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This Article is From Jun 26, 2020

मध्यप्रदेश विधानसभा का सत्र अगले माह, विधायकों को नहीं मिलेंगे कई अहम सवालों के जवाब

सत्ता परिवर्तन हो जाने से विधायकों के हजारों प्रश्न अमान्य, कोरोना से लड़ने की तैयारी, मज़दूरों की समस्या जैसे मुद्दों पर सवालों के अब नहीं मिलेंगे जवाब

मध्यप्रदेश विधानसभा का सत्र अगले माह, विधायकों को नहीं मिलेंगे कई अहम सवालों के जवाब
मध्यप्रदेश विधानसभा (फाइल फोटो).
भोपाल:

मध्यप्रदेश विधानसभा का सत्र 20 जुलाई से शुरू होगा लेकिन पांच दिनों के इस सत्र में कई सवालों के जवाब नहीं मिलेंगे या उन पर सदन में चर्चा नहीं हो पाएगी. यही नहीं मध्यप्रदेश विधानसभा में सत्र के बीच सत्ता परिवर्तन हो जाने से विधायकों के हजारों प्रश्न भी अमान्य हो चुके हैं. कोरोना से लड़ने की तैयारी, मज़दूरों की समस्या जैसे कई मुद्दे थे, जिस पर आप चाहते थे कि हुक्मरान जवाब दें लेकिन विधायकों को इस पर सीधा जवाब शायद ही मिले, लिखित जवाब मिल सकता है क्योंकि सदन में जिस दिन इन विभागों के उत्तर दिए जाने का मंत्रियों का क्रम तय हुआ है, वो है पहला दिन जब परंपरा के मुताबिक दिवंगतों को श्रद्धांजलि देकर कार्यवाही स्थगित हो जाती है. यानी प्रश्नकाल नहीं होता.

मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए 20 जून को सत्र की अधिसूचना जारी हुई थी. 23 जून ऑनलाइन सवालों के लिए, 24 जून ऑफ लाइन सवालों के लिए निर्धारित था. सवाल-जवाब की तारीख विधानसभा सचिवालय तय करता है. सदन की बैठक पांच दिन की है, इसलिए विभागों को पांच वर्ग में बांटा. यानी एक विभाग के उत्तर के लिए सिर्फ एक ही दिन और गृह, लोक स्वास्थ्य, पंचायत ग्रामीण विकास के लिए पहला दिन ही तय हो गया.
        
बीजेपी कह रही है उसे जवाब देने में दिक्कत नहीं लेकिन जवाब के बजाए कांग्रेस पर सवाल उठा देती है. बीजेपी नेता विश्वास सारंग ने कहा ''हमें जवाब देने में ना दिक्कत हैं, ना सत्र से बचना चाहते हैं लेकिन जवाब तो कांग्रेस को देना होगा कि 15 महीने में प्रदेश का बेड़ा गर्क क्यों कर दिया. कोरोना संकट से जब आपको निपटना था तो आईफा की तैयारी कर रहे थे, कोरोना को लेकर कुछ नहीं किया. मध्यप्रदेश को आईफा प्रदेश बनाया हम आस्था प्रदेश बनाने में लगे हैं.''
       
वहीं मध्यप्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा ''कर्तव्यों को ना निभा पाना दूसरों पर दोषारोपण करना, सत्ता में जैसे पीछे के दरवाजे से आए थे वैसे आगे की सत्ता को डील करना अपने आप में अपराध है. जनता सजा देगी. स्वास्थ्य मंत्री उस समय का कोरोना को छोड़कर बेंगलुरू भाग गए, इन सवालों के जवाब देने होंगे, सत्र छोटा है, कैसे देंगे तो मानता हूं बचने का तरीका ढूंढा है सरकार ने.''

यही नहीं मध्यप्रदेश विधानसभा में सत्र के बीच सत्ता परिवर्तन हो जाने से, विधायकों के 4200 प्रश्न अमान्य हो जाएंगे. कमलनाथ सरकार के वक्त के 1100 सवालों को ही रिकॉर्ड में रखा जाएगा. उस सत्र में विधायकों ने 5315 सवालों के जवाब मांगे थे. वैसे इससे पहले 2018 में  7188 सवाल आए, 315 अपूर्ण रहे. 2019 में 7012 प्रश्न आए,  450 अपूर्ण रहे.

दरअसल सत्र की अधिसूचना के साथ विधायक लिखित सवाल विधानसभा सचिवालय को देते हैं. सचिवालय इसके जवाब संबंधित मंत्रियों से लेकर प्रकाशित करता है. सदन में ये जवाब प्रस्तुत किए जाते हैं. लोकतांत्रिक परंपरा और नियमों में यदि एक सत्र में जवाब नहीं आता तो उसे अगले सत्र में पेश करना अनिवार्य है.

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