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This Article is From Aug 13, 2021

फिर से स्कूलों को खोलने के फैसले पर महाराष्ट्र सरकार का यू-टर्न, कोविड टास्क फोर्स ने जताया विरोध

सरकार की तरफ से इसको लेकर एक प्रस्ताव बनाया गया था, जिसमें कहा गया था कि ग्रामीण क्षेत्रों में 5वीं कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा और शहरी क्षेत्रों में 8वीं कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा तक के स्कूलों को फिर से खोलने के लिए विस्तृत एसओपी तैयार किये जाएं.

फिर से स्कूलों को खोलने के फैसले पर महाराष्ट्र सरकार का यू-टर्न, कोविड टास्क फोर्स ने जताया विरोध
महाराष्ट्र सरकार ने 10 अगस्त को ऐलान किया था कि 17 अगस्त से स्कूल फिर से खुलेंगे. (सांकेतिक तस्वीर)
मुंबई:

महाराष्ट्र शिक्षा विभाग ने कोविड पर अपने टास्क फोर्स की आपत्तियों के बाद स्कूलों को फिर से खोलने के अपने फैसले पर रोक लगा दी है. सरकार ने 10 अगस्त को ऐलान किया था कि 17 अगस्त से स्कूल फिर से खुलेंगे. सरकार की तरफ से इसको लेकर एक प्रस्ताव बनाया गया था, जिसमें कहा गया था कि ग्रामीण क्षेत्रों में 5वीं कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा और शहरी क्षेत्रों में 8वीं कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा तक के स्कूलों को फिर से खोलने के लिए विस्तृत एसओपी तैयार किये जाएं. लेकिन एक दिन बाद, टास्क फोर्स द्वारा सर्वसम्मति से विरोध करने के बाद उस प्रस्ताव को रोकने के लिए कैबिनेट का निर्णय लिया गया.

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बुधवार रात शिक्षा विभाग और टास्क फोर्स के बीच बैठक हुई, जिसमें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी मौजूद थे. टास्क फोर्स की आशंकाओं के बारे में पूछे जाने पर, इसके एक सदस्य ने एनडीटीवी को बताया कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों को कोरोना टीका नहीं लगाया जा रहा है, और आशंका है कि तीसरी लहर में ये बच्चे प्रभावित हो सकते हैं. इसके अलावा, स्कूलों में तापमान की जांच करने, मास्क पहनने, संरेखित बेंच, साबुन और सैनिटाइजर के लिए उचित बुनियादी ढांचा नहीं है. उन्होंने कहा कि स्कूल स्टाफ का प्रशिक्षण भी पूरा नहीं हुआ है.

वहीं, महाराष्ट्र की शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ इस बात से अनजान थीं कि सरकारी प्रस्ताव को रोक दिया गया है. गायकवाड़ ने एनडीटीवी को बताया, "हमने कभी भी एक व्यापक निर्णय नहीं दिया. हमने जिलों के कलेक्टरों और नगर आयुक्तों को अंतिम अधिकार दिए. टास्क फोर्स के साथ कोई मतभेद होने का कोई सवाल ही नहीं है. शुरू से ही कानून व्यवस्था को लागू करते हुए हमने स्वास्थ्य और सुरक्षा का भी ध्यान रखा” उन्होंने कहा, वास्तव में क्या हुआ है, इस बारे में मैं अधिक जानकारी जुटाऊंगी."

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वंचित पृष्ठभूमि के बहुत से लोग चाहते हैं कि स्कूल खुले - जैसे राबिया, जो मुंबई के मानखुर्द इलाके में रहती हैं. राबिया की एक छोटी बेटी है जो कक्षा 5 में पढ़ती है. उसका पति एक कपड़े की दुकान में काम करता है और उसका परिवार अच्छा नहीं है. बिजली भी उसके लिए एक बड़ी समस्या है. राबिया ने एनडीटीवी से कहा, "उसके पिता मोबाइल को अपने साथ दुकान पर ले जाते हैं. हमारे पास कोई और स्मार्टफोन नहीं है. वह कैसे पढ़ाई करेगी? यह हमारे लिए मुश्किल हो जाता है. मैं चाहती हूं कि स्कूल जल्द से जल्द खुल जाए." वहीं, शिक्षक भी चाहते हैं कि स्कूल खुले, क्योंकि कई छात्र शिक्षा से वंचित हैं. ‘आदर्श शिक्षक सेवा संघ' के अध्यक्ष राजेश सिंह ने कहा, "सरकार को अब स्कूलों को फिर से शुरू करना चाहिए. लेकिन इससे पहले कि वे इसके लिए अधिसूचना जारी करें, उन्हें हर हितधारक से परामर्श करना चाहिए ताकि किसी के मन में कोई भ्रम न हो."

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