विज्ञापन
This Article is From Feb 08, 2019

सामने आई चिट्ठी : राफेल डील पर सीधे दखल दे रहा था प्रधानमंत्री कार्यालय, मनोहर पर्रिकर ने दिया था यह जवाब

आपको अंग्रेज़ी अखबार द हिंदू की ख़बर के मुताबिक रक्षा मंत्रालय तो सौदे को लेकर बातचीत कर ही रहा था, उसी दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय भी अपनी ओर से फ्रांसीसी पक्ष से 'समांतर बातचीत' में लगा था.

मनोहर पर्रिकर ने दिया था जवाब

नई दिल्ली:

राफेल सौदे का मुद्दा शुक्रवार को लोकसभा  में छाया रहा जहां एकजुट विपक्ष ने एक अखबार की खबर का हवाला देते हुए मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने तथा प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग की. वहीं सरकार ने आरोप लगाया कि विपक्ष बहुराष्ट्रीय कंपनियों और निहित स्वार्थ से जुड़े तत्वों के हाथों में खेल रहा है और उसका प्रयास गड़े मुर्दे उखाड़ने जैसा है. आपको बता दें कि अंग्रेज़ी अखबार द हिंदू की ख़बर के मुताबिक रक्षा मंत्रालय तो सौदे को लेकर बातचीत कर ही रहा था, उसी दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय भी अपनी ओर से फ्रांसीसी पक्ष से 'समांतर बातचीत' में लगा था. अखबार के मुताबिक 24 नवंबर 2015 को रक्षा मंत्रालय के एक नोट में कहा गया कि PMO के दखल के चलते बातचीत कर रहे भारतीय दल और रक्षा मंत्रालय की पोज़िशन कमज़ोर हुई. रक्षा मंत्रालय ने अपने नोट में तब के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का ध्यान खींचते हुए कहा था कि हम PMO को ये सलाह दे सकते हैं कि कोई भी अधिकारी जो बातचीत कर रहे भारतीय टीम का हिस्सा नहीं है उसे समानांतर बातचीत नहीं करने को कहा जाए.  इस रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की ओर सीधे पीएम मोदी पर आरोप लगाया कि उन्होंने इसमें घोटाला किया है. इस रिपोर्ट पर सदन में भी हंगामा हुआ. 

 

'कांग्रेस गड़े मुर्दे उखाड़ रही है': राफेल पर रिपोर्ट को रक्षामंत्री सीतारमण ने किया खारिज

इस हंगामे पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने अखबार पर सवाल उठाते हुए कहा, "एक समाचारपत्र ने रक्षा सचिव की नोटिंग को प्रकाशित किया. अगर कोई समाचारपत्र एक नोटिंग को छापता है, तो पत्रकारिता की नैतिकता की मांग है कि तत्कालीन रक्षामंत्री का जवाब भी प्रकाशित किया जाए."दूसरी ओर समाचार एजेंसी ANI की पहुंच उस दस्तावेज़ तक बनी है, जिसमें तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने रक्षा मंत्रालय के राफेल सौदे से जुड़े असंतुष्टि नोट पर जवाब दिया था - "रक्षा सचिव (जी मोहन) को प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव से सलाह-मशविरा कर इस मुद्दे को हल करना चाहिए." पूर्व रक्षा सचिव जी. मोहन कुमार ने भी बयान दिया है कि राफेल की कीमत को लेकर रक्षा मंत्रालय ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी.

 

 

राफेल डील में PMO के दखल पर रक्षा मंत्रालय ने जताई थी कड़ी आपत्ति : रिपोर्ट


इसी तरह के एक जवाब में मनोहर पर्रिकर ने कहा, ऐसा लगता है कि बैठक के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय और फ्रांस के राष्ट्रपति का ऑफिस सीधे इस मामले में नजर रख रहा है. 5वें अनुच्छेद में लिखी गई जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया है.

मिशन 2019 : राफेल पर कौन बोल रहा है सच?​

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Previous Article
5600 करोड़ की ड्रग्स सिंडिकेट : 10 करोड़ की कोकीन पंजाब से बरामद
सामने आई चिट्ठी :  राफेल डील पर सीधे दखल दे रहा था प्रधानमंत्री कार्यालय, मनोहर पर्रिकर ने दिया था यह जवाब
Israel-Iran War Highlights: हिज्बुल्लाह ने इजरायल पर दागे 100 रॉकेट
Next Article
Israel-Iran War Highlights: हिज्बुल्लाह ने इजरायल पर दागे 100 रॉकेट
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com