विदेशमंत्री सुषमा स्वराज द्वारा गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की वकालत किए जाने के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने आज लोगों से महाभारत और रामायण पढ़ने का आग्रह किया और कहा कि ये महाकाव्य राजनीति और नैतिकता पर ज्ञान के बड़े स्रोत हैं।
आडवाणी ने आजादी के पहले के अपने दिनों को याद करते हुए कहा कि उनकी दादी उनसे महाभारत को पूरी तरह नहीं बल्कि टुकड़ों में पढ़ने को कहा करती थी, क्योंकि ऐसी मिथक थी कि महाकाव्य को घर में रखना मनहूस है।
उन्होंने कहा, 'मैं मानता हूं कि महाभारत के अलावा कोई दूसरा महाकाव्य शिक्षणशास्त्र का इतना बड़ा स्रोत, राजनीति पर सूचना का महान स्रोत और साथ ही नैतिक शिक्षा, एकता और साहस का इतना बड़ा स्रोत नहीं है।'
पूर्व उपप्रधानमंत्री यहां प्रसिद्ध पत्रकार और उर्दू अखबार दैनिक प्रताप के प्रमुख के नरेंद्र की जन्म शताब्दी के मौके पर आयोजित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम और पुरस्कार समारोह में बोल रहे थे।
आडवाणी ने कहा कि उन्होंने ईसाई मिशनरी स्कूल में शिक्षा पाई है और महाभारत, रामायण और भागवत गीता उन्होंने सिंधी और अंग्रेजी भाषा में पढ़ी है। आजादी के बाद उन्होंने इन ग्रंथों को हिंदी में पढ़ा।
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