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This Article is From Feb 04, 2021

बीजेपी पिछले दरवाजे से दिल्ली में शासन करना चाहती है : LG को अधिक अधिकार देने वाले बिल पर मनीष सिसोदिया

बिल के मामले पर दिल्ली के उपमु्ख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में चुनी हुई सरकार के अधिकार छीनकर LG को देने का काम किया गया है. 

बीजेपी पिछले दरवाजे से दिल्ली में शासन करना चाहती है : LG को अधिक अधिकार देने वाले बिल पर मनीष सिसोदिया
उपराज्यपाल को अधिक अधिकार देने के मामले पर मनीष सिसोदिया ने दिया बयान

कैबिनेट ने दिल्ली के उपराज्यपाल को अधिक अधिकार देने वाले बिल को मंजूरी दे दी है. गवर्नमेंट ऑफ़ एनसीटी दिल्ली एक्ट में कुछ संशोधन कर दिल्ली की निर्वाचित सरकार को तय समय में ही एलजी के पास विधायी और प्रशासनिक प्रस्ताव भेजने का प्रावधान भी है. यह बिल इसी सत्र में पारित कराने के लिए सूचीबद्ध किया गया है.

बिल के मामले पर दिल्ली के उपमु्ख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में चुनी हुई सरकार के अधिकार छीनकर LG को देने का काम किया गया है. दिल्ली सरकार के पास फैसले लेने की पावर नहीं होगी. गोपनीय तरीके से ये फैसला किया गया है. ये फैसला लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ किया गया. 3 मुद्दों को छोड़कर दिल्ली की चुनी सरकार सभी मसलों पर निर्णय ले सकती है. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 3 मुद्दों के अलावा दिल्ली की चुनी हुई सरकार को फैसले लेने का अधिकार है. LG का कोई रोल नहीं होगा, सिर्फ जानकारी LG को भेजी जाएगी, लेकिन केंद्र की BJP सरकार ने सभी बातों को दरकिनार कर दिल्ली में चुनी सरकार के बावजूद LG के हाथ में पावर होगी. भाजपा पिछले दरवाजे से दिल्ली में शासन करना चाहती है. दिल्ली में भाजपा 3 चुनाव हार चुकी है. 

सिसोदिया ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट की व्याख्या से पहले BJP द्वारा दिल्ली सरकार के हर काम को रोकने का काम किया गया था जबकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली में धड़ाधड़ काम हुए. साज़िश के तहत दिल्ली की जनता की मर्ज़ी के खिलाफ़ पिछले दरवाजे से BJP दिल्ली में कब्जा करना चाहती हैं. खूफिया तरीके से बदलाव हुए हैं, आगे क्या कदम उठाने हैं हम इसके बारे में स्टडी करेंगे.

गौरतलब है कि इस बिल में उन विषयों का भी उल्लेख है, जो विधानसभा के दायरे से बाहर आते हैं.  बता दें कि अधिकारों के बंटवारे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जनवरी 2019 के फ़ैसले के बाद स्थिति स्पष्ट करने की आवश्यकता हुई है. संशोधन के मुताबिक-अब विधायी प्रस्ताव एलजी के पास कम से कम 15 दिन पहले और प्रशासनिक प्रस्ताव सात दिन पहले पहुंचाने होंगे.

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