ठाणे की एक जिला अदालत ने एक व्यक्ति को एक नाबालिग लड़की को वर्ष 2008 से 2009 के बीच कई बार अपनी हवस का शिकार बनाने के मामले में एक वर्ष के कारावास की सजा सुनाई।
न्यायाधीश वीवी बमबार्डे ने 27 वर्षीय शाहजाद अली को भारतीय दंड संहिता की धारा 363 (अपहरण), 366-ए (नाबालिग को कब्जे में रखना) 376 (बलात्कार) के तहत दोषी ठहराया और उसे एक वर्ष के कारावास की सजा सुनाई।
वह अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के तहत भी दोषी पाया गया और इसके अतिरिक्त उसे छह महीने के कारावास की सजा और सुनाई गई। न्यायाधीश ने आदेश दिया कि दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
अतिरिक्त लोक अभियोजक हेमलता देशमुख ने अदालत को बताया कि आरोपी प्लास्टर ऑफ पेरिस की एक कंपनी में मजदूर के रूप में काम करता था। उसने नवी मुंबई के करावे की रहने वाली नाबालिग लड़की से दोस्ती कर ली थी। उस समय लड़की की उम्र 13 वर्ष थी।
उसके बाद वह लड़की को जुलाई 2008 और फरवरी 2009 के बीच नागपुर, लुधियाना और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में लेकर गया और कई बार उसे अपनी हवस का शिकार बनाया।
अदालत को यह भी बताया गया कि आरोपी उत्तर प्रदेश के बदरपुर का रहने वाला है और काम के लिए नवी मुंबई आया था।