नई दिल्ली:
रेल बजट में यात्री किराए में की गई वद्धि के खिलाफ आवाज़ मुखर करने वाली तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी को इस बात की जानकारी थी कि किराए में वद्धि की जानी है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी अपनी पार्टी प्रमुख और उनके विशेष सचिव गौतम सान्याल को इस बारे में पहले ही जानकार दे दी थी।
इतना ही नहीं, सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि विपक्ष के भी कई नेताओं से इस बारे में राय ली गई थी और सभी ने अपने दलों की राय को छोड़ यही कहा था कि रेल के हित के लिए किराए में वृद्धि करना ही एकमात्र विकल्प है।
इस तरह की जानकारी मिलने और खबरें छपने के बाद ममता बनर्जी के लिए यह शर्मिंदगी का सबब बन गया है। वहीं, पार्टी के नेताओं ने जहां रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है।
तृणमूल कांग्रेस ने शनिवार को त्रिवेदी से साफ-साफ शब्दों में कहा कि उन्हें पद से इस्तीफा दे देना चाहिए लेकिन त्रिवेदी ने भी सख्त रुख अपनाते हुए पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी के लिखित निर्देश की मांग की।
त्रिवेदी ने भले ही कहा हो कि यदि उन्हें लिखित में पद छोड़ने के लिए आदेश मिले या प्रधनमंत्री मनमोहन सिंह कहें तो वह अपना इस्तीफा दे देंगे, लेकिन लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने साफ कर दिया कि पार्टी लिखित में कोई आदेश नहीं देगी। बंदोपाध्याय ने ममता बनर्जी के साथ लगभग तीन घंटे की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, "लिखित में कुछ नहीं दिया जाएगा।"
इस बीच ममता बनर्जी ने त्रिवेदी के बारे में पूछे जाने पर कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कोलकाता में सिर्फ इतना कहा, "त्रिवेदी हमारे रेल मंत्री नहीं हैं। उनके स्थान पर मैंने मुकुल रॉय को रेल मंत्री बनाए जाने की प्रधानमंत्री से सिफारिश की है और अब फैसला प्रधानमंत्री को लेना है।" उन्होंने कहा, "हमने मुकुल रॉय को राज्यसभा के लिए फिर से नामित किया है। वह हमारे महासचिव हैं और भावी रेल मंत्री।"
त्रिवेदी के रुख से ममता कितनी नाराज हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब पत्रकारों ने उनसे त्रिवेदी के बारे में पूछा तो ममता ने कहा, "मुझसे कुछ मत पूछिए। कल्याण बनर्जी से बात कीजिए। वह संसदीय दल के मुख्य सचेतक हैं।"
तृणमूल कांग्रेस के नेता कल्याण बनर्जी ने त्रिवेदी को फोन किया और कहा कि उन्हें बर्खास्त किया जाए, इसके पहले वह सम्मानजनक तरीके से इस्तीफा दे दें। इसकी पुष्टि खुद त्रिवेदी ने की।
त्रिवेदी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "कल्याण बनर्जी ने मुझे सुबह फोन किया था। लेकिन इससे पहले सुदीप बंदोपाध्याय ने लोकसभा में कहा था कि मुझे इस्तीफा देने को नहीं कहा गया है। और प्रधानमंत्री ने भी मुझे इस्तीफा देने को नहीं कहा है।" उन्होंने कहा, "संसद के पटल पर यह कहा जाता है कि कोई इस्तीफा नहीं मांगा गया है और अब मुझे फोन पर ऐसा करने को कहा गया है। इसलिए सच जानने का मेरा हक है कि आखिर किस वजह से मुझसे इस्तीफा मांगा गया है।"
इससे पहले त्रिवेदी ने कहा, "मैं पार्टी के निर्णय से बाध्य हूं। यदि मैं पद पर बने रहना चाहूं, तो बना रह सकता हूं। मैं इस तरह अपमानित नहीं होना चाहता। मैंने अपना काम किया है। वे मुझे उचित तरीके से कहें। मैं एक-दो दिन में इस्तीफा दे दूंगा।"
कल्याण बनर्जी के अनुसार, जब त्रिवेदी ने पार्टी प्रमुख के लिखित निर्देश पर जोर दिया, तो उन्होंने कहा कि बैरकपुर के सांसद त्रिवेदी ने मंत्री पद की शपथ लेने से पहले ममता बनर्जी से लिखित निर्देश नहीं मांगा था।
कल्याण बनर्जी ने कहा कि त्रिवेदी ने उनसे कहा कि वह चाहते हैं कि उन्हें पार्टी के निर्णय के बारे में ममता द्वारा लिखित रूप में अवगत कराया जाए।
लोकसभा में तृणमूल के मुख्य सचेतक कल्याण बनर्जी ने उसके बाद त्रिवेदी से कहा कि पार्टी के लिखित निर्देश की जिद करना अच्छी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि जब वह मंत्री बने थे तब उन्होंने पार्टी नेता ममता बनर्जी से लिखित निर्देश पर जोर नहीं दिया था।
तृणमूल सूत्रों ने कहा है कि बनर्जी ने त्रिवेदी से कहा कि चूंकि पार्टी उन्हें मंत्री के रूप में नहीं देखना चाहती, लिहाजा उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।
बनर्जी ने त्रिवेदी से कहा, "चूंकि पार्टी चाहती थी कि आप मंत्री पद की शपथ लें, इसलिए आपने ऐसा किया। आज पार्टी नहीं चाहती कि आप मंत्री पद पर बने रहें। लिहाजा आपको इस्तीफा दे देना चाहिए।"
ज्ञात हो कि त्रिवेदी के पहले रेल बजट में बुधवार को 10 वर्षों बाद हर श्रेणी के रेल किराए में वृद्धि का प्रस्ताव किया गया।
इस किराया वृद्धि से नाराज पार्टी प्रमुख बनर्जी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बुधवार रात आग्रह किया कि वह त्रिवेदी को रेल मंत्री पद से हटाकर उनकी पार्टी के दूसरे नेता, मुकुल राय को रेल मंत्री बना दें।
इतना ही नहीं, सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि विपक्ष के भी कई नेताओं से इस बारे में राय ली गई थी और सभी ने अपने दलों की राय को छोड़ यही कहा था कि रेल के हित के लिए किराए में वृद्धि करना ही एकमात्र विकल्प है।
इस तरह की जानकारी मिलने और खबरें छपने के बाद ममता बनर्जी के लिए यह शर्मिंदगी का सबब बन गया है। वहीं, पार्टी के नेताओं ने जहां रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है।
तृणमूल कांग्रेस ने शनिवार को त्रिवेदी से साफ-साफ शब्दों में कहा कि उन्हें पद से इस्तीफा दे देना चाहिए लेकिन त्रिवेदी ने भी सख्त रुख अपनाते हुए पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी के लिखित निर्देश की मांग की।
त्रिवेदी ने भले ही कहा हो कि यदि उन्हें लिखित में पद छोड़ने के लिए आदेश मिले या प्रधनमंत्री मनमोहन सिंह कहें तो वह अपना इस्तीफा दे देंगे, लेकिन लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने साफ कर दिया कि पार्टी लिखित में कोई आदेश नहीं देगी। बंदोपाध्याय ने ममता बनर्जी के साथ लगभग तीन घंटे की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, "लिखित में कुछ नहीं दिया जाएगा।"
इस बीच ममता बनर्जी ने त्रिवेदी के बारे में पूछे जाने पर कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कोलकाता में सिर्फ इतना कहा, "त्रिवेदी हमारे रेल मंत्री नहीं हैं। उनके स्थान पर मैंने मुकुल रॉय को रेल मंत्री बनाए जाने की प्रधानमंत्री से सिफारिश की है और अब फैसला प्रधानमंत्री को लेना है।" उन्होंने कहा, "हमने मुकुल रॉय को राज्यसभा के लिए फिर से नामित किया है। वह हमारे महासचिव हैं और भावी रेल मंत्री।"
त्रिवेदी के रुख से ममता कितनी नाराज हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब पत्रकारों ने उनसे त्रिवेदी के बारे में पूछा तो ममता ने कहा, "मुझसे कुछ मत पूछिए। कल्याण बनर्जी से बात कीजिए। वह संसदीय दल के मुख्य सचेतक हैं।"
तृणमूल कांग्रेस के नेता कल्याण बनर्जी ने त्रिवेदी को फोन किया और कहा कि उन्हें बर्खास्त किया जाए, इसके पहले वह सम्मानजनक तरीके से इस्तीफा दे दें। इसकी पुष्टि खुद त्रिवेदी ने की।
त्रिवेदी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "कल्याण बनर्जी ने मुझे सुबह फोन किया था। लेकिन इससे पहले सुदीप बंदोपाध्याय ने लोकसभा में कहा था कि मुझे इस्तीफा देने को नहीं कहा गया है। और प्रधानमंत्री ने भी मुझे इस्तीफा देने को नहीं कहा है।" उन्होंने कहा, "संसद के पटल पर यह कहा जाता है कि कोई इस्तीफा नहीं मांगा गया है और अब मुझे फोन पर ऐसा करने को कहा गया है। इसलिए सच जानने का मेरा हक है कि आखिर किस वजह से मुझसे इस्तीफा मांगा गया है।"
इससे पहले त्रिवेदी ने कहा, "मैं पार्टी के निर्णय से बाध्य हूं। यदि मैं पद पर बने रहना चाहूं, तो बना रह सकता हूं। मैं इस तरह अपमानित नहीं होना चाहता। मैंने अपना काम किया है। वे मुझे उचित तरीके से कहें। मैं एक-दो दिन में इस्तीफा दे दूंगा।"
कल्याण बनर्जी के अनुसार, जब त्रिवेदी ने पार्टी प्रमुख के लिखित निर्देश पर जोर दिया, तो उन्होंने कहा कि बैरकपुर के सांसद त्रिवेदी ने मंत्री पद की शपथ लेने से पहले ममता बनर्जी से लिखित निर्देश नहीं मांगा था।
कल्याण बनर्जी ने कहा कि त्रिवेदी ने उनसे कहा कि वह चाहते हैं कि उन्हें पार्टी के निर्णय के बारे में ममता द्वारा लिखित रूप में अवगत कराया जाए।
लोकसभा में तृणमूल के मुख्य सचेतक कल्याण बनर्जी ने उसके बाद त्रिवेदी से कहा कि पार्टी के लिखित निर्देश की जिद करना अच्छी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि जब वह मंत्री बने थे तब उन्होंने पार्टी नेता ममता बनर्जी से लिखित निर्देश पर जोर नहीं दिया था।
तृणमूल सूत्रों ने कहा है कि बनर्जी ने त्रिवेदी से कहा कि चूंकि पार्टी उन्हें मंत्री के रूप में नहीं देखना चाहती, लिहाजा उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।
बनर्जी ने त्रिवेदी से कहा, "चूंकि पार्टी चाहती थी कि आप मंत्री पद की शपथ लें, इसलिए आपने ऐसा किया। आज पार्टी नहीं चाहती कि आप मंत्री पद पर बने रहें। लिहाजा आपको इस्तीफा दे देना चाहिए।"
ज्ञात हो कि त्रिवेदी के पहले रेल बजट में बुधवार को 10 वर्षों बाद हर श्रेणी के रेल किराए में वृद्धि का प्रस्ताव किया गया।
इस किराया वृद्धि से नाराज पार्टी प्रमुख बनर्जी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बुधवार रात आग्रह किया कि वह त्रिवेदी को रेल मंत्री पद से हटाकर उनकी पार्टी के दूसरे नेता, मुकुल राय को रेल मंत्री बना दें।
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