महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (फाइल फोटो)
मुंबई:
मराठा समाज के राज्य में बरकरार आंदोलनों के दौरान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि उन्हें हटाकर मराठा समाज के सवाल हल नहीं होने वाले. दूरदर्शन के मराठी चैनल सह्याद्री को दिए साक्षात्कार में फडणवीस ने ये बात कही है. वे यह भी कहते सुने गए कि उन्हें पद से हटाने की कोशिश जारी है.
लेकिन, ऐसा हुआ भी तो जो भी नया आएगा वह भी कुछ तुरंत न कर सकेगा. क्योंकि मराठा समाज के प्रश्न पिछले 15 साल सत्ता में बने रहने वाले मराठा नेताओं की वजह से बने हैं न कि उनकी वजह से. उन्होंने याद दिलाया कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर उन्हें दो साल भी पूरे नहीं हुए हैं.
दरअसल, महाराष्ट्र में कोपर्डी बलात्कार घटना के बाद हर जिले में मराठा समाज के मोर्चे निकल रहे हैं. जिसका सन्दर्भ जोड़कर मुख्यमंत्री के बयान को देखा जाना चाहिए. कोपर्डी कांड की पीड़ित मराठा थी.
जबकि, अत्याचार करने वाले दलित. इस घटना के बाद अत्याचार करने वालों को फांसी देने की मांग लेकर हर जिले में मराठा सडकों पर उतर रहे हैं. इस आंदोलन में दलित अत्याचार प्रतिबंध अर्थात एट्रोसिटी कानून को हटाने की मांग भी हो रही है.
मराठा महाराष्ट्र की शासक जमात है, जैसे उत्तर प्रदेश में ठाकुर या वर्ण व्यवस्था में क्षत्रिय. महाराष्ट्र में 32 फीसदी आबादी रखने वाले मराठा जाति के लोगों के लाखों की तादाद के मोर्चे पिछले महीनों में महाराष्ट्र में जारी है.
महाराष्ट्र की आबादी में 2 फीसदी हिस्सा रखने वाले ब्राह्मण आबादी का मुख्यमंत्री होना भी इस आंदोलन की वजह बताया जा रहा है. इस सन्दर्भ में पूछे सवाल पर जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने अपनी राजनीतिक स्थिरता से जुड़ा बयान दिया है.
अपने साक्षात्कार में मुख्यमंत्री फडणवीस ने स्पष्ट रूप से कहा कि मराठा आंदोलनकारी महाराष्ट्र के मौजूदा राजनीतिक नेतृत्व से नहीं बल्कि उन्ही के समाज के नेतृत्व से सताए हुए हैं.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
लेकिन, ऐसा हुआ भी तो जो भी नया आएगा वह भी कुछ तुरंत न कर सकेगा. क्योंकि मराठा समाज के प्रश्न पिछले 15 साल सत्ता में बने रहने वाले मराठा नेताओं की वजह से बने हैं न कि उनकी वजह से. उन्होंने याद दिलाया कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर उन्हें दो साल भी पूरे नहीं हुए हैं.
दरअसल, महाराष्ट्र में कोपर्डी बलात्कार घटना के बाद हर जिले में मराठा समाज के मोर्चे निकल रहे हैं. जिसका सन्दर्भ जोड़कर मुख्यमंत्री के बयान को देखा जाना चाहिए. कोपर्डी कांड की पीड़ित मराठा थी.
जबकि, अत्याचार करने वाले दलित. इस घटना के बाद अत्याचार करने वालों को फांसी देने की मांग लेकर हर जिले में मराठा सडकों पर उतर रहे हैं. इस आंदोलन में दलित अत्याचार प्रतिबंध अर्थात एट्रोसिटी कानून को हटाने की मांग भी हो रही है.
मराठा महाराष्ट्र की शासक जमात है, जैसे उत्तर प्रदेश में ठाकुर या वर्ण व्यवस्था में क्षत्रिय. महाराष्ट्र में 32 फीसदी आबादी रखने वाले मराठा जाति के लोगों के लाखों की तादाद के मोर्चे पिछले महीनों में महाराष्ट्र में जारी है.
महाराष्ट्र की आबादी में 2 फीसदी हिस्सा रखने वाले ब्राह्मण आबादी का मुख्यमंत्री होना भी इस आंदोलन की वजह बताया जा रहा है. इस सन्दर्भ में पूछे सवाल पर जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने अपनी राजनीतिक स्थिरता से जुड़ा बयान दिया है.
अपने साक्षात्कार में मुख्यमंत्री फडणवीस ने स्पष्ट रूप से कहा कि मराठा आंदोलनकारी महाराष्ट्र के मौजूदा राजनीतिक नेतृत्व से नहीं बल्कि उन्ही के समाज के नेतृत्व से सताए हुए हैं.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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