स्कूल शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार ने कोविड के कारण अपने माता-पिता को खो चुके 12वीं कक्षा तक के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा का प्रस्ताव किया है.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को एक प्रस्ताव दिया गया था जिसमें कहा गया था कि उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग 12वीं कक्षा तक के बच्चों का खर्च वहन करेगा जो कोविड के कारण अनाथ हुए हैं.
गायकवाड़ ने अपने सोशल मीडिया हैंडल में कहा कि विभाग इन बच्चों के लिए "12 वीं कक्षा तक मुफ्त शिक्षा की जिम्मेदारी" लेगा. "
कोरोनामुळे अनेक मुलांच्या डोक्यावरील आईवडिलांचे छत्र हरपले.पालकांचा आधार न राहिल्याने त्यांच्यासमोर शिक्षणाचा गंभीर प्रश्न उभा आहे. सदर मुलांना बारावीपर्यंतचे शिक्षण मोफत व पुढील शिक्षणाची जबाबदारी उच्च व तंत्र शिक्षण विभागाने घेण्याबाबतचा प्रस्ताव मा.मुख्यमंत्र्यांसमोर मांडला.
— Varsha Gaikwad (@VarshaEGaikwad) May 27, 2021
इससे पहले आज, केरल सरकार ने भी इसी तरह के घटनाक्रम की घोषणा की. मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि सरकार ने तत्काल राहत के रूप में 3 लाख रुपये के विशेष पैकेज और कोविड के कारण अनाथ बच्चों को 2,000 रुपये की मासिक सहायता की घोषणा की है. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उनके स्नातक होने तक शिक्षा का खर्च सरकार वहन करेगी. छात्रों को 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक 2,000 रुपये की मासिक सहायता प्रदान की जाएगी.
दिल्ली, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड सरकारों ने भी पहले उन बच्चों के लिए वित्तीय सहायता और मुफ्त शिक्षा की घोषणा की थी, जिनके माता-पिता की मृत्यु कोविड से हुई थी.
दिल्ली सरकार ने जहां COVID-19 के कारण अनाथ बच्चों को 2,500 रुपये प्रति माह देने की घोषणा की है, वहीं मध्य प्रदेश 5,000 रुपये प्रति माह और छत्तीसगढ़ कक्षा 1 से 8 तक 500 रुपये और कक्षा 9 से 12वीं के छात्रों को 1,000 रुपये प्रति महीने मदद प्रदान करेगा.
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