नई दिल्ली:
विवादास्पद एंट्रिक्स-देवास करार मुद्दे पर खुद के और तीन अन्य प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के खिलाफ की गई कार्रवाई से नाराज भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुख माधवन नायर ने बुधवार को इसे ‘कायरतापूर्ण कार्य’ कहते हुए इस कदम की तीखी आलोचना की। एंट्रिक्स-देवास करार में भूमिका निभाने को लेकर सरकार ने इसरो के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर के खिलाफ किसी भी सरकारी पदभार ग्रहण पर रोक लगा दी, लेकिन कहा कि अपील का रास्ता खुला है।
वहीं, केंद्र सरकार के इसरो के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर को किसी सरकारी पद से प्रतिबंधित करने के बावजूद केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने बुधवार को साफ कर दिया कि राज्य सरकार अंतरिक्ष वैज्ञानिक की सेवाएं लेना जारी रखेगी।
नायर ने इस कदम के पीछे संगठन के मौजूदा प्रमुख के राधाकृष्णन का हाथ होने और सरकार को ‘गुमराह करने’ का आरोप लगाया। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि इसके पीछे राधाकृष्णन का निजी एजेंडा है।
नायर ने अंतरिक्ष विभाग में सचिव और अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष राधाकृष्णन पर निशाना साधते हुए कहा, ‘पूरे मुद्दे (करार) पर उन्होंने सरकार को गुमराह किया है। इसके पीछे उनका सबसे बड़ा हाथ है, उन्होंने सरकार केा गुमराह किया और गलत सूचना दी और उन्होंने कार्रवाई की।’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘वह कई लोगों को निशाने पर तुले हुए हैं और इस प्रक्रिया में वह संगठन का सत्यानाश कर रहे हैं।’
भारत के चंद्रयान-1 अभियान में अहम भूमिका निभाने वाले नायर ने कहा, ‘यह (कार्रवाई) पूरी तरह से कायरतापूर्ण कार्रवाई है। यह कानूनी तौर पर प्रणाली और पेंशन नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि जिस व्यक्ति ने मुंबई में आतंकवादी हमले को अंजाम दिया, उसे तीन-चार स्तर पर अपील करने की आजादी थी। क्या हम आतंकवादियों से भी बुरे हैं?’ किसी सरकारी पद पर आसीन होने से खुद को और तीन अन्य वैज्ञानिकों को रोके जाने से आहत नायर ने कहा, ‘यहां तक कि सैन्य शासन में भी लोगों को निंदा करने के बाद सुनवाई का अधिकार दिया जाता है। यह हमारे खिलाफ की गई उससे भी बुरी चीज है।’
गौरतलब है कि इसरो ने कथित तौर पर नियमों का उल्लंघन कर एक निजी कंपनी को एस बैंड स्पेक्ट्रम आवंटित किया था, जिस वक्त नायर एजेंसी के प्रमुख थे।
नायर ने कहा कि सरकारी पद धारण करने से रोके जाने के बारे में उन्हें कोई सूचना नहीं मिली है और इसे पाने के लिए वे आरटीआई के तहत अर्जी देंगे और उसके आधार पर वह अपनी आगे की कार्रवाई की योजना बनाएंगे..‘इस पूरे मामले को बिल्कुल ही गलत तरीके से निपटाया गया।’
नायर ने कहा, ‘इस मामले की किसी तरह की जांच नहीं की गई, किसी को आरोप पत्र नहीं जारी किया गया, फिर सरकार दंडात्मक कार्रवाई कैसे कर सकती है?’ नायर ने कहा कि सात लोगों (तीन प्रशासनिक और चार तकनीकी) को इसरो-देवास करार की जांच करने वाली एक समिति तथा टीम ने नामित किया।
उन्होंने कहा कि प्रशानिक लोगों को पूरी तरह से क्यों छोड़ दिया गया? इसरो के पूर्व प्रमुख ने कहा, ‘सबसे पहली बात यह है कि मैं इस विचार से इत्तेफाक नहीं रखता कि यह कोई मुद्दा है। मुद्दा सिर्फ यह है कि इसरो द्वारा सरकार को सूचना दी जानी चाहिए थी कि वह देवास के साथ एक करार रहा है लेकिन तत्कालीन नियमों के मुताबिक इसरो ऐसा नहीं कर सकता था।’ उन्होंने कहा, ‘यह नियमों का उल्लंघन नहीं है। उन्होंने इसमें सिर्फ वैज्ञानिकों को ही जिम्मेदार क्यों ठहराया? यह एक शर्मनाक बात है।’ उन्होंने दावा किया कि राधाकृष्णन को प्रौद्योगिकी के नियम कायदों के बारे में कोई जानकारी नहीं है और वह इसरो का सत्यानाश कर देंगे।
उन्होंने राधाकृष्णन को विनाशक बताते हुए कहा, ‘मैं अब तक चुप रहा। इसके पीछे इसरो के प्रति मेरा सम्मान था। आप पिछले दो साल के इसरो के कार्यक्रम देखें, आपको नजर आएगा कि हम कहां खड़े हैं।’
नायर ने आरोप लगाया कि इसके पीछे राधाकृष्णन हाथ है और वह सरकार को गुमराह करने के लिए एक ‘निजी एजेंडा’ चला रहे हैं। इसरो अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि नायर के अलावा इसरो में पूर्व वैज्ञानिक सचिव के भास्कराचार्य, एंट्रिक्स (इसरो की वाणिज्यिक शाखा) के पूर्व प्रबंध निदेशक केआर श्रीधरमूर्ति, और इसरो अंतरिक्ष केंद्र के पूर्व निदेशक केएन शंकर को अंतरिक्ष विभाग ने दंडित किया है।
एक उच्चाधिकार समिति (एचपीसी) की रिपोर्ट और इस रिपोर्ट की एक समिति द्वारा पड़ताल किए जाने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है। प्रधानमंत्री ने एंट्रिक्स और देवास के बीच हुए करार के विभिन्न पहलुओं की पड़ताल के लिए पिछले साल 31 मई को पूर्व केंद्रीय सतर्कता आयुक्त प्रत्यूश सिन्हा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय एक उच्च स्तरीय टीम गठित की थी।
नायर ने कहा, ‘उन्होंने (राधाकृष्णन ने) पूरे मुद्दे (देवास करार) पर सरकार को गुमराह किया। इसके पीछे अहम भूमिका निभाने वाले वह मुख्य व्यक्ति हैं, उन्होंने सरकार को गुमराह किया और गलत सूचना दी और उन्होंने कार्रवाई की।’
वहीं, केंद्र सरकार के इसरो के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर को किसी सरकारी पद से प्रतिबंधित करने के बावजूद केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने बुधवार को साफ कर दिया कि राज्य सरकार अंतरिक्ष वैज्ञानिक की सेवाएं लेना जारी रखेगी।
नायर ने इस कदम के पीछे संगठन के मौजूदा प्रमुख के राधाकृष्णन का हाथ होने और सरकार को ‘गुमराह करने’ का आरोप लगाया। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि इसके पीछे राधाकृष्णन का निजी एजेंडा है।
नायर ने अंतरिक्ष विभाग में सचिव और अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष राधाकृष्णन पर निशाना साधते हुए कहा, ‘पूरे मुद्दे (करार) पर उन्होंने सरकार को गुमराह किया है। इसके पीछे उनका सबसे बड़ा हाथ है, उन्होंने सरकार केा गुमराह किया और गलत सूचना दी और उन्होंने कार्रवाई की।’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘वह कई लोगों को निशाने पर तुले हुए हैं और इस प्रक्रिया में वह संगठन का सत्यानाश कर रहे हैं।’
भारत के चंद्रयान-1 अभियान में अहम भूमिका निभाने वाले नायर ने कहा, ‘यह (कार्रवाई) पूरी तरह से कायरतापूर्ण कार्रवाई है। यह कानूनी तौर पर प्रणाली और पेंशन नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि जिस व्यक्ति ने मुंबई में आतंकवादी हमले को अंजाम दिया, उसे तीन-चार स्तर पर अपील करने की आजादी थी। क्या हम आतंकवादियों से भी बुरे हैं?’ किसी सरकारी पद पर आसीन होने से खुद को और तीन अन्य वैज्ञानिकों को रोके जाने से आहत नायर ने कहा, ‘यहां तक कि सैन्य शासन में भी लोगों को निंदा करने के बाद सुनवाई का अधिकार दिया जाता है। यह हमारे खिलाफ की गई उससे भी बुरी चीज है।’
गौरतलब है कि इसरो ने कथित तौर पर नियमों का उल्लंघन कर एक निजी कंपनी को एस बैंड स्पेक्ट्रम आवंटित किया था, जिस वक्त नायर एजेंसी के प्रमुख थे।
नायर ने कहा कि सरकारी पद धारण करने से रोके जाने के बारे में उन्हें कोई सूचना नहीं मिली है और इसे पाने के लिए वे आरटीआई के तहत अर्जी देंगे और उसके आधार पर वह अपनी आगे की कार्रवाई की योजना बनाएंगे..‘इस पूरे मामले को बिल्कुल ही गलत तरीके से निपटाया गया।’
नायर ने कहा, ‘इस मामले की किसी तरह की जांच नहीं की गई, किसी को आरोप पत्र नहीं जारी किया गया, फिर सरकार दंडात्मक कार्रवाई कैसे कर सकती है?’ नायर ने कहा कि सात लोगों (तीन प्रशासनिक और चार तकनीकी) को इसरो-देवास करार की जांच करने वाली एक समिति तथा टीम ने नामित किया।
उन्होंने कहा कि प्रशानिक लोगों को पूरी तरह से क्यों छोड़ दिया गया? इसरो के पूर्व प्रमुख ने कहा, ‘सबसे पहली बात यह है कि मैं इस विचार से इत्तेफाक नहीं रखता कि यह कोई मुद्दा है। मुद्दा सिर्फ यह है कि इसरो द्वारा सरकार को सूचना दी जानी चाहिए थी कि वह देवास के साथ एक करार रहा है लेकिन तत्कालीन नियमों के मुताबिक इसरो ऐसा नहीं कर सकता था।’ उन्होंने कहा, ‘यह नियमों का उल्लंघन नहीं है। उन्होंने इसमें सिर्फ वैज्ञानिकों को ही जिम्मेदार क्यों ठहराया? यह एक शर्मनाक बात है।’ उन्होंने दावा किया कि राधाकृष्णन को प्रौद्योगिकी के नियम कायदों के बारे में कोई जानकारी नहीं है और वह इसरो का सत्यानाश कर देंगे।
उन्होंने राधाकृष्णन को विनाशक बताते हुए कहा, ‘मैं अब तक चुप रहा। इसके पीछे इसरो के प्रति मेरा सम्मान था। आप पिछले दो साल के इसरो के कार्यक्रम देखें, आपको नजर आएगा कि हम कहां खड़े हैं।’
नायर ने आरोप लगाया कि इसके पीछे राधाकृष्णन हाथ है और वह सरकार को गुमराह करने के लिए एक ‘निजी एजेंडा’ चला रहे हैं। इसरो अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि नायर के अलावा इसरो में पूर्व वैज्ञानिक सचिव के भास्कराचार्य, एंट्रिक्स (इसरो की वाणिज्यिक शाखा) के पूर्व प्रबंध निदेशक केआर श्रीधरमूर्ति, और इसरो अंतरिक्ष केंद्र के पूर्व निदेशक केएन शंकर को अंतरिक्ष विभाग ने दंडित किया है।
एक उच्चाधिकार समिति (एचपीसी) की रिपोर्ट और इस रिपोर्ट की एक समिति द्वारा पड़ताल किए जाने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है। प्रधानमंत्री ने एंट्रिक्स और देवास के बीच हुए करार के विभिन्न पहलुओं की पड़ताल के लिए पिछले साल 31 मई को पूर्व केंद्रीय सतर्कता आयुक्त प्रत्यूश सिन्हा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय एक उच्च स्तरीय टीम गठित की थी।
नायर ने कहा, ‘उन्होंने (राधाकृष्णन ने) पूरे मुद्दे (देवास करार) पर सरकार को गुमराह किया। इसके पीछे अहम भूमिका निभाने वाले वह मुख्य व्यक्ति हैं, उन्होंने सरकार को गुमराह किया और गलत सूचना दी और उन्होंने कार्रवाई की।’
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