पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को दावा किया कि ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाई गई हड़ताल का राज्य में कोई असर नहीं होगा. केंद्र सरकार की ‘जन-विरोधी' नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए मंगलवार से 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 48 घंटे के राष्ट्रव्यापी बंद का आह्वान किया है. ममता बनर्जी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ मैं इस पर एक शब्द भी नहीं बोलना चाहती हूं. हमने किसी भी बंद को समर्थन नहीं देने का फैसला किया है. अब बहुत हो गया. पिछले 34 वर्षों में वाम मोर्चे ने बंद का आह्वान कर पूरे राज्य को बर्बाद कर दिया. अब कोई बंद नहीं होगा.'' राज्य सरकार ने घोषणा की है कि वह मंगलवार और बुधवार को अपने कर्मचारियों के आधे दिन की छुट्टी या आकस्मिक अवकाश लेने पर रोक लगाएगी.
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गौरतलब है कि सेंट्रल ट्रेड यूनियनों ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ देश भर में 8 और 9 जनवरी को हड़ताल बुलाई है. इस हड़ताल का असर पश्चिम बंगाल सहित देश के सभी राज्यों में पड़ सकता है. इस हड़ताल में देशभर के किसान शामिल होंगे. इस संबंध में माकपा से संबंधित ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हन्नन मुल्ला ने कहा, ‘‘एआईकेएस और भूमि अधिकार आंदोलन 8-9 जनवरी को ‘ग्रामीण हड़ताल', रेल रोको और मार्ग रोको अभियान चलायेगा. इसी दिन ट्रेड यूनियन राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल का आयोजन कर रहे हैं. यह कदम ग्रामीण संकट से जुड़े मुद्दों से निपटने, ग्रामीण किसानों की जमीनों को उद्योगपतियों से बचाने में मोदी सरकार की नाकामी के खिलाफ उठाया गया है. आगामी आम हड़ताल को किसानों का पूर्ण समर्थन होगा.''
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बता दें कि दस ट्रेड यूनियनों आईएनटीयूसी, एआईटीयूसी, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, एआईसीसीटीयू, यूटीयूसी, टीयूसीसी, एलपीएफ और सेवा ने संयुक्त रूप से आम हड़ताल का आह्वान किया है.
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