नक्सली विचारक कोबाड गांधी आतंकवाद के आरोपों से बरी

नक्सली विचारक कोबाड गांधी आतंकवाद के आरोपों से बरी

नक्सली विचारक कोबाड गांधी की फाइल फोटो

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने नक्सली विचारक कोबाड गांधी को आतंक से जुड़े आरोपों से बरी कर दिया, लेकिन उन्हें धोखाधड़ी व जालसाजी के आरोपों में दोषी ठहराया है। अदालत ने हालांकि उन्हें जितनी सजा सुनाई है, उतनी वह सितंबर 2009 से जेल में रहते हुए पहले ही काट चुके हैं।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रितेश सिंह ने कोबाड गांधी को गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 20 तथा 38 (प्रतिबंधित संगठन का सदस्य और उसकी गतिविधियों को आगे बढ़ाना) के तहत आरोपों से बरी कर दिया, लेकिन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत धोखाधड़ी और जालसाजी के लिए दोषी करार दिया। अदालत ने उनके साथी राजेंद्र कुमार को भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराया, लेकिन आतंकवाद से जुड़े आरोप से उन्हें भी बरी कर दिया।

पुलिस के मुताबिक, कोबाड गांधी प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के नेटवर्क की दिल्ली में स्थापना करने में शामिल थे। उन्हें यहां 20 सितंबर, 2009 को गिरफ्तार कर लिया गया था, उस वक्त वे कैंसर का इलाज करा रहे थे। पुलिस ने कहा कि वे भाकपा (माओवादी) की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए दिल्ली में रह रहे थे और इस काम में उनके सहयोगी राजेंद्र कुमार ने उनकी सहायता की। राजेंद्र कुमार को 19 मार्च, 2010 को गिरफ्तार किया गया था।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)


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