यह ख़बर 21 जून, 2011 को प्रकाशित हुई थी

'कानूनी दाव पेंचों से बच नहीं पाएंगे बलात्कारी'

खास बातें

  • बलात्कार की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए यूपी सरकार ने सीआरपीसी की धारा 437, 439 में संशोधन करने का फैसला किया है।
लखनऊ:

राज्य में हो रही बलात्कार तथा महिला उत्पीड़न की घटनाओं को लेकर चौतरफा घिरी उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने सूबे में हाल में हुई ऐसी घटनाओं की कड़ी निंदा करते हुए मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार ने ऐसी घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में संशोधन का फैसला किया है। मायावती ने खराब चरित्र के लोगों को चिह्नित करके उनके चरित्र में सुधार लाने का अभियान चलाने और सुधार नहीं होने पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात भी कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह हाल में प्रदेश के कुछ जिलों में महिलाओं तथा नाबालिग लड़कियों से हुए बलात्कार तथा हत्या की घटनाओं से दुखी हैं और भविष्य में ऐसी घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए सरकार ने सीआरपीसी की धारा 437 और 439 में संशोधन करने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि इस आशय का अध्यादेश राज्यपाल के पास भेज दिया गया है। साथ ही इस संहिता की जमानती धारा 354 को गैरजमानती बनाने का अध्यादेश भी राज्यपाल को प्रेषित किया गया है। मायावती ने कहा कि सरकार ने यह संशोधन इस आशय से करने का फैसला किया है कि बलात्कार के आरोपियों को निर्दोष साबित न हो जाने तक जमानत नहीं मिले और ऐसे मामलों में छह महीने में निर्णय सुना दिया जाए। उन्होंने कहा, सरकार यह मानती है कि हाल में प्रदेश के कुछ जिलों में महिलाओं तथा बच्चियों के साथ जो भी गम्भीर वारदात हुई उनमें कुछ हद तक पुलिस तथा प्रशासन की लापरवाही के साथ अपराध में शामिल लोगों का खराब चरित्र भी काफी हद तक जिम्मेदार है। मुख्यमंत्री ने कहा, हमारी सरकार बलात्कार तथा उत्पीड़न की वारदात के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई तो करेगी ही लेकिन भविष्य में वे ऐसा नहीं करें इसलिए उन्हें सुधारने और अगर वे नहीं सुधरें तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश देने के लिए मैंने 27 जून को लखनऊ में सभी जिलों तथा मंडलों के प्रशासनिक तथा पुलिस प्रमुखों की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। उन्होंने कहा, इस बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिये जाएंगे कि वे प्रदेश के हर थाना क्षेत्र में थाना प्रभारियों की देखरेख में एक महीने का विशेष अभियान चलाया जाए जिसमें खराब चरित्र वाले लोगों की सूची तैयार करके उन्हें सुधारने का हरसम्भव प्रयास किया जाए और नहीं सुधरने पर उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। मायावती ने कहा, विपक्षी दलों को महिलाओं के प्रति होने वाले जघन्य अपराधों पर घिनौनी राजनीति करने के बजाय समाज में खराब चरित्र वाले लोगों की करतूतों के बारे में बताकर भविष्य में ऐसी वारदात की पुनरावृत्ति नहीं होने देने में सरकार का सहयोग करना चाहिये। मायावती ने राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति अन्य राज्यों के मुकाबले काफी बेहतर है। राज्य सरकार ने इस मोर्चे पर सुधार की कोशिशें की हैं और उसे काफी हद तक सफलता भी मिली है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुकाबले कांग्रेस शासित राज्यों में महिला उत्पीड़न की वारदात की संख्या काफी ज्यादा है, लिहाजा विरोधियों को सरकार पर इल्जाम लगाने से पहले अपने गिरेबां में झांकना चाहिये। उन्होंने लखीमपुर खीरी जिले के निघासन कांड की तरफ इशारा करते हुए कहा, महिलाओं के साथ वारदात के कुछ मामलों में मुझे विरोधियों की साजिश नजर आती है। उस वारदात में केन्द्र सरकार ने भी मेरी सरकार को बदनाम करने की हर मुमकिन कोशिश की। मायावती ने हाल में प्रदेश के कुछ जिलों में हुई बलात्कार तथा हत्या की घटनाओं पर दुख व्यक्त करते हुए पीड़ित परिवारों को दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों खासकर समाजवादी पार्टी की सरकार में समाज के हर वर्ग के खिलाफ जुल्म हुए मगर उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई, इसीलिये बसपा सरकार ने सत्ता में आते ही आपराधिक मुकदमे दर्ज करने के लिये अभियान चलाया जिसमें 10 हजार मुकदमे दर्ज किये गए। इनमें से 1460 मामले महिलाओं ने पंजीकृत कराए थे।


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