. उसके बाद वापस लौटने के लिए उनके पास अपेक्षित आंकड़ा नहीं है. इस बार यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा को महज 19 सीटें मिली हैं. इनकी बदौलत मायावती की वापसी संभव नहीं है. उसके बाद 2019 में लोकसभा चुनाव हैं. तब तक वह संसद के किसी भी सदन का हिस्सा नहीं होंगी. हालांकि कुछ समय पहले बिहार के राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने घोषणा करते हुए कहा था कि वह राज्यसभा की उम्मीदवारी में मायावती का समर्थन करेगी. उनके समर्थन की बदौलत संभवतया मायावती 2018 में राज्यसभा में लौट सकती हैं.
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