मध्यप्रदेश में उमरिया जिले में पदस्थ अतिथि विद्वान सह खेल अधिकारी संजय कुमार ने आर्थिक तंगी के चलते किराए के घर में फांसी लगाकर सोमवार की रात आत्महत्या कर ली. परिवार के मुताबिक वो लगातार नौकरी छूटने के डर, बच्चों के भविष्य को लेकर परेशान थे. हालांकि संजय का एक सुसाइड नोट, जिसे बाद में पुलिस ने बरामद किया उसमें कथित तौर पर लिखा गया है कि वो अपना जीवन खुद समाप्त कर रहे हैं, इसके लिये कोई और ज़िम्मेदार नहीं है. नोट में ये भी लिखा है कि उनके भाई चंदन को कॉलेज की नौकरी लेनी चाहिए और भविष्य निधि का पैसा विधवा लालसा को दिया जाना चाहिए.
65 दिन से अतिथि विद्वान धरने पर हैं,1 अतिथि विद्वान ने आत्महत्या कर ली, पत्नी कह रही हैं वेतन ना मिलने से परेशान थे सरकार कह रही है ऐसी कोई बात होती तो सुसाइड नोट में जिक्र होता वैसे परिवार के पास शव तक ले जाने के पैसे नहीं थे! @ndtvindia @BJP4MP @ChouhanShivraj pic.twitter.com/ACFwxeNQgA
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) February 12, 2020
उनकी पत्नी लालसा ने बताया उन्हें छह महीने से सैलरी नहीं मिली थी. वो कहते थे अब मेरे बच्चों के भविष्य का क्या होगा. सरकार ने हमारे पेट में लात मार दी. हमें कहीं का नहीं छोड़ा. बच्चा 10वीं में पढ़ता है, उसकी फीस नहीं भर पाए हैं. अब मेरे सामने कोई रास्ता नहीं है. मंत्री आएं या फिर मैं मंत्रीजी के पास पति की मिट्टी लेकर जाऊंगी. मेरी तो जिंदगी ही खत्म हो गई है. मैं क्या करुं, कहां जाऊं. अगर मंत्री जी मेरे लिए कुछ नहीं कर सकते तो मैं भी आत्महत्या कर लूंगी, मंत्री जी तभी खुश होंगे. मैं चाहती हूं कि मंत्री जी मुझे और मेरे बच्चे के भविष्य को देखें. अब मंत्री जी को निर्णय लेना है, वरना मैं भी तीनों बच्चों के साथ पति की तरह आत्महत्या कर लूंगी." लालसा, भी अचानक ब्लड प्रेशर बढ़ने से अस्पताल में भर्ती है.
इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट किया, “उमरिया के अतिथि विद्वान श्री संजय कुमार की आत्महत्या के लिए अगर कोई जिम्मेदार है, तो वह है प्रदेश की निकम्मी सरकार. उस बेसहारा विधवा को कांग्रेस सरकार क्या जवाब देगी? मासूम बच्चों की देखभाल कौन करेगा?''
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सत्तारूढ़ कांग्रेस के प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने जवाब देते हुए कहा, "उमरिया जिले के चंदिया शासकीय महाविद्यालय में क्रीड़ा अधिकारी संजय कुमार के निधन का दुखद समाचार मिला. उनके दुखद निधन पर हम शोक संवेदना व्यक्त करते है. अफ़सोस नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ऐसे संवेदनशील विषय पर भी शर्मनाक राजनीति कर रहे हैं, उसे अतिथि विद्वान आंदोलन से जोड़ रहे हैं? जो जानकारी हमें प्राप्त हुई है, उसके अनुसार उनके मृत्यु पूर्व लिखे पत्र में कही भी इस बात का कोई ज़िक्र नहीं है. यदि उनकी जान देने के पीछे यह कारण होता तो वे उसका ज़िक्र उस पत्र में वे ज़रूर करते. भाजपा ऐसी दुखद घटना को भी राजनीति का विषय बना रही है. बेहद शर्मनाक....''
संजय कुमार चंदिया कॉलेज में ही स्पोर्ट्स टीचर के रूप में पदस्थ थे. बताया कि मृतक संजय कुमार की पत्नी लालसा देवी के पास पति के शव को अपने गृह जिला बलिया तक ले जाने के लिए किराए के पैसे नहीं थे. अतिथि विद्वानों एवं स्थानीय प्रशासन के सहयोग से संजय कुमार का शव उनके गृह जिले बलिया भेजा गया है.
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मध्य प्रदेश के अतिथि विद्वानों का विरोध प्रदर्शन भोपाल में शाहजहानी पार्क में 65वें दिन में प्रवेश कर चुका है, इसमें महिलाएं भी शामिल हैं. ये अतिथि विद्वान अपने नियमितीकरण और कम से कम छह महीने के बकाया मानदेय के भुगतान की मांग कर रही हैं. लगभग 5000 अतिथि विद्वानों को नियमित करना 2018 विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस के घोषणा पत्र के वादों में से एक था.
(आत्महत्या किसी समस्या का समाधान नहीं है. अगर आपको सहारे की जरूरत है या आप किसी ऐसे शख्स को जानते हैं जिसे मदद की दरकार है तो कृपया अपने नजदीकी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के पास जाएं.)
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