शपथग्रहण के बाद रजिस्टर में हस्ताक्षर करते मनोहर पर्रिकर
पणजी:
रक्षा मंत्री के पद से गोवा का मुख्यमंत्री बनने चले मनोहर पर्रिकर के साथ पहले ही दिन बड़ी गड़बड़ हो गई. उनके शपथ ग्रहण के दौरान एक छोटी सी लेकिन अहम भूल की वजह से पर्रिकर को दोबारा शपथ लेनी पड़ी. दरअसल पर्रिकर ने खुद को मुख्यमंत्री की बजाय मंत्री बताकर शपथ ले ली. काफ़ी राजनीतिक गहमागहमी के बीच मनोहर पर्रिकर दोना पौला स्थित राजभवन में शाम 5 बजे के करीब शपथग्रहण के लिए पहुंचे. समारोह में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी समेत कई नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे.
गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा के आगमन के बाद शपथग्रहण कार्यक्रम शुरू हुआ. शपथ लेने मंच पर पहुंचे मनोहर पर्रिकर बड़ी देर तक शपथ का कागज़ ढूंढते देखे गए. शपथ के कागज़ की मांग करने पर आननफानन में एक कागज़ उनके हाथ में थमा दिया गया. यही अहम भूल की वजह बना.
पर्रिकर ने हाथ में आए कागज़ के सहारे कोंकणी में पहली शपथ ली. इसके बाद वे जैसे ही टेबल पर रखे रजिस्टर में हस्ताक्षर करने पहुंचे तो सभागृह में मौजूद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी दौड़ते हुए पर्रिकर के पास पहुंचे और उन्हें हस्ताक्षर करने से रोका. साथ ही शपथ ग्रहण में हुई चूक से अवगत कराया. पर्रिकर को जल्दबाज़ी में राजभवन स्टाफ ने कैबिनेट मंत्री की शपथ पकड़वा दी थी और पर्रिकर उसे ही पढ़ बैठे थे.
पर्रिकर शपथ के दौरान हुई ग़लती से अवगत होने पर झेंप गए. उन्होंने राज्यपाल के ध्यान में यह बात दिलाई, ताकि उन्हें दोबारा शपथ दिलायी जा सके. राज्यपाल ने भी इसे मानकर दोबारा से मनोहर पर्रिकर को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई.
मुख्यमंत्री के शपथग्रहण का जिम्मा राज्य का प्रोटोकॉल विभाग और राजभवन का प्रशासनिक विभाग मिलकर निभाता है. लेकिन इन दोनों विभागों से ग़लत शपथ पढ़वाने के मामले पर कोई टिप्पणी नहीं आई है.
गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा के आगमन के बाद शपथग्रहण कार्यक्रम शुरू हुआ. शपथ लेने मंच पर पहुंचे मनोहर पर्रिकर बड़ी देर तक शपथ का कागज़ ढूंढते देखे गए. शपथ के कागज़ की मांग करने पर आननफानन में एक कागज़ उनके हाथ में थमा दिया गया. यही अहम भूल की वजह बना.
पर्रिकर ने हाथ में आए कागज़ के सहारे कोंकणी में पहली शपथ ली. इसके बाद वे जैसे ही टेबल पर रखे रजिस्टर में हस्ताक्षर करने पहुंचे तो सभागृह में मौजूद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी दौड़ते हुए पर्रिकर के पास पहुंचे और उन्हें हस्ताक्षर करने से रोका. साथ ही शपथ ग्रहण में हुई चूक से अवगत कराया. पर्रिकर को जल्दबाज़ी में राजभवन स्टाफ ने कैबिनेट मंत्री की शपथ पकड़वा दी थी और पर्रिकर उसे ही पढ़ बैठे थे.
पर्रिकर शपथ के दौरान हुई ग़लती से अवगत होने पर झेंप गए. उन्होंने राज्यपाल के ध्यान में यह बात दिलाई, ताकि उन्हें दोबारा शपथ दिलायी जा सके. राज्यपाल ने भी इसे मानकर दोबारा से मनोहर पर्रिकर को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई.
मुख्यमंत्री के शपथग्रहण का जिम्मा राज्य का प्रोटोकॉल विभाग और राजभवन का प्रशासनिक विभाग मिलकर निभाता है. लेकिन इन दोनों विभागों से ग़लत शपथ पढ़वाने के मामले पर कोई टिप्पणी नहीं आई है.
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