पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पत्नी जशोदाबेन (Jashodaben) से कोलकाता एयरपोर्ट पर मुलाकात की. दोनों के बीच की यह मुलाकात ममता बनर्जी के दिल्ली के लिए उड़ान भरने से पहले सिटी एयरपोर्ट पर हुई. ममता बनर्जी की दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात प्रस्तावित है. एक सूत्र ने बताया कि निकटवर्ती झारखंड के धनबाद में दो दिन की यात्रा के बाद जशोदाबेन शहर छोड़ रही थीं. सूत्र ने बताया कि 'यह एक अचानक हुई मुलाकात थी और दोनों ने अभिवादन का आदान-प्रदान किया. मुख्यमंत्री ने उन्हें एक साड़ी भी उपहार में दी.
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इससे पहले ममता बनर्जी ने बुधवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से होने वाली मुलाकात को 'शिष्टाचार भेंट' बताते हुए कहा कि वह इस दौरान राज्य से जुड़े कई मुद्दों को उनके सामने उठाएंगी. इसमें राज्य को मिलने वाला कोष का मुद्दा अहम है. मंगलवार को दिल्ली के लिए रवाना होने से पहले हवाईअड्डे पर संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह राज्य के नाम में परिवर्तन, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय जैसे मुद्दों को उठाएंगी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी की उनकी यात्रा 'नियमित कामकाज' का हिस्सा है.
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राज्य सचिवालय के सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की मुलाकात बुधवार शाम साढ़े चार बजे होनी है. तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ने कहा, 'मैं अमूमन दिल्ली नहीं जाती हूं. मैं कहीं भी इसलिए नहीं जाती हूं, क्योंकि यहां पर मेरे पर कुछ जिम्मेदारियां हैं. हमें कुछ प्रशासनिक कारणों से नई दिल्ली जाना पड़ रहा है, क्योंकि यह राजधानी है और वहीं पर संसद है, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री वहीं रहते हैं. इसलिए हमें वहां जाने की जरूरत है. यह नियमित काम का हिस्सा है.'
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ममता बनर्जी ने कहा, 'इस बार मैं उस पैसे के बारे में बात करने जा रही हूं जो पश्चिम बंगाल को मिलना चाहिए. मैं पश्चिम बंगाल का नाम बदलने जैसे मुद्दे भी उठाऊंगी.' उन्होंने कहा, 'संकट से जूझ रहे एयर इंडिया, बीएसएनएल और रेलवे का मुद्दा, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय जैसे मुद्दों को उठाएंगी. इन लोगों (इन संगठनों के कर्मचारी) की सुनवाई जब कहीं नहीं हुई तो वे हमारे पास आए.' केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल का नाम बांग्ला करने के राज्य सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था. केंद्र ने कहा था कि इस कदम के लिए संविधान संशोधन की आवश्यकता है. इसके बाद बनर्जी ने जुलाई में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मुद्दे को उठाया था और उनसे मामले में शीघ्रता बरतने की अपील की थी.
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