विज्ञापन
5 years ago

Madhya Pradesh Crisis: मध्य प्रदेश के सियासी घमासान के बीच आज सुप्रीम कोर्ट फ्लोर टेस्ट को लेकर साढ़े दस बजे सुनवाई करेगा. शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीएम कमलनाथ, विधानसभा सचिव को नोटिस जारी किया था. कोर्ट ने कहा है कि आदेश की कॉपी, ईमेल, वाट्एसएप के माध्यम से बागी विधायकों को भी दिया जाए. कोर्ट फिलहाल अब इस मामले की सुनवाई बुधवार को 10:30 बजे करेगा. वहीं, भाजपा के बाद अब कांग्रेस भी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचे गई है. मध्यप्रदेश कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. याचिका में कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने 16 विधायकों को कब्ज़े में रखा है. साथ ही याचिका में कहा है कि 16 विधायकों की अनुपस्थिति में बहुमत परीक्षण नहीं हो सकता. कांग्रेस पार्टी ने फ्लोर टेस्ट के लिए राज्यपाल के निर्देश पर भी सवाल उठाया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि कमलनाथ सरकार पहले ही सदन में बहुमत खो चुकी है.

Here are the Madhya Pradesh Crisis Live Updates:

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ''मुद्दा यह है कि उन्होंने इस्तीफा दिया है इस पर स्पीकर द्वारा परीक्षण किया जाना है. स्पीकर का कर्तव्य है कि वह यह जांचने के लिए बाध्य है कि क्या किसी को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया है. स्पीकर को पहले इस्तीफा स्वीकार करना होगा. यह एक न्यायाधीश के इस्तीफे की तरह नहीं है, जहां वह अपने हाथों से इस्तीफा देता है. स्पीकर को खुद को संतुष्ट करना होगा.''
वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, ''राज्यपाल राज्य के संवैधानिक मुखिया है ये उनकी जिम्मेदारी है कि वो सुनिश्चित करे कि राज्य में काम संविधान के मुताबिक चलता रहे.'' रोहतगी ने आगे कहा, ''यह सत्ता की वासना है जिसके कारण ये सभी तर्क दिए जा रहे हैं. यह अनसुनी बात है कि एक व्यक्ति जिसने बहुमत खो दिया है और एक दिन भी जारी नहीं रख सकता, अब कह रहा है कि वह 6 महीने तक जारी रखना चाहता है. फिर से चुनाव होना चाहिए और फिर एक विश्वास मत हो.''
दुष्यन्त दवे की तरफ से बहस पूरी हुई. सिंघवी ने कोर्ट से समय मांगा जवाब दाखिल करने के लिए
, लेकिन वकील मुकुल रोहतगी ने विरोध किया कहा समय देना ठीक नहीं. कोर्ट को तुरन्त आदेश देना चाहिए. रोहतगी ने कहा कांग्रेस वही पार्टी है जिसने 1975 में आपातकाल लगा कर लोकतंत्र की हत्या की थी. कांग्रेस पार्टी का मकसद केवल सत्ता में रहना है. रोहतगी ने कहा कि ये केस कोई दलबदल का केस नहीं है, ये केस विधायकों के इस्तीफा देने का है.''
दवे ने कहा परिस्थिति को अलग से एकांगी तौर पर देखने की बजाय समग्र में देखा जाय. 
जिन विधायकों के इस्तीफे मंज़ूर हो जाएं उन सीटों पर उपचुनाव हो जाय फिर शक्ति परीक्षण हो.'' दवे ने कहा कि इस चरण पर बहुमत परीक्षण की इजाजत नही दी जानी चाहिए. सभी 22 विधायकों को चुनाव में उतरने दिया जाए. इसके बाद फ्लोर टेस्ट हो.''

जस्टिस गुप्ता ने कहा, ''हम दसवीं अनुसूची पर नहीं हैं.'' इस पर दवे ने कहा, ''लेकिन फ्लोर टेस्ट के आदेश तो राज्यपाल ने दिए हैं.'' जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा, ''यही तो वे कर रहे हैं. वे अपनी सदस्यता छोड़ रहे हैं और मतदाताओं के पास फिर से जा सकते हैं.'' दवे ने कहा, ''यह एक बहुत ही सीमित व्याख्या है. कांग्रेस सरकार तुरंत ना हटे तो आसमान नहीं गिरेगा और शिवराज सिंह चौहान की सरकार को जनता के बीच जाना चाहिए.''
जस्टिस चंद्रचूड ने कहा, ''जब स्पीकर ने 6 का इस्तीफा स्वीकार किया तो क्या उन्होंने सभी 22 विधायकों पर अपने विवेक का इस्तेमाल किया.'' इस पर दवे ने कहा, ''आज सबसे बुनियादी मुद्दा यह है कि राज्यपाल एक फ्लोर टेस्ट के लिए कैसे निर्देशित कर सकते हैं? वह यह तय करने वाले कोई नहीं है. इस्तीफे पर निर्णय लेने के लिए राज्यपाल की कोई भूमिका नहीं है. दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता कार्यवाही में राज्यपाल की कोई भूमिका नहीं है. राज्यपाल द्वारा ऐसा कोई भी आदेश संवैधानिक रूप से ठहरने वाला नहीं है.''
दवे ने कहा, ''एक विधायक का कर्तव्य है, अपनी शपथ के अनुसार, जब कोई आपसे चार्टर्ड फ्लाइट और एक सुंदर होटल में ठहरने का वादा करता है, तो उसे भागना नहीं है. उनका कर्तव्य लोगों के प्रति है.'' कोर्ट ने पूछा, ''अभी तक कितने विधायकों का इस्तीफा मंजूर हुआ है.'' इस पर कांग्रेस का वकील दुष्यंत दवे ने कहा, ''6 विधायकों का.''
दुष्यंत दवे संविधान सभा की उस डिबेट को पढ़ा रहे है जिसमे भीम राव अम्बेडकर ने संविधान के उद्देश्य को लेकर बात कही थी. स्थिर शासन को संविधान की एक बुनियादी संरचना के रूप में माना जाना चाहिए ताकि कोई भी निर्वाचित सरकार की स्थिरता के खिलाफ काम न करे. राज्यपाल के पास रात में सीएम या स्पीकर को कुछ भी करने के लिए निर्देश भेजने का कोई बिजनेस नहीं था. जिसपर कहा, ''तभी पांच साल के कार्यकाल का प्रावधान रखा गया है.''
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने इस पर कहा, ''एक तरफ, जब मैंने "संवैधानिक नैतिकता" अभिव्यक्ति का उपयोग किया तो मेरी आलोचना की गई थी, लेकिन जब बीआर अंबेडकर ने अभिव्यक्ति का उपयोग किया था तो इसका मतलब निकाला गया कि संविधान के सिद्धांतों से ही संवैधानिक नैतिकता आया है.''
कांग्रेस ने कहा कि 16 बागी विधायक अभी भी बंगलोर में है. वो अभी तक वापस मध्य प्रदेश नहीं आये. ऐसे में वो चाहते है कि कोर्ट उनकी अर्जी पर सुनवाई कर उन्हें राहत दे. मैं कोर्ट से गुजारिश करता हूं कि बागी विधायकों की अर्जी पर कोई आदेश न जारी किया जाए.'' दवे ने दलील में कहा, ''या तो सभी विधायक सदन में आएं या फिर इस्तीफ़ाशुदा सीटों पर फिर से चुनाव होने तक शक्तिपरीक्षण कराने की याचिका पर सुनवाई ना हो. विधायकों को जहां रखा गया है वहां एक-कमरे का खर्च 30-40 हजार है.''
कांग्रेस की तरफ से वकील दवे ने कहा, ''स्पीकर सदन के मास्टर हैं, वह (गवर्नर) स्पीकर को भी ओवरराइड कर रहे हैं. जब उन्होंने देश में हर चीज को बेमानी बना दिया है तो देश में उनके कोई अधिकार क्यों है?''
कांग्रेस ने अब गवर्नर पर सवाल खड़ा करते हुए उनके पत्र का हवाला दिया और कहा, ''गवर्नर ये कैसे कह सकते है कि हमारे पास बहुमत नहीं है जबकि बहुमत परीक्षण भी नहीं हुआ. कोई भी विश्वास मत केवल 16 विधायकों की उपस्थिति में होना चाहिए . यदि कांग्रेस से जुड़े 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है और यदि सीट खाली हो गई है, तो विश्वास मत को उक्त 22 निर्वाचन क्षेत्रों के मतदाताओं के प्रतिनिधित्व के बिना नहीं रखा जा सकता है, जिसे केवल चुनाव द्वारा सुरक्षित किया जा सकता है.''
दवे ने कोर्ट में कहा कि इस समय दुनिया गंभीर समस्या से गुजर रहा है ऐसे में क्या अभी बहुमत परीक्षण जरूरी है? संविधान पीठ से तय करे कि क्या विधायक इस तरह इस्तीफा दे सकते हैं?
कांग्रेस की ओर से दलील दे रहे वकील ने कहा, ''आज सुबह दिग्विजय सिंह वहां गए लेकिन उन्हें हिरासत में लिया गया है. वे क्या चाहते हैं, मुझे समझ नहीं आ रहा. भाजपा एक जिम्मेदार पार्टी और सत्ता में पार्टी है. हम एक संकट का सामना कर रहे हैं जो मानवता ने पहले कभी नहीं देखा है, क्या वे चाहते हैं कि अदालत अब इस पर सुनवाई करे.''
कोर्ट में दुष्यंत दवे ने कहा, ''यह साधारण फ्लोर टेस्ट का सवाल नहीं है, बल्कि बाहुबल और धन शक्ति का उपयोग करके लोकतंत्र को नष्ट करने का सवाल है.''
सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस की दलील
कांग्रेस की ओर से वकील दुष्यंत दवे ने कहा, ''आज हम एक अजीबोगरीब स्थिति में हैं. राज्य की जनता ने कांग्रेस पार्टी (114 सीटों) पर भरोसा किया और भाजपा ने 109 सीटें जीतीं. सबसे बड़ी पार्टी ने उस दिन विश्वास मत जीता था. 18 महीनों से बहुत ही स्थिर सरकार काम कर रही थी.'' कांग्रेस ने आगे कहा, ''स्पीकर को ये देखना होगा कि इस्तीफे स्वैच्छिक हैं या नहीं.'' दवे ने आगे कहा, ''विधायकों को अगुवा किया गया. राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट का जो आदेश भेजा वो पूरी तरह असंवैधानिक है.''
मध्य प्रदेश मामले में कांग्रेस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू
सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस ने कहा कि विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते है और अचानक ये नहीं कह सकते कि वो इस्तीफा देना चाहते हैं.
बेंगलुरु के अमृताहल्ली पुलिस स्टेशन से हिरासत में दिग्विजय सिंह और अन्य नेताओं को बाहर निकाला गया. दिग्विजय सिंह ने कहा, "मुझे नहीं पता कि मुझे कहां ले जाया जा रहा है. मुझे अपने विधायकों से मिलने की अनुमति दी जानी चाहिए. मैं एक कानून का पालन करने वाला नागरिक हूं. सरकार भी बचाएंगे और हमारे विधायकों को भी वापस लाएंगे."
मध्य प्रदेश कांग्रेस के नेता सचिन यादव और कांतिलाल बहुरिया को भी हिरासत में लिया गया.
कर्नाटक: कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को अब हिरासत में रखा गया है. कथित तौर पर पुलिस द्वारा उसे जाने की अनुमति नहीं दिए जाने के बाद वह बेंगलुरु में रामादा होटल के पास धरने पर बैठे थे. होटल में 21 मध्यप्रदेश कांग्रेस के विधायक ठहरे हैं.
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को बेंगलुरु के अमृताहल्ली पुलिस स्टेशन ले जाया गया है. उनका कहना है कि वह अब भूख हड़ताल पर है. उन्हें हिरासत में रखा गया है. कथित तौर पर पुलिस द्वारा उन्हें विधायकों से मिलने की अनुमति नहीं दिए जाने के बाद, वह रामदा होटल के पास एक धरने पर बैठे थे.
हिरासत में दिग्विजय सिंह
बेंगलुरु के होटल में कांग्रेस MLAs से मिलने नहीं दिए जाने पर दिग्विजय सिंह धरने पर बैठे तो पुलिस ने हिरासत में लिया.
मध्य प्रदेश विधानसभा में विधायकों के इस्तीफे से पहले 227 विधायक (2 का निधन और एक BSP विधायक सस्पेंड)  कांग्रेस 114+6 सहयोगी मिलाकर 120 हैं और बीजेपी के पास 107. लेकिन 21 विधायकों के इस्तीफे के बाद कुल विधायक 206, बहुमत का नया आंकड़ा 104, कांग्रेस+सहयोगी मिलाकर 99 यानी बहुमत से 5 कम. बीजेपी के पास 107 विधायक यानी बहुमत से 3 ज्यादा. 
बीजेपी की मांग पर पर राज्यपाल ने 16 मार्च को फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था लेकिन विधानसभा स्पीकर ने कोरोना वायरस का हवाला देकर विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च तक टाल दी. लेकन इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. अब सबकीं नजरें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं.
मध्य प्रदेश कांग्रेस (Madhya Pradesh congress) ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार और कर्नाटक सरकार को आदेश दे कि वो मध्य प्रदेश कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारियों को 16 विधायकों से मिलने और बात करने की इजाजत दे जो कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं. इस तरह कांग्रेस के 16 विधायकों को बंधक रखना गैरकानूनी, असंवैधानिक है और संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 और कानून के शासन के खिलाफ है. 

Track Latest News Live on NDTV.com and get news updates from India and around the world

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com