44 वीं राष्ट्रीय राइफल्स के मेजर मुकुंद वरदराजन को स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर शांतिकाल के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से मरणोपरांत सम्मानित करने का फैसला किया गया है।
उन्होंने जम्मू कश्मीर के शोपियां जिले में मुठभेड़ में शहीद होने से पहले दो आतंकवादियों को मार गिराया था।
12 कर्मियों को जम्मू कश्मीर, पूर्वोत्तर राज्यों और अन्य उग्रवाद निरोधी अभियानों में अपने-अपने वीरतापूर्ण कार्यों के लिए तीसरे सर्वोच्च वीरता पुरस्कार शौर्य चक्र से सम्मानित किया जाएगा। इनमें से चार को यह सम्मान मरणोपरांत दिया जाएगा। इस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कुल 55 वीरता पुरस्कारों को देने की घोषणा की गई है।
मेजर मुकुंद वरदराजन (31) ने गत 25 अप्रैल को शोपियां के काजीपथरी गांव में एक आउटहाउस में छिपे तीन आतंकवादियों को घेरने के लिए अपने तीन सैनिकों को तैनात किया था। आतंकवादियों ने इससे पहले चुनाव अधिकारियों पर हमला किया था।
इस बीच, एक अन्य आतंकवादी ने गोलीबारी शुरू कर दी जिसमें मुकुंद गंभीर रूप से घायल हो गए। भारी रक्तस्राव हो रहे होने के बावजूद वह रेंगते हुए आगे बढ़े और गोलीबारी करके दूसरे आतंकवादी को ढेर कर दिया।
उनके प्रशस्ति पत्र में कहा गया है, '44 वीं राष्ट्रीय राइफल्स के मेजर मुकुंद और उनके साथी सिपाही विक्रम अदम्य साहस का परिचय देते हुए रेंगते हुए आउटहाउस के करीब पहुंचे। अधिकारी ने आउटहाउस के भीतर एक ग्रेनेड फेंका जिसमें एक आतंकवादी तुरंत ढेर हो गया।'
प्रशस्ति पत्र में कहा गया है, 'आतंकवादी को मारकर 24 घंटे के भीतर चुनाव अधिकारियों की हत्या का बदला लिया गया और लोकतंत्र तथा सेना में जनता का भरोसा बहाल किया गया। मेजर मुकुंद को वहां से निकाला गया लेकिन उनकी मौत हो गई।'
उनके साथी सिपाही विक्रम को भी मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। उन्होंने घटनास्थल से भाग रहे तीसरे आतंकवादी को मार गिराया था।
सशस्त्र बल कर्मियों और अर्द्धसैनिक बल के सदस्यों को जो 55 वीरता पुरस्कार देने की घोषणा की गई है उसमें एक को अशोक चक्र, 12 को शौर्य चक्र, 39 को सेना पदक (वीरता), एक को नौसेना पदक (वीरता) और दो को वायु सेना पदक (वीरता) से सम्मानित करने की घोषणा की गई है।
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