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आज भी तलाशी अभियान, मगर सुबह से हो रही है बारिश
अब फिश फाइंडर की मदद ली जा रही है
2 अगस्त को सावित्री नदी पर बना पुल बह गया था
तलाशी अभियान की गति धीमी
इस बीच नदी में मगर देखे जाने और दिन भर जारी तेज बारिश की वजह से तलाशी अभियान धीमी गति से चला. महाड़ पुल हादसे को तीन दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक न तो नदी में डूबी एसटी बसों और न ही टवेरा और होंडा सिटी कार का कुछ पता चल पाया है. शव जरूर अब खुद पानी के ऊपर आने लगे हैं. अब तक 22 शव मिल चुके हैं, जिनमें एक एसटी बस के ड्राइवर एमएस काम्बले का शव है.
तेज बारिश और नदी में तेज बहाव से बाधा
गुरुवार शाम अंधेरा होने के बाद आज सुबह फिर से तलाशी अभियान शुरू किया गया है, लेकिन आज महाड़ में तेज बारिश हो रही है. नदी का बहाव भी तेज हो गया है, जिसकी वजह से बचाव कार्य में बाधा उत्पन्न हो रही है. दो दिन के अथक परिश्रम के बाद भी डूबे वाहनों का पता नहीं लगा पाने के बाद एनडीआरएफ अब स्थानीय मछुआरों के फिश फाइंडर की मदद ले रही है. फीस फाइंडर में सेंसर लगा होता है, जो 100 फुट तक दूरी पर पानी के भीतर की वस्तु और जीव का सुराग बता देता है. मछुआरे इसका इस्तेमाल गहरे समंदर में मछलियों का पता लगाने के लिए करते हैं.
दो अगस्त को रायगढ़ जिले के महाड़ में सावित्री नदी पर बना पुल बह गया था. अंग्रेजों के ज़माने का बना पुल नदी में पानी के तेज बहाव को बर्दास्त नहीं कर पाया. पुल के साथ दो एसटी बस, एक टवेरा और एक होंडा सिटी कार भी बह गई. कुल मिलाकर 42 लोगों के बहने की जानकारी मिली है, जिनमे से अब तक 22 के शव बरामद हो पाए हैं.
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