बांद्रा के सरकारी गेस्ट हाउस में उस बंद कमरे के राज पर से पर्दा उठने लगा है। जांच की पहली गाज़ राज्य के सार्वजनिक बांधकाम विभाग (पीडब्ल्यूडी विभाग) के 13 इंजीनियरों पर गिरी है। उनमें से दो जी एस अहिरे और आर बी परदेशी पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
बाकी के 11 अभी सेवा में हैं और सभी विभागीय अभियंता है। कमरे से मिली ज्यादातर एमबी बुक इन्ही इंजिनीयरों के अधीन थीं।
5 फरवरी को एक गुप्त सूचना के आधार पर महाराष्ट्र की भ्रष्टाचार निरोधक ब्युरो ने मुंबई में बांद्रा के सरकारी गेस्ट हाउस पर छापा मारकर सार्वजनिक बांधकाम विभाग के ठेकों से जुड़े दस्तावेज, लेन-देन की डॉयरी, इलेक्शन फंड बुक, 18 मोबाइल फोन और शराब की बोतलें बरामद किया था। खास बात थी कि उस कमरे से 249 एमबी यानी मेजरमेंट बुक मिली थीं जो पीडब्ल्युडी दफ्तर से बाहर नहीं निकाली जा सकती। एमबी बुक में ठेके का पूरा ब्योरा और उसकी लागत लिखी होती है।
हैरानी की बात है कि गेस्ट हाउस का वो कमरा पिछले सात सालों से स्टोर रुम के तौर पर दिखाया गया है। लेकिन कमरे की चाबी किसके पास है? कौन उसका इस्तेमाल करता था किसी को कुछ पता नहीं है। एसीबी की टीम को चाभी वाले को बुलाकर ताला खोलना पड़ा।
कमरे के बाहर स्टोर रुम लिखा है, लेकिन कमरे में एअरकंडिशन के साथ सोफा, टीवी, कंप्युटर सभी कुछ है। साफ है कि पिछली सरकार में किसी असरदार शख्स ने कमरे का इस्तेमाल अपने काले कारनामे को अंजाम देने के लिए किया होगा।
अब बंद कमरे की जांच का जिम्मा भी उस विशेष जांच टीम को दिया गया है जो दिल्ली में महाराष्ट्र सदन घोटाले की जांच कर रही है। लेकिन, 14 दिन बीत जाने के बाद भी एसीबी न तो कोई गिरफ्तारी कर पाई है और न ही बंद कमरे के राज पर से पर्दा उठा पाई है।
मामले में राज्य सरकार ने भले ही पीडब्ल्युडी के 13 इंजीनियर के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की है, लेकिन जानकार इससे संतुष्ट नहीं है। उनका मानना है कि असली आरोपी तो मामले से जुड़े बड़े 20 बड़े अफसर और उनके चहेते ठेकेदार हैं जिनपर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
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