मध्य प्रदेश सरकार का आदेश, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की कार्यालयों में होगी 25 प्रतिशत उपस्थिति 

मंत्रालय एवं राज्य स्तरीय कार्यालयों में कोरोना कर्फ्यू (लॉकडाउन) की अवधि के दौरान प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों की उपस्थिति शत-प्रतिशत और तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की उपस्थिति 25 प्रतिशत रोटेशन के अनुसार होगी.

मध्य प्रदेश सरकार का आदेश, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की कार्यालयों में होगी 25 प्रतिशत उपस्थिति 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की फाइल फोटो

भोपाल:

मध्य प्रदेश सरकार ने रविवार को आदेश जारी किया है कि मंत्रालय एवं राज्य स्तरीय कार्यालयों में कोरोना कर्फ्यू (Corona curfew) की अवधि के दौरान प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों की उपस्थिति शत-प्रतिशत और तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की उपस्थिति 25 प्रतिशत रोटेशन के अनुसार होगी. मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा कोविड-19 की रोकथाम के उद्देश्य से कार्यालयों से कार्य करने वाले आधिकारी/कर्मचारियों की उपस्थिति के संबंध में निर्देश जारी किए गये हैं.'' 

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उन्होंने कहा, ‘‘मंत्रालय एवं राज्य स्तरीय कार्यालयों में कोरोना कर्फ्यू (लॉकडाउन) की अवधि के दौरान प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों की उपस्थिति शत-प्रतिशत और तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की उपस्थिति 25 प्रतिशत रोटेशन के अनुसार होगी.'' अधिकारी ने बताया कि जिला कलेक्टर कोरोना कर्फ्यू क्षेत्र में जिला/संभाग स्तरीय कार्यालयों को पूर्णत: या आंशिक रूप से संचालित करने का निर्णय ले सकेंगे.उनके अनुसार ड्यूटी पर आने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए कोरोना के संक्रमण से बचाव हेतु मास्क का उपयोग, सोशल डिस्टेसिंग का पालन और अन्य समस्त आवश्यक सावधानियाँ रखने के निर्देश जारी किए गये हैं.

वहीं, भोपाल के एक सरकारी अस्पताल में एक मरीज की मौत होने पर कांग्रेस के विधायक एवं प्रदेश के पूर्व मंत्री पीसी शर्मा (Congress MLA PC Sharma) और उनके समर्थक पूर्व पार्षद द्वारा वरिष्ठ चिकित्सक से दुर्व्यवहार की घटना पर दुखी होकर चिकित्सक ने शासकीय नौकरी से इस्तीफा दे दिया है. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने अपील की है कि सभी लोग सभ्य और जिम्मेदार नागरिक होने का परिचय दें तथा डॉक्टर का मनोबल गिराने की जगह उनका मनोबल बढ़ायें.

भोपाल के शासकीय जेपी अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ राकेश श्रीवास्तव ने शनिवार को बताया, ‘‘एक मरीज की मौत के बाद कुछ नेताओं ने वरिष्ठ डॉक्टर योगेन्द्र श्रीवास्तव से दुर्व्यवहार किया जिससे व्यथित होकर डॉक्टर ने सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया है.''

उन्होंने बताया कि शनिवार सुबह एक मरीज को गंभीर हालत में अस्पताल के ट्रामा वार्ड में भर्ती किया गया था. डॉ योगेन्द्र श्रीवास्तव ने भर्ती होने के समय ही मरीज के परिजन को मरीज की गंभीर हालत के बारे में बता दिया था. उपचार के दौरान दोपहर में मरीज की मौत होने के बाद कुछ नेताओं ने डॉक्टर के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया. इस घटना से दुखी होकर डॉक्टर योगेन्द्र ने अपना इस्तीफा सौंप दिया.

घटना का एक वीडियो भी वायरल हुआ है जिसमें कांग्रेस के विधायक पीसी शर्मा एवं उनके समर्थक पूर्व पार्षद योगेन्द्र चौहान डॉक्टर श्रीवास्तव से बात कर रहे हैं. वीडियो में विधायक शर्मा, डॉक्टर से सामान्य तौर पर जबकि चौहान तेज आवाज में बात करते दिखाई पड़ रहे हैं.

इस वीडियो के वायरल होने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट में कहा, ‘‘आज की घटना की कारण जेपी अस्पताल में एक वरिष्ठ चिकित्सक ने अत्यंत व्यथित होकर इस्तीफा तक सौंप दिया है. हम एक सभ्य समाज में रह रहे हैं, इस समय जब साथ मिलकर खड़े होने की जरूरत है, ऐसे में हंगामा करना न तो जनहित में है और न ही इससे कोविड-19 का मुकाबला किया जा सकता है.''

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इस मामले में प्रदेश के पूर्व विधि मंत्री पीसी शर्मा ने कहा, ‘‘मेरे क्षेत्र के एक गरीब व्यक्ति को गंभीर हालत में अस्पताल भर्ती कराया गया था. सुबह डॉक्टर उसे निजी अस्पताल में ले जाने के लिये कह रहा था. मरीज के परिजन और मेरे काफी प्रयास के बावजूद डॉक्टर मुझसे फोन पर बात नहीं कर रहे थे. अंतत: दोपहर को जब मैं वहां गया तो मरीज की मौत हो चुकी थी.''



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)