रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे (फाइल फोटो)
मुंबई:
जम्मू-कश्मीर के मेंढर में 37 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात सिपाही चंदू बाबूलाल चव्हाण पाकिस्तान फौज की गिरफ्त में हैं. चार दिनों से उनकी रिहाई की कोशिश चल रही है. चंदू गुरुवार को गलती से पाकिस्तान की सरहद में दाखिल हो गए थे. उनके परिजनों को सरकार उनकी रिहाई का भरोसा दे रही है. रविवार को इलाके के सांसद और रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे चंदू के धुले के बोरविहिर में स्थित घर पहुंचे और परिवार को ढाढस बंधाया.
पुणे में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी दुहराया कि चंदू को वापस लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. उन्होंने कहा "इसके लिए एक तय प्रक्रिया है, हम जांच करते हैं जब लोग गलती से सीमा पार चले आते हैं, फिर उन्हें वापस भेज दिया जाता है. डीजीएमओ के स्तर पर यह प्रक्रिया होती है, जिसकी शुरुआत कर दी गई है."
सरकार चंदू की रिहाई सुनिश्चित करने में जुटे होने का वादा कर रही है. जमीनी स्तर पर यह भरोसा दिलाने धुले के सांसद और रक्षा राज्यमंत्री चंदू के परिजनों से मिलने पहुंचे. मुलाकात के बाद चंदू के भाई भूषण चव्हाण ने कहा " मंत्रीजी ने हमसे मुलाकात की और भरोसा दिलाया. उन्होंने कहा कि आम तौर पर इस बात में 20 दिन लगते हैं लेकिन उड़ी हमले की वजह से शायद कुछ और दिन लग जाएं."
धुले के बोरविहिर की आबादी लगभग 3000 है. यहां के 100 से ज्यादा जवान सेना और दूसरे सुरक्षा बलों में तैनात हैं. चंदू के परिजनों की तरह चेतन सोनावणे का परिवार भी अपने बेटे के लिए फिक्रमंद है. चेतन के भाई तुषार पाटिल ने भी चंदू के जल्द वापस लौटने की उम्मीद जताते हुए कहा " हमें हमारे भाई की फिक्र है जो सेना में एसएसबी में सेवारत है."
फिक्र अकेले चेतन या चंदू के ही नहीं बल्कि कई अन्य परिवारों में है. गांव के नौजवान अब सरकार को खत भेजने में जुटे हैं. पत्र में लिखा है कि चंदू की रिहाई उनका मनोबल बनाए रखने में मददगार होगी. 20 साल के भूषण वाघ ने बताया "हमारे परिवार को हमारे लिए डर लगता है." वहीं यशोदीप पाटिल का कहना था " हमारे घर वाले डरे हुए हैं. चंदू हमारा हीरो है अगर वह वापस लौट आता है तो सबका मनोबल बढ़ेगा."
चंदू के पकड़े जाने से चव्हाण परिवार को दूना सदमा लगा है. चंदू और उनके भाई-बहनों को माता-पिता की मौत के बाद नानी ने ही पाला था, लेकिन उसके पकड़े जाने की खबर सुनते ही नानी को दिल का दौरा पड़ा. शुक्रवार को उनकी अस्पताल में मौत हो गई.
(साथ में अनंत झणाने)
पुणे में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी दुहराया कि चंदू को वापस लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. उन्होंने कहा "इसके लिए एक तय प्रक्रिया है, हम जांच करते हैं जब लोग गलती से सीमा पार चले आते हैं, फिर उन्हें वापस भेज दिया जाता है. डीजीएमओ के स्तर पर यह प्रक्रिया होती है, जिसकी शुरुआत कर दी गई है."
सरकार चंदू की रिहाई सुनिश्चित करने में जुटे होने का वादा कर रही है. जमीनी स्तर पर यह भरोसा दिलाने धुले के सांसद और रक्षा राज्यमंत्री चंदू के परिजनों से मिलने पहुंचे. मुलाकात के बाद चंदू के भाई भूषण चव्हाण ने कहा " मंत्रीजी ने हमसे मुलाकात की और भरोसा दिलाया. उन्होंने कहा कि आम तौर पर इस बात में 20 दिन लगते हैं लेकिन उड़ी हमले की वजह से शायद कुछ और दिन लग जाएं."
धुले के बोरविहिर की आबादी लगभग 3000 है. यहां के 100 से ज्यादा जवान सेना और दूसरे सुरक्षा बलों में तैनात हैं. चंदू के परिजनों की तरह चेतन सोनावणे का परिवार भी अपने बेटे के लिए फिक्रमंद है. चेतन के भाई तुषार पाटिल ने भी चंदू के जल्द वापस लौटने की उम्मीद जताते हुए कहा " हमें हमारे भाई की फिक्र है जो सेना में एसएसबी में सेवारत है."
फिक्र अकेले चेतन या चंदू के ही नहीं बल्कि कई अन्य परिवारों में है. गांव के नौजवान अब सरकार को खत भेजने में जुटे हैं. पत्र में लिखा है कि चंदू की रिहाई उनका मनोबल बनाए रखने में मददगार होगी. 20 साल के भूषण वाघ ने बताया "हमारे परिवार को हमारे लिए डर लगता है." वहीं यशोदीप पाटिल का कहना था " हमारे घर वाले डरे हुए हैं. चंदू हमारा हीरो है अगर वह वापस लौट आता है तो सबका मनोबल बढ़ेगा."
चंदू के पकड़े जाने से चव्हाण परिवार को दूना सदमा लगा है. चंदू और उनके भाई-बहनों को माता-पिता की मौत के बाद नानी ने ही पाला था, लेकिन उसके पकड़े जाने की खबर सुनते ही नानी को दिल का दौरा पड़ा. शुक्रवार को उनकी अस्पताल में मौत हो गई.
(साथ में अनंत झणाने)
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