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This Article is From Sep 17, 2015

महोबा : स्कूली छात्रों को मोदी से रिटर्न गिफ्ट में चाहिए 'एम्स', 10 हजार ने भेजा बधाई संदेश

महोबा : स्कूली छात्रों को मोदी से रिटर्न गिफ्ट में चाहिए 'एम्स', 10 हजार ने भेजा बधाई संदेश
पीएम मोदी (फाइल फोटो)
महोबा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 65वें जन्मदिन पर उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के 10 हजार स्कूली छात्रों ने 65 मीटर के कपड़े पर बधाई संदेश भेजकर उनसे रिटर्न गिफ्ट के रूप में 'एम्स' की मांग की है।

महोबा में ऑल इंडिया इंस्टी्टयूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) की स्थापना की मांग को लेकर चल रहे अभियान के संयोजक तारा पाटकर ने कहा, बच्चों ने इस जिले के लोगों के लिए रिटर्न गिफ्ट के रूप में एम्स पाने की आशा के साथ प्रधानमंत्री मोदी को जन्मदिन पर शुभकामनाएं भेजी हैं। पाटकर ने कहा कि जिले के 10 हजार स्कूली छात्रों ने 65 मीटर लंबे कपड़े पर प्रधानमंत्री को बधाई संदेश भेजे हैं। उन्हें उम्मीद है कि उन्हें बदले में एम्स मिल जाएगा।

‘सेल्फी विद पेशेन्ट’
महोबा में एम्स की स्थापना की मांग को लेकर जिले के लोग प्रधानमंत्री तक अपनी बात पहुंचाने के लिए नए-नए तरीके अपनाते रहे हैं और ‘सेल्फी विद डॉटर' की तर्ज पर विभिन्न भाषाओं में लाखों ‘सेल्फी विद पेशेन्ट’ भेज चुके हैं।

12 जिलों को मिल सकेंगी चिकित्सा सुविधाएं
पाटकर ने कहा, 'हम बुन्देलखण्ड अंचल के लगभग बीचों-बीच स्थित महोबा जिले में एम्स की स्थापना की मांग कर रहे हैं ताकि यहां के लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मिल सकें तथा उन्हें कानपुर ,लखनऊ, आगरा और मध्य प्रदेश के विभिन्न शहरों की दौड़ न लगानी पड़े।' उन्होंने कहा कि महोबा में एम्स की स्थापना से पूरे बुन्देलखण्ड अंचल को सुविधा होगी, जिसमें उत्तर प्रदेश के सात और मध्य प्रदेश के पांच जिले शामिल हैं।

18 भाषाओं में दो लाख से अधिक पत्र भेजे गए
पाटकर ने बताया कि जिले के लोग एम्स की स्थापना के लिए जमीन की व्यवस्था करने को तैयार हैं। अब तक इस मांग को लेकर उर्दू और संस्कृत समेत 18 भाषाओं में प्रधानमंत्री को दो लाख से अधिक पत्र भेजे जा चुके हैं। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय से इस अभियान के बारे में मई माह में विस्तृत ब्यौरा मांगा गया था, मगर उसके बाद कोई ठोस बात अभी तक सामने नहीं आई है।

पाटकर ने कहा कि आंदोलन के जरिए साम्प्रदायिक सौहार्द और भाईचारे का भी संदेश गूंजा है और एम्स की स्थापना के लिए जहां एक ओर हिन्दुओं ने मुसलमानों के साथ रोजे रखे, वहीं मुस्लिमों ने प्रधानमंत्री को संस्कृत में लिखे पत्र भेजे हैं।

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