मसर्रत की रिहाई को लेकर बीजेपी और पीडीपी के रिश्तों में तनाव की बात हो रही है, लेकिन अब सामने आ रहा है कि असल में घाटी में आई बाढ़ मसर्रत की रिहाई के लिए असल में जिम्मेदार है।
एक अधिकारी ने बताया कि हुर्रियत नेता मसर्रत आलम की कई फाइल्स बाढ़ में तबाह हो गई हैं। सितंबर में बाढ़ आई थी इसीलिए जब तक मसर्रत का डिटेंशन ऑर्डर सचिवालय पहुंचा तब तक पूरा होम डिपार्टमेंट पानी में था। एक सीनियर अफसर का कहना है कि उसके ऊपर चल रहे कई मामलों के मुतालिक, कई फाइल्स भी बाढ़ में तबाह हो गई थीं। अब सभी पुलिस स्टेशन्स से दोबारा जानकारी इकट्ठा की गई हैं।
उनके मुताबिक, जब तक बात प्रशासन की समझ आया कि क्या हो रहा है, तब तक मसर्रत रिहा हो गया।
दरअसल, मसर्रत के डिटेंशन ऑर्डर को लेकर जानकारी जम्मू से पिछले सितम्बर में आई थी। तब पूरी घाटी में बाढ़ आई हुई थी। कोर्ट से लेकर असेंबली तक पानी में डूबे हुए थे।
राज्य के गृह मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, उसके बाद दरबार घाटी से जम्मू शिफ्ट हो गया फिर राज्य में चुनाव शुरू हो गए। इस सबके बीच वह समय खत्म हो गया जब मसर्रत की फाइल को नोटिफाई करना था। पिछले दो महीनों से वह गैर-कानूनी हिरासत में था। अब वह रिहा हो गया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक, यह कहना गलत होगा कि राष्ट्रपति शासन के दौरान मसर्रत की रिहाई हुई।
अब केंद्रीय गृहमंत्रालय का कहना है कि उन्होंने राज्य सरकार को मसर्रत की गतिविधियों पर कड़ी नज़र रखने को कहा है और यह भी कि घाटी में किसी भी कारण कानून-व्यवस्था बिगड़नी नहीं चाहिए। उधर, पीडीपी का कहना है कि बाकी के मुजरिम जो पीएसए के तहत बंद हैं, उनके मामले में सरकार कोर्ट के निर्देशों का पालन करेगी।
उधर, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राज्य सरकार को चेतवानी देते हुए कहा कि केंद्र के लिए देश की सुरक्षा सबसे अहम है। सरकार चलना उनका काम नहीं। हमने रिपोर्ट मांगी है। देश की सुरक्षा हमारी पार्टी के लिए सबसे अहम है।
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