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10 प्रतिशत की सीमा तक फीस वृद्धि की जा सकेगी
जिला समिति नियमों के उल्लंघन की शिकायतों पर जांच करेगी
अधिक फीस लिए जाने पर दो लाख रुपये तक का अर्थदंड
प्रदेश के स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी ने विधेयक पेश करते हुए कहा, "विधेयक के प्रभावी होने पर पूर्णत: आवासीय तथा धार्मिक शिक्षा प्रदान करने वाले विद्यालयों को छोड़कर शेष सभी निजी विद्यालय इसके दायरे में आएंगे. फीस में वृद्धि का विनियमन इस प्रकार किया जाएगा कि उस वर्ष के वार्षिक व्यय पर प्राप्तियों का आधिक्य, जिस वर्ष के लिए फीस प्रस्तावित है, वार्षिक प्राप्तियों का 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा." विधेयक के प्रमुख प्रावधानों के अनुसार, विद्यालय प्रबंधन द्वारा बीते वर्ष के लिए नियत फीस के 10 प्रतिशत की सीमा तक फीस वृद्धि की जा सकेगी, किंतु विद्यालय प्रबंधन द्वारा यदि पिछले वर्ष की फीस की तुलना में फीस वृद्धि 10 से 15 प्रतिशत प्रस्तावित हो तो ऐसे प्रस्ताव को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित जिला समिति अधिकृत करेगी.
विधेयक के माध्यम से निजी विद्यालयों से संबंधित अन्य विषय जैसे कि पाठ्यपुस्तकें, लेखन सामग्री, वाचन सामग्री, स्कूल बैग, गणवेश, छात्रों के लिए परिवहन प्रदान करना और सभी ऐसे विषय, जो छात्र या उसके माता-पिता या अभिभावक द्वारा प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से निजी विद्यालय को धनराशि देने का कारण बने, के बारे में आवश्यक प्रावधान किया गया है. फीस तथा संबंधित विषयों के विनियमन के लिए गठित जिला समिति नियमों के उल्लंघन के संबंध में किसी छात्र के माता-पिता या छात्र द्वारा की गई शिकायत की जांच कर सकेगी.
VIDEO : छात्रा ने जान दी
विधेयक के मुताबिक, जिला समिति यदि यह पाती है कि निर्धारित फीस से अधिक फीस ली गई है तो वह निजी विद्यालय के प्रबंधन को उन छात्रों को फीस वापस करने के निर्देश देगी तथा इसके अतिरिक्त दो लाख रुपये तक की शास्ति (अर्थदंड) अधिरोपित कर सकेगी. जहां फीस वापसी का आदेश दूसरी बार जारी किया जाएगा, वहां चार लाख रुपये तक की तथा उसके बाद के आदेशों के लिए छह लाख रुपये तक की शास्ति समिति द्वारा अधिरोपित की जा सकेगी. इसके साथ ही संबंधित निजी विद्यालय की मान्यता निलंबित या रद्द करने की अनुशंसा भी की जा सकेगी.
(इनपुट आईएएनएस से)
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