फाइल फोटो : अभिषेक बनर्जी
कोलकाता:
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बजर्नी के भतीजे और तृणमूल कांग्रेस सांसद अभिषेक बनर्जी ने यह कहकर नया विवाद खड़ा कर दिया है कि राज्य सरकार ने माओवादी नेता किशनजी की हत्या की। यह टिप्पणी राज्य सरकार के उस रूख से परे है, जिसमें कहा गया था कि किशनजी की मौत अर्धसैनिक बलों के संयुक्त अभियान में एक मुठभेड़ में हुई थी।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक ने शुक्रवार को पश्चिमी मिदनापुर जिले के बेलपहाड़ी में एक जनसभा में यह बयान दिया। उन्होंने कहा, इलाका रोजाना हत्याओं का गवाह रहा है। इसके पीछे 2008 से यहां बढ़ रहे माओवादी प्रभाव को जिम्मेदार ठहराया जाता है। लेकिन तृणमूल सरकार के सत्ता में आने के बाद केवल एक व्यक्ति की मौत हुई और वह माओवादी नेता किशनजी है।
उन्होंने आगे कहा, ममता बनर्जी सरकार ने उन्हें मारकर यह साबित कर दिया है कि भविष्य में लोगों के शब्द अंतिम होंगे।
दरअसल, किशनजी मोआवादी आंदोलन के प्रमुख चेहरा होने के साथ एक उसके मुख्य कमांडरों में से एक था। 2011 में पश्चिमी मिदनापुर के बुरीसोल जंगल में सुकोटेश्वर राव उर्फ किशनजी के मारे जाने की खबर आने के बाद यह विवाद हुआ था कि अर्धसैनिक बलों ने हिरासत में उनकी हत्या कर दी थी।
कुछ दिनों बाद मुख्यमंत्री बनर्जी ने कहा था कि मैंने सुरक्षा बलों से घटना के बारे में पूछा था कि आपने उन्हें सरेंडर करने का मौका क्यों नहीं दिया, तो उनकी तरफ से बताया गया कि किशनजी को सरेंडर करने के लिए तीन दिन का वक्त दिया गया था, लेकिन उनकी तरफ से गोलीबारी कर दी गई। इस मुद्दे पर विपक्ष ने भी सरकार को जमकर घेरा था।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक ने शुक्रवार को पश्चिमी मिदनापुर जिले के बेलपहाड़ी में एक जनसभा में यह बयान दिया। उन्होंने कहा, इलाका रोजाना हत्याओं का गवाह रहा है। इसके पीछे 2008 से यहां बढ़ रहे माओवादी प्रभाव को जिम्मेदार ठहराया जाता है। लेकिन तृणमूल सरकार के सत्ता में आने के बाद केवल एक व्यक्ति की मौत हुई और वह माओवादी नेता किशनजी है।
उन्होंने आगे कहा, ममता बनर्जी सरकार ने उन्हें मारकर यह साबित कर दिया है कि भविष्य में लोगों के शब्द अंतिम होंगे।
दरअसल, किशनजी मोआवादी आंदोलन के प्रमुख चेहरा होने के साथ एक उसके मुख्य कमांडरों में से एक था। 2011 में पश्चिमी मिदनापुर के बुरीसोल जंगल में सुकोटेश्वर राव उर्फ किशनजी के मारे जाने की खबर आने के बाद यह विवाद हुआ था कि अर्धसैनिक बलों ने हिरासत में उनकी हत्या कर दी थी।
कुछ दिनों बाद मुख्यमंत्री बनर्जी ने कहा था कि मैंने सुरक्षा बलों से घटना के बारे में पूछा था कि आपने उन्हें सरेंडर करने का मौका क्यों नहीं दिया, तो उनकी तरफ से बताया गया कि किशनजी को सरेंडर करने के लिए तीन दिन का वक्त दिया गया था, लेकिन उनकी तरफ से गोलीबारी कर दी गई। इस मुद्दे पर विपक्ष ने भी सरकार को जमकर घेरा था।
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